AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

कानपुर। किताबें और कानूनी कागजात ही फतेहपुर के जाने-माने वकील राकेश वर्मा की धन-दौलत और जायजाद हैं। उनके बैंक खाते में न तगड़ी रकम है और न ही उनके नाम कोई बेशकीमती जमीन। राकेश वर्मा ने जिंदगी में अगर कुछ कमाया है तो वो है शोहरत और इज्जत। कोई भी इंसान अगर इन्साफ से वंचित है या फिर उसके अधिकारों का हनन हुआ है तो राकेश वर्मा उसके वकील बनकर न्याय दिलाते हैं। राकेश ये नहीं देखते थे कि पीड़ित और शोषित का वकील बनकर उन्हें क्या मुनाफा मिलेगा, वे बस यही चाहते हैं कि हर हकदार को इन्साफ मिला और हर इंसान को उसका हक।
पिता के सपने को किया साकार
मूलरूप से फतेहपुर के इच्छापुर गांव में राकेश वर्मा का जन्म किसान परिवार में हुआ। इलाके में राकेश वर्मा के पिता की पहचान समाजसेवी के रूप में थी। वकील राकेश वर्मा बताते हैं पिता जी गरीब और शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए खुद के पैसे से कलम और दवात खरीद कर देते। उनका स्कूलों में दाखिला कराते। बचपन से पिता जी के कार्य देखकर हम बड़े हुए। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया और चयन भी हुआ पर पिता जी के सपने को साकार करने के लिए काला कोट पहन गरीब और बेसहारा लोगों की मदद के लिए कदम बढ़ा दिए।
---तो भी लड़ते हैं केस
राकेश वर्मा के लिए वकालत पेशा नहीं है, बल्कि एक मिशन है। जिसके जरिए वो न्याय से वंचित लोगों के लिए हर वक्त डटे और खड़े रहते हैं। गरीब, बेसहारा और अशिक्षित लोगों को इन्साफ दिलवाने के लिए अलग-अलग अदालतों में कानूनी लडाइयां लड़ रहे हैं। हजारों लोगों को इन्साफ दिलाने में वे कामयाब भी रहे हैं। इन्साफ दिलाने की जंग में अपने मुवक्किलों का वकील बनने और अदालतों में उनकी वकालत करने के लिए राकेश वर्मा कोई फीस की मांग नहीं करते। मुवक्किल के पास यदि पैसा है तो ठीक, नहीं देता तो भी राकेश वर्मा उनके लिए जज के सामने खड़े होकर जिरह कर न्याय दिलाते हैं।
लेकिन ये सच नहीं
राकेश वर्मा कहते हैं, वकालत के पेशे के प्रति हमेशा से ही यह धारणा रही है कि इसमें ईमानदार नहीं रहा जा सकता। इसमें गलत व्यक्ति की पैरवी भी करना पड़ती है। लेकिन यह सच नहीं है। हमारे समक्ष महात्मा गांधी, सरदार पटेल, अब्राहम लिंकन जैसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने ईमानदारी के रास्ते पर चलकर वकालत की और सफलता के चरमोत्कर्ष पर पहुंचे। हमारे देश में वकीलों के प्रति लोगों को अटूट विश्वास है और हमारा भी कर्तव्य है कि अपने मुवक्किल को कम पैसे और जल्द से जल्द न्याय मिले इसके लिए आगे आना होगा।
30 साल से हरियाली बचाने में जुटे
वकील राकेश वर्मा जहां गरीबों के मसीहा हैं तो दूसरी तरफ एक माह के 5 दिन पर्यावरण को बचाने के लिए खफा रहे हैं। राकेश वर्मा पिछले 30 साल से हरियाली के लिए काम कर रहे हैं। खुद के मकान के पास बागवानी भी तैयार कर सुबह माली बनकर उन्हें सेहतमंद कर जनपद को प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए भी मिशन चला रहे हैं। राकेश वर्मा बताते हैं कि फतेहपुर जनपद के करीब पांच दर्जन गांवों में वह पौधरोपड़ का कार्य शुरू कराया। आज के वक्त पौधे वृक्षबन लोगों को फलों के अलावा स्वच्छ हवा दे रहे हैं। राकेश वर्मा ने लोगों से अपील की है कि वह ज्यादा से ज्यादा पौधरोपड़ कर पुण्य कमाएं।
ताकि शिक्षा से न कोई हो वंचित
वकील राकेश वर्मा कहते हैं कि सरकारें शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए हर वर्ष करोड़ों रूपए खर्च करती हैं। पर अब ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं जो शिक्षा से वंचित हैं। राकेश वर्मा बताते हैं कि कोर्ट कचहरी से समय निकाल कर सड़क पर उतरते हैं। दुकानों, व फुटपात पर कूड़ा-कचरा बीनते बच्चों को खुद के पैसे से शिक्षा की समाग्री खरीदकर उन्हें देते हैं और स्कूल में दाखिला दिलाते हैं। राकेश वर्मा कहते हैं कि आज के दौर पर लोग अपने और परविार तक सीमित हैं। यदि देश का एक तबगा इनके लिए आगे आए तो भारत का भविष्य सुधर सकता है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Published on:
14 Jun 2020 03:45 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।