Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

गुजरात-महाराष्ट्र मॉडल पर राजस्थान, हाईवे किनारे उद्योग की नई राह

राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट में कई कंपनियों के साथ हुए एमओयू को राज्य सरकार जल्द से जल्द जमीन पर उतारने में जुटी है। कंपनियां बड़े पैमाने पर औद्योगिक जमीन का आवंटन चाहती हैं, लेकिन कई जिलों में रीको के पास उतनी जमीन उपलब्ध ही नहीं है, जितनी जरूरत है। इसी कमी को दूर करने के लिए रीको ने जिला कलक्टरों से राष्ट्रीय-अंतरराज्यीय हाईवे और एक्सप्रेस-वे के आस-पास जमीन चिह्नित कर औद्योगिक गलियारे विकसित करने की कवायद तेज कर दी है।

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें

-रीको की ज़मीन तलाश मुहिम: कलक्टरों को फिर याद दिलाए निर्देश

-राज्य सरकार की मंशा के बाद रीको ने कसी कमर

-कई जिलों में जरूरत से कम है जमीन, जबकि निवेशकों को करनी है आवंटित

जयपुर. राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट में कई कंपनियों के साथ हुए एमओयू को राज्य सरकार जल्द से जल्द जमीन पर उतारने में जुटी है। कंपनियां बड़े पैमाने पर औद्योगिक जमीन का आवंटन चाहती हैं, लेकिन कई जिलों में रीको के पास उतनी जमीन उपलब्ध ही नहीं है, जितनी जरूरत है। इसी कमी को दूर करने के लिए रीको ने जिला कलक्टरों से राष्ट्रीय-अंतरराज्यीय हाईवे और एक्सप्रेस-वे के आस-पास जमीन चिह्नित कर औद्योगिक गलियारे विकसित करने की कवायद तेज कर दी है। इसके लिए मुख्य सचिव के जरिए भी कलक्टरों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि वे इस काम को गंभीरता से लें। विशेषज्ञों का मानना है कि हाईवे और एक्सप्रेस-वे के किनारे औद्योगिक गलियारे बनने से न केवल निवेशकों को तैयार जमीन आसानी से मिल सकेगी, बल्कि स्थानीय व्यापार और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। गौरतलब है कि रीको पहले भी कलक्टरों को इस संबंध में पत्र भेज चुका है।

दूसरे राज्यों की तरह गेमचेंजर साबित होंगे एक्सप्रेस-वे

गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों के उदाहरण साफ हैं कि सड़क नेटवर्क को औद्योगिक विकास से जोड़ना किस तरह गेमचेंजर साबित हो सकता है। अहमदाबाद-मुंबई एक्सप्रेस-वे और दिल्ली–मुंबई कॉरिडोर से गुजरात में उद्योगों को नई उड़ान मिली। वहीं मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे ने महाराष्ट्र में ऑटोमोबाइल और आइटी हब खड़ा कर दिया। हरियाणा में कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे ने गुरुग्राम-मानेसर क्षेत्र को देश का बड़ा औद्योगिक जोन बनाया है। राजस्थान भी इसी तर्ज पर हाईवे और एक्सप्रेस-वे को उद्योग की नई लाइफलाइन बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

इन पर ज्यादा नजर

फोकस उन हाईवे, एक्सप्रेस पर है, जो अभी बनने हैं या निर्माणधीन हैं। यहां न केवल आसानी से जमीन मिल सकती है, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने में भी दिक्कत नहीं आएगी। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और सार्वजनिक निर्माण विभाग दोनों के प्रोजेक्ट्स की सूची भी ली है।

व्यापार की राह और होगी आसान

-व्यापार के कई और विकल्प मिलेंगे। खासकर स्थानीय व्यापार का दायरा फैलेगा।

-रियल एस्टेट, इंडस्ट्री एरिया से लेकर कई दूसरी कंपनियां भी पहुंचेंगी।

-स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, पलायन रुकेगा।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar