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जेडीए का गड्ढा मुक्त पथ सपना, हकीकत में गड्ढों का राजपथ

राजधानी की सड़कों पर इस बार बारिश ने नहीं, जेडीए की कागजी तैयारियों ने ज्यादा चोट पहुंचाई। हालात ऐसे रहे कि गड्ढे भरने और मरम्मत की कवायद केवल दिखावे तक सिमट गई। सड़कें जगह-जगह डूबती रहीं, लोग कीचड़ और गड्ढों से जूझते रहे और रोड कट ने सफर को किसी अजमाइश से कम नहीं छोड़ा। […]

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राजधानी की सड़कों पर इस बार बारिश ने नहीं, जेडीए की कागजी तैयारियों ने ज्यादा चोट पहुंचाई। हालात ऐसे रहे कि गड्ढे भरने और मरम्मत की कवायद केवल दिखावे तक सिमट गई। सड़कें जगह-जगह डूबती रहीं, लोग कीचड़ और गड्ढों से जूझते रहे और रोड कट ने सफर को किसी अजमाइश से कम नहीं छोड़ा। नतीजा यह हुआ कि जेडीए की करोड़ों की स्वीकृतियों और राहत के दावों के बावजूद मानसून में शहरवासियों को टूटी सड़कों पर ही अपनी रोजमर्रा की जद्दोजहद करनी पड़ी।जेडीए की रिपोर्ट बताती है कि इस बार 1.77 लाख वर्गमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं। खुद जेडीए अधिकारी दबी जुबान मान रहे हैं कि वास्तविक स्थिति रिपोर्ट से कहीं अधिक गंभीर है। कई जगह तो सड़कें पूरी तरह गायब हो गईं, जिनकी अब मरम्मत शुरू हुई है। सड़क सुधार के लिए जेडीए ने करीब 32 करोड़ रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी की है। इनमें से 10.33 करोड़ रुपए के कार्यादेश दिए जा चुके हैं।

सीख ले, बढ़ रहा आगे

शहर में ड्रेनेज सिस्टम का अभाव है। जलभराव के कारण कई सड़कें टूट गईं। अब जेडीए इन्हें ब्लॉक और सीमेंटेड रोड के रूप में दुरुस्त करने का काम कर रहा है।

अलग-अलग जोन में क्षति

जोन-2 : 9650 वर्गमीटर

ये क्षेत्र ज्यादा प्रभावित : विद्याधर नगर, आकेड़ा डूंगर, सुभाष नगर, रोड नम्बर-18

जोन-6 : 11500 वर्गमीटर

ये क्षेत्र ज्यादा प्रभावित : झोटवाड़ा, शंकर नगर

जोन-8 : 20950 वर्गमीटर

ये क्षेत्र ज्यादा प्रभावित : सांगानेर कस्बा, शिकारपुरा रोड, एसडीएम कोर्ट रोड, पत्रकार रोड, रामपुरा रोड, गणपतपुरा रोड, इस्कॉन रोड

जोन-9 : 10976 वर्गमीटर

ये क्षेत्र ज्यादा प्रभावित : महल रोड, एयरपोर्ट एरिया, गोनेर, राणा सांगा रोड, सीबीआइ फाटक रोड, एनआरआई सर्कल

जोन-11 : 29800 वर्गमीटर

ये क्षेत्र ज्यादा प्रभावित : जयसिंहपुरा से पीपला भरत सिंह, अजय राजपुरा रोड, मुहाना गांव से रिंग रोड तक

पीआरएन-दक्षिण : 13200 वर्गमीटर

ये क्षेत्र ज्यादा प्रभावित : मुख्य सड़कों से लेकर कॉलोनी की सड़कें

मानसून से पहले रोड कट का संकट

मानसून से पहले जलदाय विभाग और राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम ने मिलकर शहर की लगभग 630 सड़कों को खोद डाला। लेकिन बारिश शुरू होने से पहले इनकी मरम्मत नहीं हो पाई। रिपोर्ट बताती है कि 630 में से केवल 180 किलोमीटर रोड कट ही समय पर दुरुस्त किए जा सके। नतीजतन मानसून के दौरान लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बारिश थमने के बाद अब विभाग मरम्मत कार्य कर रहे हैं।सड़कें टूटीं तो

ये दिए गए तर्क

- इस बार पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बारिश हुई।

- पानी निकासी का उचित इंतजाम नहीं होने से स्थिति बिगड़ी।

- नालों की सफाई में लापरवाही बरती गई, हालांकि कुछ जगह जेडीए ने सफाई कराई।

जेडीए सीमा क्षेत्र में आठ हजार किमी समतुल्य सडक़ें हैं। इस आधार पर सडक़ों का एरिया 3.18 करोड़ वर्ग मीटर हो जाता है। इससे यदि क्षतिग्रस्त सडक़ों की तुलना करें तो यह बहुत कम है। मानसून के दौरान पेचवर्क तीन से चार प्रतिशत का होता है। बाहरी जोन में दिक्कत है। साथ ही ड्रेनेज न होने की वजह से कुछ इलाकों में सडक़ें क्षतिग्रस्त हुई हैं। इनकी मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है।

-देवेंद्र गुप्ता, निदेशक, अभियांत्रिकी शाखा, जेडीए

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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