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ईरान, नेपाल और बांग्लादेश के मुस्लिम स्टूडेंट्स भी पढ़ेंगे संस्कृत, 311 ने लिया संस्कृत पाठ्यक्रमों में प्रवेश

-अब तक कुल 56712 आवेदन दुनियाभर से मिल चुके, 30 सितंबर है अंतिम तिथि

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ईरान, नेपाल और बांग्लादेश के मुस्लिम स्टूडेंट्स भी पढ़ेंगे संस्कृत, 311 ने लिया संस्कृत पाठ्यक्रमों में प्रवेश
ईरान, नेपाल और बांग्लादेश के मुस्लिम स्टूडेंट्स भी पढ़ेंगे संस्कृत, 311 ने लिया संस्कृत पाठ्यक्रमों में प्रवेश

जयपुर। आज देशभर में विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। हिंदी का जन्म संस्कृत से हुआ है। ऐसे में संस्कृत का विकास हिंदी के प्रचार-प्रसार को भी मजबूत करेगा। कभी धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमति रहने वाली वेदों की यह भाषा अब विदेशों खासकर मुस्लिम देशों में भी लोकप्रिय हो रही है। इसका सशक्त प्रमाण है जयपुर स्थित जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जहां नए सत्र में संस्कृत भाषा में अलग-अलग पाठ्यक्रमों में 18 सितंबर तक 56,712 आवेदन आ चुके हैं। आवेदकों में देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों से भी विद्यार्थियों ने संस्कृत और भारतीय वेद-दर्शन पढऩे में रुचि दिखाई है।

'वैश्विक संस्कृत सेवा' परियोजना
दरअसल, विश्वविद्यालय ने इस सत्र में ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यक्रम के तहत संस्कृत भाषा में 18 नि:शुल्क पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। विश्वविद्यालय का कहना है कि दुनिया में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी विश्वविद्यालय ने संस्कृत भाषा पर इतने सारे पाठ्यक्रम नि:शुल्क संचालित किए हों। विश्वविद्यालय ने 'वैश्विक संस्कृत सेवा' परियोजना के तहत नि:शुल्क संस्कृत शिक्षण योजना बनाई है। इसमें 4 साल से 100 वर्ष तक का दुनिया के किसी भी देश से व्यक्ति प्रवेश ले सकता है। 4 साल से 15 साल तक के बच्चों को 'शिशु संस्कृत' नामक पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया है। परियोजना समन्वयक डॉ. संदीप का कहना है कि प्रवेश लेने की अंतिम तिथि 30 सितंबर तक है। तब तक आवेदकों की संख्या 1 लाख पार कर जाने की उम्मीद है।

311 मुस्लिम आवेदक पढ़ेंगे संस्कृत
परियोजना का सबसे सुखद पहलू यह है कि अब तक प्राप्त हुए आवेदनों में 311 से ज्यादा आवेदन मुस्लिम विद्यार्थियों के हैं। इनमें भी लड़के-लड़कियों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। 181 मुस्लिम पुरुषों और 130 मुस्लिम महिलाओं ने संस्कृत पढऩे में रुचि दिखाई है। इतना ही नहीं, बांग्लादेश के 2 मुस्लिम आवेदकों में से एक मुस्लिम महिला सुरैया इस्लाम रिया ने भारतीय दर्शन विषय में तथा संस्कृत बोलना सीखने के लिए आवेदन किया है। वहीं मोहम्मद अमीनुल इस्लाम ने संस्कृत व्याकरण कोर्स में प्रवेश लिया है। ईरान की मरियम अलीजादेह ने भारतीय दर्शन पढऩे के लिए आवेदन किया है। एक नेपाली मुस्लिम महिला हमीदा तबस्सुम का आवेदन भी प्राप्त हुआ है। उन्होंने अध्यात्म एवं नीतिशास्त्र विषय में प्रवेश लिया है।

इन 18 पाठ्यक्रमों में आए आवेदन
-ज्योतिष शास्त्र
-वास्तु शास्त्र
-हस्तरेखा शास्त्र
-पौरोहित्य-कर्मकाण्ड
-श्रीमद्भगवद्गीता
-रामायण
-शिशु-संस्कृतम
-वेद एवं उपनिषद्
-संस्कृत व्याकरण
-भारतीय दर्शन
-षोडश-संस्कार
-योग
-संस्कृत संभाषण
-साहित्य एवं वामय
-संगीत

यहां से आए सबसे ज्यादा आवेदन
राजस्थान के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात और दिल्ली के मुस्लिम अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया है।

पदाधिकारी यह बोले
इस सत्र में पहली बार यह परियोजना शुरू की गई है। यह विश्वविद्यालय का पूरे विश्व को संस्कृत की शिक्षा देने का प्रयास है। इन नि:शुल्क पाठ्यक्रमों में कोई फीस नहीं है और सभी जाति-धर्म के लोग इसमें प्रवेश ले सकते हैं। इस पहल को देश-दुनिया से आवेदकोंं ने सराहा है। इसके लिए राज्यपाल से समय मांगा है ताकि इसे सितंबर माह से ही कक्षाएं शुरू की जा सकें। ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अभी तकनीकी तैयारी की जा रही है।
प्रो. राम सेवक दुबे, कुलपति, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर

'परियोजना को देश-दुनिया से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। मेरा मुख्यमंत्री से निवेदन है कि वह इस परियोजना को चलाने के लिए 5 करोड़ रुपए का अनुदान दें, ताकि संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए इसे अनवरत चलाया जा सके।'
डॉ. संदीप जोशी, असिस्टेंट प्रोफेसर, परियोजना समन्वयक

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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