AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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कटनी. गांवों को शहर से जोडऩे वाले मार्गों पर बस सेवा का अभाव अब सिर्फ आवागमन की समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह सीधे तौर पर बच्चों और युवाओं के शिक्षा के अधिकार पर प्रहार बनता जा रहा है। कटनी-देवरीहटाई-बड़वारा मार्ग, आजाद चौक से कैलवाराखुर्द-रीठी मार्ग और माधवनगर से इमलिया-पहाड़ी-निवार मार्ग पर नियमित बस सुविधा न होने के कारण आधा सैकड़ा से अधिक गांवों के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
जानकारी के अनुसार इन तीनों प्रमुख मार्गों पर करीब 100 से अधिक गांव बसे हुए हैं। शहर से 15 से 40 किमी. दूर होने के बावजूद यहां रहने वाले हजारों ग्रामीण आज भी ऑटो, ई-रिक्शा और निजी वाहनों पर निर्भर हैं। रोजाना महंगा सफर वहन करना गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए मुश्किल हो गया है। इसका सबसे ज्यादा असर 9वीं से 12वीं तक पढऩे वाले विद्यार्थियों पर पड़ रहा है। ड्रॉप-आउट की संख्या भी बढ़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल तक तो जैसे-तैसे बच्चे पहुंच जाते हैं, लेकिन कॉलेज की पढ़ाई उनके लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है। रोजाना ऑटो से आना-जाना इतना महंगा पड़ता है कि कई परिवार बच्चों की पढ़ाई छुड़ाने को मजबूर हो जाते हैं।
हिरवारा-देवरीहटाई-बड़वारा मार्ग पर दो दर्जन से अधिक गांव बसे हैं, जो भले ही शहर से लगे हों, लेकिन यहां बस सेवा नदारद है। रिटायर्ड शिक्षक मार्तण्ड सिंह राजपूत बताते हैं कि सलैया, कौडिय़ा, हिरवारा, गाताखेड़ा, हीरापुर कौडिय़ा, केवलारी, पिपरिया, सिमरा, बिछिया, सर्रा, सिघनपुरी, मेनहरी, गुबराघई, टेढ़ी, नन्हवारा, भगनपुरा और चांदन-चिरुहली जैसे गांवों के छात्र तिलक कॉलेज तक पहुंचने के लिए रोजाना महंगा और असुरक्षित सफर करते हैं। स्कूली शिक्षा तक तो किसी तरह व्यवस्था हो जाती है, लेकिन कॉलेज की पढ़ाई आर्थिक बोझ बन जाती है। इसी वजह से कई बेटियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है।
आजाद चौक से कैलवाराखुर्द, खरखरी, बिरुहली, सुगमा, मसंधा होते हुए रीठी जाने वाले मार्ग में लगभग 20 गांव आते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता उमेश त्रिपाठी के अनुसार इन इलाकों से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं रोज कटनी शहर के स्कूल-कॉलेज आते हैं।
पूरे मार्ग में सिर्फ एक सिटी बस का सहारा है। अगर वह छूट गई तो छात्रों को मजबूरी में ऑटो लेना पड़ता है, जिसका कई बार किराया देना उनकी जेब से बाहर होता है।
माधवनगर से इमलिया, धपई, तखला, पहाड़ी, अमीरगंज, छहरी और बडख़ेरा जैसे गांवों के लिए भी बस सेवा नहीं है। यहां के ग्रामीण और विद्यार्थी पूरी तरह निजी वाहनों और ऑटो पर निर्भर हैं। समाजसेवी अखिल पांडे का कहना है कि इस मार्ग पर बसों की कमी का सबसे ज्यादा असर उच्च शिक्षा के लिए शहर आने वाली छात्राओं पर पड़ता है। परिवहन असुरक्षित और अनियमित होने के कारण कई परिवार लड़कियों को शहर भेजने से कतराते हैं। कई बार सिटी बस संचालन की मांग की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई हैं।
परिवहन संकट का सबसे बड़ा खामियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ रहा है। असुरक्षित सफर, अनियमित साधन और बढ़ता खर्च कई परिवारों को बेटियों की पढ़ाई छुड़ाने पर मजबूर कर रहा है। नतीजतन, शहर से जुड़े गांवों में ही शिक्षा का सपना अधूरा रह जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इन मार्गों पर नियमित बस सेवा शुरू की जाए तो न सिर्फ शिक्षा, बल्कि रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच भी आसान हो सकती है।
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Published on:
29 Dec 2025 12:35 pm


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