AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Bhagwat-Yogi Meeting Accelerates Sanatani Cultural Agenda: लखनऊ में आयोजित दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव का मंच रविवार को देश के सांस्कृतिक और राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन गया, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आमने-सामने दिखाई दिए। यह सिर्फ एक सार्वजनिक कार्यक्रम भर नहीं था, बल्कि दोनों नेताओं के भाषणों, संकेतों और साझा संदेशों ने आने वाले समय में सनातनी चेतना और सांस्कृतिक एजेंडे की दिशा और गति का स्पष्ट संकेत दे दिया।

कार्यक्रम के दौरान भागवत और योगी की मुलाकात व संक्षिप्त गुफ्तगू के बाद दिये गए भाषणों में हिंदुत्व, सनातन, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की बार-बार चर्चा हुई। इसे राजनीतिक गलियारों में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा होने वाले ध्वजारोहण से महज दो दिन पहले यह मुलाकात हुई है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि यह संवाद प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि योजनाबद्ध रणनीति का हिस्सा है।
सीएम योगी आदित्यनाथ अपने भाषण में बेहद स्पष्ट और मुखर नजर आए। उन्होंने महाभारत और गीता के संदर्भों के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की कि धर्म और अधर्म का संघर्ष अनादिकाल से चला आ रहा है, और अंत में विजय सदैव धर्म की ही होती है। लेकिन योगी की यह व्याख्या सिर्फ धार्मिक संदर्भ नहीं थी; इसके भीतर उनकी शासन-नीति का स्वरूप, और आने वाले वर्षों में सरकार के फोकस क्षेत्रों का संकेत भी छिपा था।

योगी ने कहा कि उनकी सरकार उस सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में पूरी गंभीरता से काम कर रही है, जिसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय विस्तार से उल्लेख किया था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राम मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा, सांस्कृतिक चेतना, राष्ट्रीय गौरव और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। योगी ने स्पष्ट कर दिया कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सनातनी मूल्यों को केंद्र में रखकर यूपी सरकार आगे और अधिक सक्रिय दिखाई देगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संघ प्रमुख की मौजूदगी में कई संवेदनशील मुद्दों पर बेहद कठोर रुख अपनाया। उन्होंने घुसपैठ को देश की सुरक्षा और सांस्कृतिक संतुलन के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि प्रदेश में चल रही घुसपैठ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। योगी ने घोषणा की कि प्रदेश के सभी जिलों में अस्थायी डिटेंशन सेंटर बनाए जाएंगे, ताकि अवैध घुसपैठियों को चिन्हित कर जल्द से जल्द उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
धर्मांतरण के मुद्दे को भी योगी ने पूरी मजबूती से उठाया। मिशनरी गतिविधियों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कई जगहों पर धार्मिक परिवर्तन के नाम पर सामाजिक फूट और सांस्कृतिक विघटन पैदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्व जो समाज को बांटने का काम करते हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
योगी और भागवत दोनों ने अपने-अपने संबोधन में सनातन, हिंदू समाज की एकजुटता, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रवाद पर अत्यधिक जोर दिया। विश्लेषकों का मानना है कि योगी जिस तरह से इन मुद्दों पर मुखर हो रहे हैं, वह केवल सरकारी नीति का हिस्सा नहीं बल्कि संघ के व्यापक एजेंडे से गहराई से जुड़ा हुआ है।

संघ वर्षों से घुसपैठ, धर्मांतरण, सांस्कृतिक संरक्षण और हिंदुत्व आधारित सामाजिक संरचना पर कार्य करता आया है। योगी सरकार का हालिया रुख बताता है कि आने वाले समय में सरकार और संघ का यह साझा एजेंडा और अधिक गतिशील रूप में सामने आ सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मुलाकात और इसके बाद व्यक्त विचार एक संयुक्त रणनीति का संकेत हैं, जिसमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद प्रमुख धुरी बनने जा रहा है।
इस मुलाकात की टाइमिंग भी बेहद अहम मानी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर पर ध्वजारोहण करने वाले हैं, जो भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक यात्रा में ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है। उससे ठीक पहले सीएम योगी और भागवत की साझा उपस्थिति यह संकेत देती है कि अब राम मंदिर को केंद्र में रखकर नया सांस्कृतिक-राजनीतिक अध्याय शुरू होने जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी के 22 महीने पहले दिए गए वक्तव्य,जिसमें उन्होंने राम मंदिर को राष्ट्र की सुरक्षा और सांस्कृतिक चेतना का स्तंभ बताया था.अब वास्तविक नीतिगत रूप में और अधिक स्पष्टता के साथ लागू होते दिख रहे हैं। योगी के भाषण इसे ही आगे बढ़ाते नजर आए।
कार्यक्रम के मंच से योगी आदित्यनाथ ने जो संदेश दिए, उनके आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी महीनों में निम्न मुद्दे गति पकड़ सकते हैं:
इन सभी संकेतों के माध्यम से यह स्पष्ट है कि यूपी सरकार आने वाले समय में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को सिर्फ विचार नहीं, बल्कि कार्यान्वित नीतियों के रूप में स्थापित करेगी।
योगी ने अपने भाषण में बार-बार गीता के ज्ञान को आधार बनाया। उन्होंने कहा कि जब समाज धर्म से भटकता है, तब अधर्म प्रबल होता है, और ऐसे समय में धर्म की रक्षा के लिए कठोर निर्णय आवश्यक हो जाते हैं। योगी का यह संदेश प्रशासनिक निर्णयों की कठोरता की ओर भी संकेत करता है।
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Published on:
24 Nov 2025 12:59 pm


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