AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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जयपुर. एसएमएस अस्पताल में दवाओं की किल्लत अब मरीजों की सेहत पर भारी पड़ने लगी हैं। हालात ऐसे हैं कि खांसी-जुकाम से लेकर कैंसर, हार्ट, डायबिटीज और न्यूरो तक की जरूरी दवाएं काउंटरों से गायब हैं। घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी मरीजों को 'कल आना' का जवाब मिल रहा है, जबकि बाहर निजी मेडिकल स्टोर्स संचालक इस संकट को कमाई का मौका बना बैठे हैं। अस्पताल की ओपीडी में इस समय 70 से ज्यादा अहम दवाएं आउट ऑफ स्टॉक हैं, जिससे सीजनल के साथ गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की परेशानी कई गुना बढ़ गई है।
धनवंतरि ब्लॉक में रोजाना ऐसे हालात नजर आ रहे हैं। बार-बार लगाने पड़ रहे चक्कर कफ सिरप, कई एंटीबायोटिक, कैल्शियम, विटामिन्स समेत अन्य रुटीन दवाओं की भी आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो पा रही है। मरीज आधी-अधूरी दवाइयां लेकर घर लौट रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी कैंसर, न्यूरो, किडनी समेत अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को हो रही है। उन्हें आधी दवाओं के लिए बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कुछ मामलों में दवा पूरी तरह आउट ऑफ स्टॉक बताई जा रही है। जरूरी दवाओं की सप्लाई प्रभावित पड़ताल में सामने आया कि एसएमएस अस्पताल की ओपीडी में वर्तमान में 70 से ज्यादा दवाओं का टोटा है, जो बेहद आवश्यक हैं। इनकी कई दिनों से सप्लाई प्रभावित हो रही है, जिससे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। मजबूरन कई मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर्स से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।
अस्पताल में दवाओं की कमी होने का फायदा उठाकर कई लपके भी सक्रिय हो गए हैं, जो दस व ग्यारह नंबर ओपीडी के बाहर झुंड में खड़े रहते हैं। जैसे ही ओपीडी ब्लॉक में बने दवा वितरण केंद्रों से दवा उपलब्ध न होने की जानकारी मिलती है, वैसे ही ये लपके मरीजों की पर्ची तुरंत लपक लेते हैं। सस्ती दवा दिलाने के नाम पर मरीजों को बाहर की दुकानों की ओर भेजा जा रहा है। इससे अस्पताल परिसर में अव्यवस्था के साथ मरीजों की परेशानी और बढ़ गई है।
बातचीत में पता चला कि लेनालिडोम, ब्रिवासेटम, मेटोप्रोलोल सक्सिनेट, टैम्सुलोसिन, ड्यूटास्टेराइड, प्रेगाबालिन, गैबापेंटिन, सैक्यूबिट्रिल, वाल्सार्टन, कैल्शियम विथ विटामिन डी-3 टैबलेट, एस्पिरिन, एटिजोलाम, सिटाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन समेत कई दवाओं का टोटा है।
कतार में खडे एक मरीज ने बताया कि हार्ट संबंधी दिक्कत है। एक घंटे तक ओपीडी में दवा काउंटर पर दवा के लिए खडा रहा। जब नंबर आया तो, फार्मासिस्ट बोला कि, दवा नहीं है। दस या ग्यारह नंबर डीडीसी पर जाओ। वहां भी कतारों में जूझने के बाद नंबर आया तो कहा कि, कल आना, आज यह दवा स्टॉक में नहीं है। ऐसे ही एक अन्य मरीज ने कहा कि तीन बाद फिर से दवा लेने आया हूं, पता नहीं आज भी मिलेगी या नहीं।
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Published on:
17 Dec 2025 12:04 pm


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