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सरकारी मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर धरना, पीपीपी मॉडल का विरोध

सरकारी मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर धरना, पीपीपी मॉडल का विरोध मुख्यमंत्री से पुनर्विचार की अपील, प्रदर्शनकारियों ने कहा कहा—पीपीपी नहीं, पूर्णत: शासकीय मेडिकल कॉलेज चाहिए

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कटनी. जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की घोषणा के बाद जहां आम जनता में खुशी की लहर दौड़ गई थी, वहीं अब इसे पीपीपी मॉडल पर संचालित किए जाने से लोगों को निराश कर दिया है। इसी को लेकर शनिवार को शहरवासियों ने कचहरी चौक में धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया कि मुख्यमंत्री द्वारा कटनी जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा से जिले की वर्षों पुरानी मांग पूरी होती नजर आ रही थी, लेकिन अब यह स्पष्ट हो रहा है कि मेडिकल कॉलेज पीपीपी मॉडल पर खोला जाएगा। इससे जिले की जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। धरना दे रहे लोगों ने पीपीपी मॉडल को निजीकरण का ही एक रूप बताते हुए कहा कि प्रदेश के अन्य जिलों में जहां-जहां इस मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खुले हैं, वहां आम नागरिकों को इलाज और शिक्षा दोनों ही क्षेत्रों में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। महंगी फीस और सीमित सुविधाओं के कारण गरीब व मध्यम वर्ग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सत्ताधारी दल के कई जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी भी पीपीपी मॉडल को उचित नहीं मानते, लेकिन दलीय अनुशासन के चलते खुलकर अपनी बात सामने नहीं रख पा रहे हैं। ऐसे में कटनी की जनता मुख्यमंत्री से सीधे यह अपील कर रही है कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए यहां पूर्णत: शासकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाए। धरने के माध्यम से जिला प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में उम्मीद जताई गई कि मुख्यमंत्री जनभावनाओं को गंभीरता से लेते हुए अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे और कटनी को एक सरकारी मेडिकल कॉलेज की सौगात देंगे, जिससे जिले और आसपास के क्षेत्रों के लोगों को सस्ती व बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।

ऐसा होगा पीपीपी मोड पर कालेज

राज्य सरकार निजी निवेशकों को अपना जिला अस्पताल उपलब्ध कराएगी। संचालन प्राइवेट इनवेस्टर्स करेंगे। मेडिकल कॉलेज में जिला अस्पताल सरकारी होगा, बाकी सुविधाएं पीपीपी मोड पर दी जाएंगी। फीस मध्यप्रदेश फीस विनियामक कमेटी तय करेगी। पीपीपी मॉडल पर आधारित इस अस्पताल में आयुष्मान भार कार्डधारक मरीजों के साथ आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को भी निशुल्क उपचार मिल सकेगा वहीं गैर आयुष्मान मरीजों को निजी अस्पतालों के जैसे शुल्क पर उपचार सुविधा मिलेगी। अस्पताल में 75 प्रतिशत बेड आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए होंगे, 25 प्रतिशत बेड का उपयोग निजी एजेंसी करेगी।

27 को होना था भूमिपूजन, टला

जिले में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर 27 दिसंबर को भूमिपूजन किया जाना था। इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव शामिल होने वाले थे लेकिन अचानक ही यह कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया।  प्रशासन द्वारा आगामी दिनों में भूमिपूजन कब होगा, इसकी घोषणा नहीं की गई है।

जिले में यह है स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल

जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। सबसे बड़े जिला अस्पताल में पिछले कई साल से विशेषज्ञ और स्टाफ से जूझ रहा है। कई बीमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ पर्याप्त न होने से मरीजों को निजी अस्पताल या मेडिकल कालेज जबलपुर जाकर इलाज कराना होता है। दूसरी ओर जिला अस्पताल में कटनी के साथ मैहर, उमरिया, पन्ना, शहडोल जिलों के मरीजों का बोझ है और प्रतिदिन सैकड़ों मरीज यहां पर अपनी जांच व इलाज कराने पहुंचते हैं। अस्पताल में स्वीकृत पदों में से सिर्फ 50 प्रतिशत विशेषज्ञ व चिकित्सक ही पदस्थ हैं। मेडिकल कालेज के संचालन में विशेषज्ञ व चिकित्सक न होने को लेकर अनुबंधित संस्था द्वारा उसकी पूर्ति की बात कही जा रही है लेकिन इसको को स्थिति स्पष्ट नही हैं।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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