AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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झुंझुनूं। करीब 300 वर्ष पुरानी परंपरा शेखावाटी में इस बार भी निभाई गई। यहां भद्रा में गुरुवार को होली का दहन किया गया। इसमें हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष उमड़े। देश के अधिकतर हिस्सों में होली के दहन के समय भद्रा को टाला जाता है, लेकिन शेखावाटी के अनेक कस्बे ऐसे हैं जहां भद्रा में होली का दहन होता है।
यह परंपरा करीब तीन सौ साल से ज्यादा पुरानी बताई जा रही है। शेखावाटी में झुंझुनूं के छावनी बाजार में, सीकर के शीतला चौक में, खंडेला व मंडावा सहित अनेक जगह भद्रा में होली का दहन किया गया।
सांकृत्य गौत्र के चूलीवाल तिवाड़ी परिवार के गणेश तिवाड़ी ने बताया कि उनके पुरखे भद्रकाली के उपासक रहे हैं। इसलिए उन पर भद्रा का असर नहीं होता। एक किवदंती यह है भी कि एक बार उनके पुरखे शुभ कार्य के लिए जा रहे थे, उस समय भद्रा लगी हुई थी। अनेक लोगों ने मना किया कि भद्रा में मत जाओ। लेकिन वे मातारानी का नाम लेकर चले गए।
संयोग से वह शुभ कार्य सफल हो गया। इसके बाद मांगलिक कार्य में भद्रा को नहीं टाला जाता। यहां तक शादी, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, जन्मोत्सव सहित अनेक मांगलिक कामों में भी भद्रा को नहीं टाला जाता। भद्रा के समय को वे शुभ मानते हैं। इसी परंपरा को निभाते हुए गुरुवार को भद्रा में होलिका दहन किया गया।

शेखावाटी में नवविवाहिताएं पहली गणगौर अपने पीहर में पूजती है। इसके लिए अधिकतर युवतियां तिवाड़ियों की होली के ही परिक्रमा करती है, इसके बाद गणगौर पूजन करती है। अनेक बार होली का दहन बारह बजे बाद होता है। ऐसे में व्रत करने वाली महिलाएं यहीं पर होली की पूजा कर झळ देखने आती है। शाम को व्रत खोल लेती है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि अमूमन होली दहन के समय भद्रा को टाला जाता है, लेकिन शेखावाटी में तिवाड़ियों की होली का दहन भद्रा में होता है।
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Published on:
14 Mar 2025 08:54 am


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