AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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नगरीय क्षेत्र में मुख्यमंत्री पट्टा वितरण योजना को लेकर एसडीएम ऋषि सिंघई के द्वारा निगम कर्मचारियों से अभद्रतापूर्ण संवाद किए जाने का मामला तूल पकड़ लिया है। लामबंद कर्मचारियों ने महापौर अमृता यादव को ज्ञापन सौंपा। महापौर एमआईसी, पार्षदों और पार्टी संगठन के पदाधिकारियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंची।

कलेक्टर ऋषव गुप्ता से कहा जनप्रतिनिधियों के सम्मान की बात है। आप कार्रवाई नहीं करेंगे तो सदन में निंदा प्रस्ताव लगाकर मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजेंगे। हमारे सम्मान की बात है कोई समझौता नहीं करेंगे। कलेक्टर बोले हम वादा नहीं करते हैं। कर्मचारियों से कथन लेकर कार्रवाई करेंगे। एक घंटे तक मंथन के बाद हाल नहीं निकला। कलेक्टर ने एसडीएम की वकालत की। फिर भी बात नहीं बनी।

जनप्रतिनिधियों का असंतोष बढ़ता देख भाजपा जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह तोमर ने हस्तक्षेप किया। तोमर ने कलेक्टर से कहा एक अधिकारी हमारे जनप्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार जैसे शब्द बोलता है। इससे हमारे पार्टी की छवि खराब हुई है। जांच करें और यहां से हटाएं। इधर, महापौर के एक्शन में बाद एसडीएम ने खेद व्यक्त करने का वीडियो वायरल किया है।
बैठक में शुरु होते ही महापौर अमृता यादव ने कलेक्टर से सवाल किया कि पट्टा वितरण की जिम्मेदारी आप की है। कर्मचारी, पार्षद सहयोग करते हैं।जनप्रतिनिधियों पर अभद्र भाषा बोलने का अधिकार किसने दिया। एक अधिकारी को बोलने का यही तरीका है। कलेक्टर ने जवाब दिया कि उनका ( एसडीएम ) कहना है। मेरे द्वारा ऐसा कुछ नहीं बोला गया। छोटे से मैटर को इतना तूल क्यों दिया जा रहा हैं। कर्मचारियों ने मुझे पार्षदों की बात नहीं बताई थी। उन्हें समझा दिया हूं। सभी सुबह से शाम तक टेंशन में होते हैं। छोटी-मोटी बातें हैं हम सब एक परिवार के हिस्सा हैं।
भाजपा अध्यक्ष : हमारे पार्टी की छवि खराब हुई, कलेक्टर : कर्मचारियों का कथन लेकर जांच करेंगे
एमआईसी : हमारी सरकार के खिलाफ कांग्रेस को बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया कि भाजपा की सरकार भ्रष्टाचारी : कलेक्टर : किसने दे दिया
एमआईसी : सम्मान की बात है। मीडिया में आने के बाद जनता पढ़ रही है।
कलेक्टर : मीडिया तो कई बार मुझसे बगैर पूछे मेरी बात छाप देती है। मीडिया में छपी बातें कोर्ट एवीडेंस नहीं मानता है। किसी भी बात को बढ़ा-चढ़ाकर छपती है। हम सभी चीजों को कंट्रोल नहीं कर सकते।
एमआईसी : निगम के एक कर्मचारी को खड़े करके कहा गया कि आप कमिश्नर के पिट्ठू हो।
कलेक्टर : जो हुआ उसे छोड़िए, शब्दों पर नहीं जाएं।
महापौर : कर्मचारी एसआइआर में लगे हैं। पूरा काम ठप पड़ा हैैै।
कलेक्टर : पट्टों की फाइलों पर दस्तखत कराने को लेकर ऐसी कोई बात आई होगी।
महापौर : कर्मचारियों के बीच जनप्रतिनिधियों की बात कहां से आई।
पार्षद : आईएएस संतोष वर्मा की बात मीडिया में आई, सरकार ने संज्ञान लिया।
कलेक्टर : मेरा अनुरोध है मीडिया में क्या छप रही है। गंभीरता से न लें।
एमआईसी सदस्य : एसडीएम का बचाव कर रहे हैं। एसडीएम को बुलाएं माफी मांगे।
कलेक्टर : किस आधार पर मांगे, उसने कहा ही नहीं है। हम मीडिया से बात करेंगे।
महापौर : मैं यहां पर कुछ बात बोल दूं, बाहर जाकर बोल कह दूं कि मैने नहीं बोला।
कलेक्टर जवाब : मेरी आप से रिक्वेस्ट है एक बार उसे छोड़ दिया जाए।
महापौर : हम यहां सुनने नहीं बैठ हैं ।
महापौर : पचास कर्मचारी झूठ और एक अधिकारी सही।
कलेक्टर : दबाव बनाया जा रहा है।
एमआईसी : कौन दबाव बना रहा है। एसडीएम एक नाम भी बताएं सभी इस्तीफा दे देंगे।
कलेक्टर : इस तरह की बात प्रशासनिक में होती रहती है।
महापौर : सम्मान की बात है हम समझौता नहीं करेंगे।
कलेक्टर : वादा नहीं करता हूं। तथ्यों की जांच करेंगे।
पार्षद : आप पर काई आरोप लगाए।
कलेक्टर : मेरे ऊपर तो रोज आरोप लगते हैं।
पार्षद : आरोप लगाना जनता का अधिकारी है उसका हम विरोध नहीं करते।
कलेक्टर : मैडम आप लोग बढ़ा दिल करिए।
महापौर : हम सम्मान से दिल को बढ़ा नहीं कर पाएंगे।
पार्षद : निगम और एसडीएम को यहां बुला लीजिए।
कलेक्टर : ऐसा नहीं करेंगे, बैठकर हम उनसे बात करेंगे।
पार्षद : ऐसे आरोप लगेंगे हम जनता में क्या मुंह दिखाएंगे।
कलेक्टर : सेवा के लिए आए हो, आरोप-प्रत्यारोप जीवन का एक हिस्सा है।
पार्षद : विपक्ष लगाए, जनता लगाए हमें सुनने के लिए बैठे हैं।
कलेक्टर : हम लोगों पर भी तरह-तरह की टिप्पणी हाेती रहती है।
पार्षद : हम सभी पार्षद यहां आए हैं आप अधिकारी का पक्ष ले रहे हैं।
कलेक्टर : हम मना नहीं कर रहे हैं एक बार कर्मचारियों से बात करेंगे।
एमआईसी : आप नहीं करेंगे तो सदन में निंदा प्रस्ताव लगाएं सीएम साहब को भेजेंगे।
कलेक्टर : ये आप का अधिकार है। हमने अपनी बात कह दी है।
महापौर ने मुख्य मंत्री को सौंपा ज्ञापन
एसडीएम ने कर्मचारियों को भ्रष्ट, बैल जैसे शब्दों बोला गया।
कर्मचारियों के सम्मान एवं गरिमा को ठेस पहुंचाई गई।
जनप्रतिनिधियों से मिली भगत कर भ्रष्टाचार का आरोप लगाए गए।
सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन किया गया।
एसडीएम के इस कृत्य से निगम की सार्वजनिक छवि धूमिल हुई।
लोक सेवकों की गरिमा, संवैधानिक मूल्यों एवं सुशासन की भावना के भी प्रतिकूल है। अनियमितता की स्थित निर्मित हुई।
महापौर ने मुख्यमंत्री से किया अनुरोध
एसडीएम के आचरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
अनुशासनात्मक व प्रशासनिक कार्यवाही की जाए।
निगम के पार्षदों को भ्रष्टाचार में संलिप्त बताया गया।
इस कृत्य के लिए एसडीएम के द्वारा सार्वजनिक माफी मांगी जाए।
भविष्य में निगम कर्मचारियों के साथ इस प्रकार का अपमान जनक एवं अमर्यादित व्यवहार की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
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Published on:
18 Dec 2025 12:28 pm


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