AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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High Court Strict: राजधानी लखनऊ के हुसैनगंज क्षेत्र में स्थित चुटकी भंडार बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज में पढ़ने वाली पांच सौ से अधिक छात्राओं के जीवन को लेकर गंभीर चिंता सामने आई है। विद्यालय के जर्जर और खतरनाक भवन में लगातार शैक्षणिक गतिविधियां संचालित किए जाने के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार पाण्डेय ने उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ में जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर 19 दिसंबर को सुनवाई हुई, जिसमें न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए मामले की अगली सुनवाई 09 जनवरी 2026 को तय की है।
जनहित याचिका में बताया गया है कि चुटकी भंडार बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज का भवन 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यह भवन समय के साथ पूरी तरह जर्जर हो चुका है। याचिका के अनुसार, लोक निर्माण विभाग (PWD) और नगर निगम द्वारा इस भवन को कई बार असुरक्षित और खंडहर घोषित किया जा चुका है। बावजूद इसके, विद्यालय प्रशासन द्वारा न तो कोई ठोस कदम उठाया गया और न ही छात्राओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। भवन की दीवारों में गहरी दरारें हैं, छत कभी भी गिर सकती है और आधार संरचना कमजोर हो चुकी है। विशेषकर वर्षा ऋतु में भवन की स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब पानी रिसने और दीवारें गिरने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि इतने गंभीर खतरे के बावजूद विद्यालय में नियमित रूप से कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। इतना ही नहीं, नए शैक्षणिक सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया भी जारी रखी गई है। इसका अर्थ यह है कि प्रतिदिन सैकड़ों छात्राएं, शिक्षक और कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर इस जर्जर भवन में मौजूद रहते हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह स्थिति किसी भी समय बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। यदि भवन का कोई हिस्सा अचानक गिरता है, तो बड़ी संख्या में छात्राओं के हताहत होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

जनहित याचिका में न्यायालय से कई अहम मांगें की गई हैं, जिनमें प्रमुख रूप से जर्जर और खतरनाक भवन में तत्काल सभी शैक्षणिक गतिविधियां रोकी जाएं। छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों को किसी सुरक्षित वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। विद्यालय के इस खतरनाक भवन को ध्वस्त कराया जाए। नए, सुरक्षित भवन के निर्माण और उसके सुरक्षा प्रमाणन तक विद्यालय संचालन पर रोक लगाई जाए। याचिकाकर्ता का तर्क है कि शिक्षा का अधिकार तभी सार्थक है, जब छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। यदि प्रशासन को पहले से खतरे की जानकारी है, तो लापरवाही आपराधिक श्रेणी में आती है।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वीर राघव चौबे ने पक्ष रखा और विद्यालय भवन की जर्जर हालत से न्यायालय को अवगत कराया। राज्य सरकार की ओर से उपस्थित स्थायी अधिवक्ता ने मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए समय की मांग की। न्यायालय ने राज्य सरकार को समय देते हुए निर्देश दिया कि मामले में आवश्यक कार्रवाई कर स्थिति से अवगत कराया जाए। इसके साथ ही, न्यायालय ने मामले को 09 जनवरी 2026 को पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
याचिकाकर्ता विजय कुमार पाण्डेय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि समय रहते छात्राओं को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित नहीं किया गया और किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक स्कूल का नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों के भविष्य और बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। उनका कहना है कि प्रशासन की निष्क्रियता और उदासीनता के कारण छात्राओं का जीवन दांव पर लगा हुआ है। ऐसे में न्यायालय का हस्तक्षेप बेहद आवश्यक है।
इस पूरे मामले को लेकर छात्राओं के अभिभावकों में भी भारी रोष और चिंता का माहौल है। कई अभिभावकों का कहना है कि वे रोज डर के साये में अपनी बेटियों को स्कूल भेजते हैं। भवन की हालत देखकर उन्हें हर दिन किसी अनहोनी का डर सताता है, लेकिन मजबूरी में बच्चों को स्कूल भेजना पड़ रहा है। अभिभावकों ने मांग की है कि प्रशासन तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करे और छात्राओं के लिए सुरक्षित व्यवस्था सुनिश्चित करे।
गौरतलब है कि देश और प्रदेश में पहले भी कई बार जर्जर स्कूल भवनों के गिरने से मासूम बच्चों की जान जा चुकी है। ऐसे मामलों के बाद प्रशासन पर सवाल उठते हैं, लेकिन समय रहते कार्रवाई न होने से ऐसी घटनाएं दोहराई जाती हैं। चुटकी भंडार बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज का मामला भी उसी लापरवाही की ओर इशारा करता है।
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Published on:
21 Dec 2025 10:00 am


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