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कृषि विश्वविद्यालय 100 हेक्टेयर में तैयार करेगा सब्जियों के उन्नत बीज

राज्य सरकार के बाड़ी कार्यक्रम के तहत किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे यहां के बीच

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कृषि विश्वविद्यालय 100 हेक्टेयर में तैयार करेगा सब्जियों के उन्नत बीज
कृषि विश्वविद्यालय 100 हेक्टेयर में तैयार करेगा सब्जियों के उन्नत बीज

रायपुर. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय 100 हेक्टेयर भूमि पर अलग-अलग प्रकार की सब्जियों के उन्नत बीच तैयार करेगा। इसके बाद इन बीजों को किसानों को वितरित किया जाएगा। यह कार्य छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी परियोजना 'नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के अंतर्गत किसानों को सब्जियों के उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों में करने का निर्देश दिया गया है।

विश्वविद्यालय प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त जिलों के कृषकों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज कम कीमत पर उपलब्ध कराना है। वर्तमान में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत संचालित 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों में कुल 27.43 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी वाली फसलों के बीज का किया जा रहा है। इसे बढ़ाकर आगामी खरीफ एवं रबी मौसम तक लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्रफल में संचालित करने का लक्ष्य है। मुक्त परागित सब्जी वाली किस्मों में हाइब्रिड किस्मों जैसी समान उत्पादन क्षमता होती है। साथ ही यह किस्में हाइब्रिड किस्मों की अपेक्षा रोग प्रतिरोधी, कम उत्पादन लागत स्थानीय बाजारों में अधिक मांग एवं स्थानीय जलवायु हेतु अनुकूल होती हैं। इस कारण कृषकों द्वारा इन्हें अधिक पसन्द किया जाता है। कृषक यदि मुक्त परागित उन्नत किस्मों वाली सब्जियों का उत्पादन करते हैं तो उन्हें बाजार से बीजों का क्रय नहीं करना पड़ेगा वे स्वयं उच्च गुणवत्ता वाली सब्ज्यिों के बीजों का उत्पादन कर सकते हैं। मुक्त परागित सब्जी वाली फसलों का बीज उत्पादन करने हेतु कृषकों को ज्यादा तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती कम देख-रेख एवं कम लागत में कृषक हाइब्रिड सब्जी तुलना में इन सब्जियों के बीज स्वयं के खेतों पर उत्पादित कर सकते हैं।
इन सब्जियों के बीजों का हो रहा उत्पादन
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा मटर की (अर्केल किस्म), मेथी की (आरएमटी-305 किस्म), कसूरी मेथी की (के-1 किस्म), भटा की (पन्त सम्राट एवं इंदिरा व्हाइट किस्म), मूली एवं टमाटर की (पूसा रूबी किस्म), धनिया की (पन्त हरितिमा किस्म), सेम की (इंदिरा सेम-1, इंदिरा सेम-2 किस्म), अजवाइन की (पीकेएम-3 किस्म), पालक (ऑल ग्रीन किस्म) एवं भिंडी तथा लौकी सहित शकरकन्द, कुन्दरू, खेक्सी एवं परवल के पौष्टिक एवं अधिक उत्पादन वाले किस्म के बीज उत्पादित किए जा रहे हैं।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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