AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। लेकिन सियासी हलचल सदन के बाहर ज्यादा दिख रही है। इसी बीच ब्राह्मण विधायकों की एक बड़ी बैठक ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज कर दी है। इसे ब्राह्मण विधायकों का नया “जुटान” माना जा रहा है।
शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार शाम कुशीनगर से भाजपा विधायक पीएन पाठक (पंचानंद पाठक) के लखनऊ स्थित आवास पर ब्राह्मण विधायकों की बैठक हुई। इस बैठक में पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्र से करीब 45 से 50 विधायक पहुंचे। खास बात यह रही कि इसमें केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि अन्य दलों से जुड़े ब्राह्मण विधायक भी शामिल हुए।
बैठक में मिर्जापुर से विधायक रत्नाकर मिश्रा और एमएलसी उमेश द्विवेदी की अहम भूमिका बताई जा रही है। वहीं देवरिया से विधायक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व मीडिया सलाहकार डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी भी बैठक में मौजूद रहे। इसके अलावा बांदा, बदलापुर, खलीलाबाद, नौतनवां, तरबगंज, मेहनौन सहित कई सीटों के विधायक शामिल हुए।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में ब्राह्मण समाज की मौजूदा स्थिति पर खुलकर चर्चा हुई। विधायकों का कहना था कि जाति आधारित राजनीति में कई वर्ग मजबूत हो गए हैं। लेकिन ब्राह्मण समाज खुद को हाशिये पर महसूस कर रहा है। उनका आरोप है कि संगठन और सरकार में उनकी बातों को गंभीरता से नहीं सुना जा रहा।
इस बैठक को “सहभोज” नाम दिया गया है। यूपी विधानसभा में इस वक्त कुल 52 ब्राह्मण विधायक हैं। जिनमें से 46 भाजपा से हैं। इससे पहले मानसून सत्र के दौरान ठाकुर समाज के विधायकों ने भी इसी तरह की बैठक की थी। हाल ही में भाजपा नेता सुनील भराला द्वारा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की कोशिश और बाद में उसका रुकना भी इसी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं इटावा कथावाचक कांड के बाद ब्राह्मण समाज में असंतोष और बढ़ा है। सोशल मीडिया पर भी सरकार और विधायकों के खिलाफ नाराजगी खुलकर सामने आ रही है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
24 Dec 2025 10:07 am


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