AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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लखनऊ : यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बीच मंगलवार शाम हुई ब्राह्मण विधायकों की बैठक से सियासी पारा बढ़ गया है। यह बैठक कुशीनगर से भाजपा विधायक पीएन पाठक (पंचानंद पाठक) के लखनऊ स्थित आवास पर हुई। इस बैठक की खबर सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं।
भाजपा विधायक पीएन पाठक ने बैठक को लेकर सफाई देते हुए कहा कि इसे किसी राजनीतिक रणनीति या गुटबाजी से जोड़कर देखना गलत है। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले विधानसभा में बैठे-बैठे बातचीत के दौरान लिट्टी-चोखा कार्यक्रम का विचार आया था। संयोग से उनके घर पर इसकी व्यवस्था संभव थी, इसलिए सभी को आमंत्रित किया गया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह अनौपचारिक और सामाजिक मुलाकात थी, जिसमें संगठन और विकास से जुड़े विषयों पर बातचीत हुई।
पीएन पाठक ने कहा, 'जब लोग आपस में बैठते हैं, तो स्वाभाविक है कि बच्चों, परिवार और समाज की बातें होती हैं। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। विपक्ष बेवजह इसे मुद्दा बना रहा है क्योंकि उनके पास कोई ठोस सवाल नहीं है।' उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज शुरू से बीजेपी के साथ रहा है, आज भी है और आगे भी रहेगा। समाज को लेकर अगर कहीं कोई समस्या आती है, तो हमारा कर्तव्य बनता है कि वे अपने समाज के साथ खड़े हों।
भाजपा विधायक ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि विपक्ष बार-बार यह कहने की कोशिश करता है कि ब्राह्मण समाज उपेक्षित है, जबकि सच्चाई यह है कि ब्राह्मण समाज ने हमेशा भाजपा का साथ दिया है। पीएन पाठक ने कहा, ''हम पार्टी के कार्यकर्ता हैं, यहां जात-पात की राजनीति नहीं होती। ब्राह्मण समाज भाजपा के साथ था और रहेगा।''
इस बैठक पर निषाद पार्टी के विधायक अनिल कुमार त्रिपाठी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज हमेशा से सबके कल्याण के लिए काम करता आया है। ब्राह्मण अपने लिए नहीं, समाज और देश के लिए त्याग करता है। देश को बेहतर और समृद्ध बनाने में उसकी भूमिका रही है। हालांकि उन्होंने चिंता भी जताई कि जिस तरह से प्रदेश और देश में ब्राह्मण समाज पर हमले और तनाव की खबरें सामने आ रही हैं, वह गंभीर विषय है और इस पर चर्चा होना जरूरी है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या बैठक में किसी बड़े ब्राह्मण चेहरे को आगे लाने या नेतृत्व को लेकर बात हुई, तो उन्होंने साफ कहा कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। आर्थिक मदद या एफआईआर जैसे मुद्दों पर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह काम तो विधायक नियमित रूप से करते ही रहते हैं।
यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस पूरे मामले को जातिगत राजनीति से जोड़ते हुए कहा कि यह देश पहले कृषि प्रधान था, अब जाति प्रधान बन गया है। उन्होंने कहा, ''जब तक तहसीलों में जाति प्रमाण पत्र बनते रहेंगे, तब तक जातिवाद खत्म नहीं होगा।'' राजभर ने यह भी कहा कि अगर किसी समाज को परेशानी है तो उसे मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखनी चाहिए।
इधर, ब्राह्मण विधायकों की बैठक को लेकर विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला। सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने कहा कि यह बैठक उन लोगों की है, जिनकी सुनवाई नहीं हो रही है। उनके मुताबिक लगातार उपेक्षा से परेशान लोग जब अपनी बात नहीं रख पाते, तो मजबूरन ऐसे मंच तलाशते हैं। ऐसा लगता है कि जो लोग खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, उन्होंने मिलकर कोई रणनीति बनाई है ताकि सरकार तक उनकी आवाज पहुंचे।
अमिताभ बाजपेयी ने यह भी कहा कि इससे पहले ठाकुर समाज की भी बैठक हुई थी और अब ब्राह्मण विधायकों की बैठक हो रही है। यह साफ संकेत है कि समाज के अलग-अलग वर्ग खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ''यह ऐसा दर्द है जिसे न ठीक से सहा जा रहा है, न खुलकर कहा जा रहा है।''
सपा विधायक ने आगे कहा कि आज प्रदेश में समाज दो हिस्सों में बंट गया है, एक लाभान्वित वर्ग, जिसे जाति देखकर सीधे लाभ मिल जाता है और दूसरा वह बड़ा वर्ग, जिसे कोई लाभ नहीं मिल रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि ठेके, पट्टे और बड़े पदों पर नियुक्तियां एक खास वर्ग तक सीमित होती जा रही हैं। अगर आप खुद जांच करेंगे, तो फर्क साफ दिखाई देगा।
उनका कहना है कि बीजेपी में सिर्फ ब्राह्मण ही नहीं, बल्कि किसी भी वर्ग की सुनवाई नहीं हो रही। सत्ता में सिर्फ एक ही वर्ग की चल रही है, बाकी सब खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
(रिपोर्ट-IANS)
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
24 Dec 2025 04:39 pm
Published on:
24 Dec 2025 04:38 pm


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