AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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UP News: यूपी का एंटी रोमियो स्क्वाड (ARS) एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह पड़ोसी बिहार है। बिहार में पहली बार गृह मंत्रालय भाजपा के कोटे में गया है। सम्राट चौधरी राज्य के नए गृह मंत्री बनाए गए हैं। उन्होंने पद संभालते ही कहा कि उनके राज्य में भी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ रोकने के लिए यूपी की तरह ARS बनाया जाएगा।
यूपी में भाजपा की योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने 2017 में एआरएस बनाया था। इसका मकसद सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को सड़क छाप मनचलों से बचाना और सुरक्षा देना था। हर एक एंटी रोमियो दस्ते में एक सब-इंस्पेक्टर के साथ कम से कम एक महिला और एक पुरुष सिपाही रखा गया। 2017 में जहां इस दस्ते ने 7.97 लाख स्थानों पर चेकिंग की, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 53.47 लाख पर पहुंच गया।
यूपी सरकार के आंकड़े बताते हैं कि आठ साल में ARS ने सार्वजनिक जगहों पर 4.5 करोड़ से ज्यादा लोगों की चेकिंग की। मतलब कुल आबादी (2011 की जनगणना के मुताबिक 19.98 करोड़) के 20 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों की चेकिंग हुई। दूसरे शब्दों में कहें तो यूपी का हर पांचवा व्यक्ति शक के दायरे में आया।
मार्च 2017 से मार्च 2024 के बीच 3,90,64,523 लोगों की निगरानी/जांच हुई, जबकि 1,44,06,253 को नोटिस दिया गया और 32,077 पर कानूनी कार्रवाई की गई। मार्च 2025 में यूपी पुलिस के मुखिया ने जानकारी दी थी कि फरवरी तक 1.8 करोड़ स्थानों पर 4.5 करोड़ से ज्यादा लोगों की चेकिंग की जा चुकी थी।
यूपी में एआरएस की आलोचना भी हुई, लेकिन भाजपा ने इसे पूरी तरह सफल बताया। साथ ही, इसे 2022 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में पार्टी की फिर से जीत का एक कारण भी बताया। 2017 के चुनाव में भाजपा ने एआरएस के गठन का वादा किया था। सीएम बनने के पहले हफ्ते में ही योगी आदित्य नाथ ने यह वादा पूरा कर दिया था। इस साल अगस्त के आखिर में उन्होंने यूपी के सभी जिलों में एआरएस को और सक्रिय बनाने का आदेश दिया था।
बिहार में 2018 से 2023 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1,11,990 मामले दर्ज हुए। इन 6 सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में करीब 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
| साल | दर्ज मामले |
|---|---|
| 2018 | 16,920 |
| 2019 | 18,587 |
| 2020 | 15,359 |
| 2021 | 17,950 |
| 2022 | 20,222 |
| 2023 | 22,952 |
इस दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ही शासन रहा है। कुछ समय वह राजद के साथ मिल कर सत्ता में रहे। बाकी वक्त भाजपा उनके साथ थी। इस दौरान गृह मंत्रालय अमूमन सीएम नीतीश के पास ही रहा। ताजा जीत के बाद नीतीश को यह विभाग गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को देना पड़ा है।
दिल्ली चुनाव में भी भाजपा ने चुनाव के समय ऐसा दस्ता बनाने का वादा किया था। पार्टी की सरकार बनने के बाद मार्च में दिल्ली पुलिस ने 'शिष्टाचार दस्ता' नाम से इसका गठन किया। हर जिले में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) की अगुआई में दो एआरएस गठित करने का फैसला हुआ। एक दस्ते में एक इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर के अलावा पांच पुरुष और चार महिला पुलिसवाले (एएसआई, हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल) रखे गए।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
26 Nov 2025 05:27 pm
Published on:
26 Nov 2025 04:49 pm


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