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Emotional Story : बेबस मां ने जंजीरों में कैद किया बेटी का जीवन, दिल दहला देने वाली है यह कहानी

Emotional Story : गरीबी, बीमारी और लाचारी से बेबस मां एक ऐसा कदम उठाने पर मजबूर है जिसको वह खुद भी अमानवीय मानती है। पर करे तो क्या करे। मानसिक रूप से बीमार 23 वर्षीय बेटी को जंजीरों में बांधकर रखना पड़ रहा है। पढ़ें यह भावुक स्टोरी।

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Rajasthan Jodhpur Emotional Story Sar village A helpless mother chained her daughter this is a heartbreaking story
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फोटो पत्रिका

Emotional Story : जोधपुर के धुंधाड़ा में सरकारी योजनाओं, सामाजिक सुरक्षा और सबका साथ के दावों के बीच पंचायत समिति लूणी क्षेत्र के सर गांव से आई यह तस्वीर सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर देती है। यहां गरीबी, बीमारी और लाचारी ने एक मां को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, जिसे वह खुद भी अमानवीय मानती है। मानसिक रूप से बीमार 23 वर्षीय बेटी को जंजीरों में बांधकर रखना पड़ रहा है, सिर्फ इसलिए ताकि वह मजदूरी पर जाकर परिवार का पेट भर सके।

सर गांव निवासी सोनाराम मेघवाल की कई वर्ष पहले मृत्यु हो चुकी है। पति के जाने के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसकी पत्नी टिपूडी पर आ गई। मजदूरी कर गुजर-बसर करने वाली इस महिला के 2 बेटे और 4 बेटियां हैं। कुछ महीनों पहले तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन अचानक 23 वर्षीय बेटी मनोरकी का व्यवहार बदलने लगा। वह बिना बताए घर से निकल जाती, कई बार अचानक आक्रामक हो जाती।

हालात बिगड़ गए

हालात इतने बिगड़े कि गांव में शिकायतें होने लगीं। परिजन के अनुसार, उसकी मानसिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है। घर से निकलकर वह खुद को भी खतरे में डाल लेती है और दूसरों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। घर में उसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है।

ऐसे में मां या तो काम पर न जाए और परिवार भूखा रहे.. या फिर मजबूरी में बेटी को घर के भीतर चारपाई से जंजीर से बांधकर मजदूरी पर जाए।

क्या करूं साहब…

भारी मन से टिपूडी कहती है कि अगर काम पर नहीं जाऊं तो घर कैसे चले। बेटी को खुला छोड़ दूं तो वो कहीं चली जाती है या किसी को नुकसान पहुंचा देती है। इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं। पहले जो थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी, वह खत्म हो चुकी है। अब दवा तक के पैसे नहीं बचे।

सरकार से बस इतनी गुहार है कि मेरी बिटिया का इलाज करवा दे। परिवार का दर्द यहीं खत्म नहीं होता। उनका कहना है कि अब तक उन्हें किसी भी मानसिक स्वास्थ्य योजना या सामाजिक सुरक्षा सहायता का लाभ नहीं मिला।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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