AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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राजधानी में अपने घर का सपना पूरा करने की चाह लोगों को दूर तक खींच रही है। अब लोग 30 से 35 किलोमीटर दूर जाकर घर खरीद रहे हैं। लेकिन शहर तक पहुंचने में टोल प्लाजा दीवार की तरह रास्ता रोक रहे हैं। कुछ लोग रास्ता बदलकर आते हैं तो कई अपनी गाड़ी छोड़ सार्वजनिक परिवहन का सहारा लेते हैं। इन नई कॉलोनियों में रहने वालों का कहना है कि वे अब जयपुर की शहरी सीमा के भीतर आते हैं, लेकिन टोल की बाधा खत्म नहीं हुई है। दरअसल, शहर का दायरा बढ़ने के साथ अजमेर रोड के ठिकरिया, दौलतपुरा और बस्सी टोल प्लाजा के बाहर कॉलोनियां तेजी से बस रही हैं। लोग कम बजट और अपने घर की चाहत में वहां तक जा रहे हैं। जेडीए सीमाएं बढ़ाने पर काम कर रहा है। सीमाओं का विस्तार होने पर टोल प्लाजा के बाद का इलाका भी शहरी विकास में शामिल होगा। लेकिन यही लोगों के लिए नई परेशानी खड़ी कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि टोल प्लाजा को आगे नहीं खिसकाया गया, तो आने वाले वर्षों में लाखों लोग शहर के भीतर रहते हुए भी टोल देने को मजबूर होंगे।
शहर का फैलाव स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन टोल प्लाजा की स्थिति को भी उसी अनुपात में आगे बढ़ाना जरूरी है। वरना यह नागरिकों के लिए आर्थिक और मानसिक बोझ बन जाएगा।
- चंद्रशेखर पाराशर, सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
25 Aug 2025 05:15 pm


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