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UP BJP New President : पंकज चौधरी को यूपी बीजेपी अध्यक्ष बना योगी को भी संदेश देना चाहती है भाजपा?

UP BJP New President Pankaj Chaudhary : पंकज चौधरी यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष बने हैं। उन्हें यूपी बीजेपी अध्यक्ष बना कर भाजपा किन समीकरणों को साधना चाहती है और क्या इसमें सीएम योगी के लिए भी कोई संदेश छिपा है?

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महाराजगंज से सात बार सांसद पंकज चौधरी को भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश का BJP अध्यक्ष बनाया है, PC- Patrika

भाजपा ने पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary BJP UP president) को राजनीतिक रूप से सबसे अहम राज्य, उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष चुन लिया है। किसी नेता के सरकार (केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री) से संगठन में वापसी का भाजपा में यह कोई नया उदाहरण नहीं है। लेकिन, सवाल है कि पंकज चौधरी को यूपी भाजपा की कमान देने के पीछे भाजपा की क्या रणनीति हो सकती है? और क्या पंकज चौधरी को अध्यक्ष बना कर पार्टी सीएम योगी को भी कोई देना चाह रही है? इन सवालों के जवाब आगे समझेंगे। पहले जान लेते हैं इस समय राजनीतिक रूप से यूपी सबसे अहम क्यों है?

यूपी विधानसभा चुनाव 2027 ज्यादा दूर नहीं

उत्तर प्रदेश में 2027 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले 2026 में पंचायत चुनाव भी होंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन खराब हो गया था। भाजपा राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 33 ही जीत पाई थी। 2019 में बीजेपी के 62 सांसद थे। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन ने एनडीए को कड़ी चपत लगाई थी।

2024 लोकसभा चुनाव में ध्वस्त हो गया था भाजपा का जातीय समीकरण

भाजपा को पहले केवल अगड़ों की पार्टी माना जाता था, लेकिन धीरे-धीरे उसने सोशल इंजीनियरिंग मजबूत करके यूपी में अपनी स्थिति मजबूत की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में उसका जातीय समीकरण बिखर गया। 2019 की तुलना में उसे ज्यादातर जातियों ने कम वोट दिए। दोनों चुनावों में उसे किस जाति से कितने वोट मिले, यह नीचे के टेबल में देखा जा सकता है।

2019 लोकसभा चुनाव में कुर्मी-कोयरी के 80 फीसदी वोट एनडीए को मिले थे

समूह (Groups)कांग्रेस (Congress)बीजेपी+ (BJP+)एमजीबी (MGB)अन्य (Others)
उच्च जाति (ब्राह्मण, जाट, राजपूत, वैश्य और अन्य)68374
यादव (Yadav)5236012
कुर्मी-कोयरी (Kurmi-Koeri)580141
अन्य ओबीसी (Other OBCs)572185
जाटव (Jatav)117757
गैर-जाटव (Other SC)748423
मुस्लिम (Muslims)148735
2019 लोकसभा चुनाव में किस जाति-समुदाय की ओर से किसे कितना मत प्रतिशत हासिल हुआ, उसका आंकड़ा है ये।

2024 लोकसभा चुनाव में 61 फीसदी रह गया आंकड़ा

नीचे का चार्ट देखें और ऊपर वाले चार्ट से तुलना करें तो साफ समझ में आएगा कि पांच साल में उत्तर प्रदेश में बीजेपी का जातीय समीकरण कैसे ध्वस्त हो गया। इन दोनों चार्ट के आंकड़े सीएसडीएस-लोकनीति के चुनाव बाद किए गए सर्वे से लिए गए हैं।

समूह (Groups)इंडिया (India)एनडीए (NDA)बसपा (BSP)अन्य (Others)
उच्च जाति (Upper Caste)167914
यादव (Yadav)821522
कुर्मी-कोयरी (Kurmi-Koeri)346123
अन्य ओबीसी (Other OBCs)345934
जाटव (Jatav)2524447
गैर-जाटव (Non-Jatav)5629151
मुस्लिम (Muslims)92251
(नोट - आंकडे प्रतिशत में हैं। किस पार्टी को कितने प्रतिशत Caste के आधार पर वोटिंग हुई )

साफ है, पांच साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में कुर्मी-कोयरी मतदाता एनडीए से बुरी तरह छिटक गए थे। चुनाव बाद सीएसडीएस-लोकनीति द्वारा किए गए सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक एनडीए को कुर्मी-कोयरी के 61 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 80 फीसदी था। अन्य ओबीसी जातियों ने भी 2019 (72 प्रतिशत) की तुलना में 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए को 13 प्रतिशत कम वोट दिया था। ऐसे में एक कुर्मी को प्रदेश में बीजेपी की कमान देने की अहमियत समझी जा सकती है।

बताया जाता है कि भाजपा की हार के कारणों में से एक अंदरूनी खींचतान रही थी। कई नेता सीएम योगी से नाराज थे और कई नेताओं से सीएम।

इन समस्याओं के मद्देनजर अभी उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से बहुत अहम है। अब समझते हैं कि पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बना कर पार्टी कैसे इस समस्याओं से पार पा सकती है?

बीजेपी का कुर्मी कार्ड बनाम अखिलेश का पीडीए फैक्टर (BJP vs SP PDA strategy)?

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा चोट सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ही पहुंचाई। उनका ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूला काम कर गया। जाटव को छोड़ कर किसी समुदाय ने एनडीए को 2019 की तुलना में ज्यादा वोट नहीं दिया। 2027 के विधानसभा चुनाव में हर हाल में भाजपा को इसकी काट ढूंढनी होगी। पंकज चौधरी के नाम से इसमें भाजपा को मदद मिल सकती है। गैर यादव ओबीसी मतदाताओं को रिझाने में उनके नाम का इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही ओबीसी को किनारे करने के विपक्ष के आरोपों की काट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्या है अंदरूनी (Internal) फैक्टर और योगी के लिए संदेश?

ऐसा लगता है कि पंकज चौधरी का चयन कर भाजपा पार्टी और यूपी सरकार को भी एक संदेश देने की मंशा रखती है। लोकसभा चुनाव के समय पार्टी के अंदर नेताओं में जो मनमुटाव की बातें सामने आई थीं, उनके मद्देनजर यह संदेश भी महत्वपूर्ण है। संदेश यह है कि पार्टी का काम केन्द्रीय नेतृत्व की निगरानी में चलेगा और सरकार पर सीएम का पूरा फोकस रहेगा।

राजनीतिक रूप से पंकज चौधरी सीएम योगी से सीनियर हैं। वह 1991 में ही पहली बार सांसद बन गए थे, जबकि योगी आदित्य नाथ करीब आठ साल बाद संसद पहुंचे थे। इस तरह पंकज चौधरी के जरिए पार्टी ने प्रदेश में अंदरूनी सत्ता संतुलन साधने की भी कोशिश की है। सीएम की सत्ता में कोई कटौती किए बिना। इस तरह 2027 में सीएम योगी के नेतृत्व में संगठन से पूरा तालमेल बनाते हुए यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत है।

1991 में पहली बार सांसद बने थे नए UP BJP अध्यक्ष पंकज चौधरी

पंकज चौधरी न केवल कुर्मी हैं, बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली नेता हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ से भी उनके संबंध ठीक हैं। राजनीतिक रूप से दोनों एक ही इलाके के हैं। चौधरी का चुनावी सफर 1989 में गोरखपुर से ही शुरू हुआ था। जिस महाराजगंज से वह सातवीं बार सांसद हैं, वह 1989 में गोरखपुर से ही अलग होकर नया जिला बना था। वह पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के भी करीबी माने जाते हैं। उनकी छवि विवादों या सुर्खियों में आए बिना काम करने वाले नेता की रही है।

चौधरी जमीनी स्तर के नेता हैं। निगम लेवल से संसद तक पहुंचे हैं। इस लिहाज से भी भाजपा को उम्मीद है कि वह सभी को साथ लेकर चल सकते हैं और 2006 व 2027 के चुनावों में अच्छे नतीजे दिला सकते हैं।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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