AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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UP Panchayat Chunav 2026 : उत्तर प्रदेश में 2026 के पंचायत चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। वहीं दूसरी तरफ सियासी दलों का पारा आसमान छू रहा है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य, जिला पंचायत सदस्य या जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का ख्याल है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इन पदों पर क्या-क्या जिम्मेदारियां हैं, अधिकार क्या मिलते हैं, सुविधाएं क्या हैं।
गांव की असली ताकत प्रधान है। गांव में सबसे अहम भूमिका ग्राम प्रधान की होती है और जो 5 साल के लिए चुना जाता है। यह गांव के विकास में सरकारी योजनाओं के परिचालन और ग्रामीण प्रशासन का प्रमुख माना जाता है।
ग्राम प्रधान को ग्राम पंचायत के सारे फैसले लेने का हक होता है। वो ग्राम सभा की मीटिंग की अगुवाई प्रधान द्वारा की जाती है, जहां गांव वाले अपनी परेशानियां रखते हैं। भूमि प्रबंधक समिति का चेयरमैन भी होता है, यानी गांव की जमीन, जंगल, बाजार, तालाब जैसी संपत्तियों का रख-रखाव और पूरी तरह से निगरानी उसके हाथ में होती है। साथ ही, सरकारी फंड्स (जैसे मनरेगा, 15वें वित्त आयोग की ग्रांट) का इस्तेमाल करने का अधिकार प्रधान को होता है। अगर कोई नियम तोड़े, तो वो जुर्माना भी लगा सकता है।
ग्राम प्रधान को गांव में सड़क, पानी, बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र जैसी सुविधाएं का इंतजाम करना पड़ता है। सरकारी योजनाओं को लोगों के उतारना उतरना होता है, जैसे पीएम आवास योजना से घर बनवाना, स्वच्छ भारत से शौचालय लगवाना, मनरेगा से मजदूरी दिलवाना। ग्राम सभा की कम से कम साल में चार मीटिंग्स बुलानी जरुरी होता है , जहां सबकी राय लेनी है। फंड्स का हिसाब-किताब दिखाना पड़ता है। गांव की प्रगति तेरी जिम्मेदारी, पूरी प्रधान पर होती है। अगर तीन मीटिंग मिस कर दी, तो हटाया जा सकता है।
ग्राम प्रधानों को कई तरह की सुविधाएं मिलती है। मीटिंग में आने-जाने का ट्रैवल अलाउंस दिया जाता है। कुछ जिलों में फ्री मेडिकल चेकअप या पेंशन स्कीम का फायदा दिया जाता है , लेकिन ये राज्य स्तर पर फिक्स नहीं होता है। सबसे बड़ा अच्छी बात ये है कि गांव वाले तुम्हें सम्मान देते हैं और योजनाओं से पूरा गांव सुधरता है।
ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (Block Development Council) का सदस्य होता है, जो भारत की पंचायती राज व्यवस्था में ब्लॉक स्तर पर काम करते हैं, ग्राम पंचायतों के विकास में मदद करते हैं और स्थानीय मुद्दों को उठाते हैं, और इन्हें क्षेत्र पंचायत सदस्य भी कहा जाता है।
बीडीसी सदस्य क्षेत्र पंचायत की मीटिंग में वोट डाल सकते हैं, सवाल कर सकते हैं। लोकल टैक्स लगाने, बजट पास करने और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (जैसे सड़क, स्कूल) पर फैसला लेने का अधिकार होता है। कमिटी बनाकर स्पेसिफिक काम बांट सकते हैं। अगर जरूरी लगा, तो इंस्पेक्शन भी कर सकते हैं।
ब्लॉक के विकास के कामों पर नजर रखनी, ग्राम पंचायतों की रिपोर्ट चेक करते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि जैसी योजनाओं को लागू करवाना। साल में कम से कम 6 मीटिंग अटेंड करना जरूरी होता है। कुल मिलाकर, कई गांवों देख रेख बीडीसी द्वारा किया जाता है।
मीटिंग प्रति भत्ता दिया जाता है, ट्रैवल अलाउंस भी मिलता है। कोई फिक्स्ड फैन या वाहन नहीं, लेकिन ब्लॉक लेवल पर नेटवर्किंग का काफी फायदा मिलता है ।
जिला पंचायत सदस्य डिस्ट्रिक्ट की डेवलपमेंट टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो जिला योजना बनाने, ग्राम पंचायतों की योजनाओं का समन्वय करने और जिला स्तर पर विकास कार्यों की निगरानी करने में मदद करते हैं
मीटिंग्स में भाग लेना, सवाल पूछना सकते है। जिले के बजट, टैक्स, विकास योजनाओं (सड़क, अस्पताल) पर फैसला इनके द्वारा लिया जा सकता है । कमेटी में शामिल होकर स्पेशल प्रोजेक्ट्स हैंडल करना। निचली पंचायतों पर कर्मचारियों के काम की निगरानी, मार्गदर्शन, निर्देशन और मूल्यांकन करने का अधिकार होता है।
कर्तव्य क्या हैं?
जिले के ओवरऑल डेवलपमेंट की पूरी निगरानी करते है। योजनाओं का रिव्यू भी किया जाता है । साल में 6 मीटिंग्स करना जरूरी होता है । अगर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी दिखे, तो अपने सीनियर रिपोर्ट करना होता है।
मीटिंग भत्ता और ट्रैवल अलाउंस दिया जाता है। जिला स्तर पर ज्यादा एक्सपोजर भी मिलता है।
जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष के कामकाज की अध्यक्षता करता है, जबकि जिला पंचायत अधिकारी (DPO) प्रशासनिक प्रमुख होता है, जो सरकार द्वारा नियुक्त होता है और ग्रामीण स्थानीय निकायों (ग्राम पंचायतों) के प्रशासन की देखरेख करता है।
बैठकें और निर्णय लेना वित्तीय नियंत्रण बजट को मंजूरी देना, खर्च को नियंत्रित करना और जिला पंचायत के बैंक खातों से निकासी निकालना, प्रशासनिक नियंत्रण और निगरानी करना और उन्हें निर्देश देना। विकास योजनाएं ,ग्राम पंचायतों और ब्लॉक पंचायतों के कार्यों का निरीक्षण और समन्वय करना ,अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण से जुड़ी योजनाओं को लागू करवाना का अधिकार होता है।
जिला पंचायत अध्यक्ष के मुख्य कर्तव्य विकास योजना बनाना व निगरानी करना, बजट तैयार करना, विकास कार्यक्रमों को लागू करना, और ग्राम पंचायतों के कामकाज पर नियंत्रण रखना का कर्तव्य होता है।
आधिकारिक कार्यों के लिए सरकारी वाहन की सुविधा ,सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी दिया जाता है । स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य सुविधाओं के लिए वित्तीय सहायता भी जाती है और इन्हें अक्सर राज्य मंत्री के समकक्ष शक्ति और सम्मान प्राप्त होता है।
ग्राम प्रधान की सैलरी 3500- 5000 रुपए माह प्रति माह ।
बीडीसी सदस्य को 1000- 2000 रुपए प्रति बैठक दिया जाता है।
जिला पंचायत सदस्य को 1,500 रुपए प्रति बैठक दिया जाता है।
जिला पंचायत अध्यक्ष को 15,500 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है।
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लव सोनकर
लव सोनकर - 9 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले 7 सालों से डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं और कई संस्थानों में अपना योगदान दि है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता ए...और पढ़ें...
Published on:
20 Dec 2025 05:01 pm


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