AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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UP News: 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में एक बात बहुत तेजी से जोर पकड़ने लगी है कि क्या दलित समाज का भाजपा से मोहभंग हो गया है? उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम तो कुछ इसी तरफ इशारा करते हैं। इस बार के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के शानदार प्रदर्शन ने भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। सूबे की सियासत में जिसे नामुमकिन कहा जाता था, उसे अखिलेश यादव ने मुमकिन कर दिया। जाटव यानी हरिजन मतदाताओं के एक हिस्से ने इस बार मायावती की अगुवाई वाली बसपा (BSP) का साथ छोड़ कर साइकिल की सवारी कर ली। इतना बड़ा सियासी उलटफेर यूपी में क्यों और कैसे हुआ? इसे जानने के लिए भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने पार्टी के दलित नेताओं के साथ बैठक कर नुकसान पर मंथन किया।
जानकारी के मुताबिक बीएल संतोष के इस बैठक में उत्तर प्रदेश योगी सरकार के सभी 7 दलित मंत्री शामिल हुए। इसके साथ ही बैठक में दलित समुदाय के कुछ और नेताओं को भी बुलाया गया था। बैठक में सभी मंत्रियों से ये सवाल किया गया कि 2024 का लोकसभा चुनाव इतना खराब क्यों हुआ? सभी नेताओं से 2 सुझाव भी मांगे गए हैं। बीजेपी के इस मंथन बैठक में सभी ने कहा कि सरकारी नौकरी के बदले राज्य में अधिकतर काम आउटसोर्सिंग से हो रहे हैं। इसमें आरक्षण का फार्मूला लागू नहीं होता है। ओबीसी यानी पिछड़े और दलित समाज में इसका बहुत ही खराब संदेश गया है। अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस नैरेटिव को प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ाया जिससे पार्टी को नुकसान हुआ।
इस मीटिंग में मौजूद एक मंत्री ने संविदा पर दिए जाने वाली नौकरियों में भी आरक्षण का फार्मूला लागू करने की मांग की। मंत्री ने ये भी कहा कि इसमें उसी वर्ग की महिलाओं की भी आधी हिस्सेदारी होनी चाहिए। वहीं इस बैठक में शामिल सभी लोगों ने कहा कि विपक्षी दल आरक्षण खत्म करने का नैरेटिव चला कर बीजेपी का नुकसान कर दिया।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
07 Jul 2024 08:51 pm


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