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BMC Election: ‘मराठी फैक्टर’ बिगाड़ देगा भाजपा का खेल? आज उद्धव-राज के साथ आने पर कैसे पड़ेगा असर

मुंबई महानगरपालिका (BMC Election) चुनावों से पहले महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर मराठी अस्मिता के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। आज तक भाजपा का अपना मेयर मुंबई में नहीं बन पाया है।

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Devendra Fadnavis Uddhav Raj Thackeray
देवेंद्र फडणवीस, उद्धव और राज ठाकरे (Photo: IANS)

देश की सबसे अमीर महानगरपालिका बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने 15 जनवरी को मतदान और 16 जनवरी को मतगणना की घोषणा की है, लेकिन इस बार का मुकाबला पिछले तीन दशकों के इतिहास में सबसे दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ उद्धव ठाकरे (Shiv Sena UBT) और राज ठाकरे (MNS) चुनावी गठबंधन कर रहे है, तो दूसरी तरफ भाजपा विकास के एजेंडे के साथ 'मराठी मानुस' के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है।

ठाकरे भाइयों का मिलन भाजपा के लिए चुनौती

करीब दो दशकों तक अलग राह पर चलने के बाद उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे साथ आ रहे हैं, जिसने मुंबई की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। ठाकरे भाइयों की एकजुटता ने बीएमसी चुनाव का समीकरण बदल दिया है, क्योंकि दोनों के गठबंधन का मुख्य केंद्र 'मराठी अस्मिता' और 'भूमिपुत्र' का मुद्दा है।

शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने दावा किया कि ठाकरे भाई 24 दिसंबर को औपचारिक गठबंधन और चुनावी रणनीति का ऐलान करेंगे। राउत ने कहा कि मुंबई को नरेंद्र मोदी और अमित शाह के हाथों में नहीं जाने दिया जाएगा।

वहीं, उद्धव ठाकरे ने केंद्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा सरकार मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश रच रही है और कई अहम परियोजनाएं गुजरात को दी जा चुकी हैं। उनके मुताबिक बीएमसी पर कब्जा करना ही भाजपा का असली लक्ष्य है, जिससे मुंबई को महाराष्ट्र से अलग किया जा सके।

भाजपा चलेगी 'विकास कार्ड'

भाजपा के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सार्वजनिक रूप से ठाकरे भाइयों के गठबंधन को खारिज किया है, लेकिन अंदरखाने भाजपा रणनीतिकार चौकन्ने हैं। भाजपा का मानना है कि 2014 के बाद से मुंबई में हुए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, जैसे कोस्टल रोड और मुंबई मेट्रो ने लोगों के दिल जीते हैं। उद्धव और राज ठाकरे साथ आएं या न आएं, भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बता दें कि भाजपा के लिए बीएमसी चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल हैं। क्योंकि 1980 में पार्टी बनने के बाद से अब तक मुंबई में भाजपा का अपना मेयर नहीं बना है। हालांकि 2017 के बीएमसी चुनावों में भाजपा ने 82 सीटें जीतकर बड़ी छलांग लगाई थी और अविभाजित शिवसेना से सिर्फ दो सीट पीछे रह गई थी।

भाजपा की ताकत और वोट बैंक का गणित

इस बार, शिवसेना के विभाजन और ठाकरे भाइयों के एक होने की वजह से मुकाबला पहले से ज्यादा कड़ा हो गया है। मुंबई में लगभग 26% मतदाता मराठी भाषी हैं। भाजपा को उम्मीद है कि उसकी पकड़ गैर-मराठी खासकर उत्तर भारतीय और गुजराती मतदाताओं पर मजबूत है, जो कुल आबादी का लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक हैं। हालांकि पार्टी नेता यह भी स्वीकार करते हैं कि करीब 11 प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक उसके खिलाफ जा सकते हैं।

विकास बनाम मराठी अस्मिता

शिवसेना की स्थापना 19 जून 1966 को बालासाहेब ठाकरे ने मराठी अस्मिता के मुद्दे पर की थी। ‘भूमिपुत्र’ की राजनीति शिवसेना की पहचान बनी और समय के साथ यह मुद्दा मुंबई से लेकर पूरे महाराष्ट्र तक फैल गया।  

बालासाहेब ने शिवसेना की स्थापना गैर-मराठियों द्वारा मराठी मानूस के साथ हो रहे कथित अन्याय के खिलाफ लड़ने के उद्देश्य से की थी। शुरुआती दौर में पार्टी का निशाना दक्षिण भारत से आए लोग थे, लेकिन जैसे-जैसे पार्टी का विस्तार हुआ, उसका रुख उत्तर भारतीय प्रवासियों की ओर हो गया। तब से अब तक रणनीतियों में कई बदलाव आए, लेकिन मराठी अस्मिता का मुद्दा हमेशा पार्टी की राजनीति का केंद्र बना रहा।

हाल ही में भाजपा के पूर्व मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने ठाकरे परिवार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया था कि 25 साल के बीएमसी शासन में शिवसेना ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और मराठियों को शहर से बाहर जाने पर मजबूर किया। मुंबई से मराठियों को खत्म कर दिया गया।

उधर, सीएम फडणवीस का कहना है कि 2014 के बाद केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार के चलते मुंबई में बुनियादी ढांचे का कायाकल्प हुआ है और यही विकास कार्य पार्टी की सबसे बड़ी ताकत बनेगी।

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। भाजपा ने राज्य की 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में हुए चुनावों में 117 जगहों पर जीत हासिल की। नतीजे आने के बाद रविवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि यह चुनाव भाजपा ने पूरी तरह से सकारात्मक विकास एजेंडे पर लड़ा था। उन्होंने कहा, “मैंने अपने पूरे अभियान के दौरान किसी भी राजनीतिक नेता या पार्टी की आलोचना नहीं की। हमने केवल अपने काम और भविष्य की योजनाओं के आधार पर वोट मांगे और जनता ने भरपूर आशीर्वाद दिया।“ उन्होंने यह भी कहा था कि इस बार BMC में भाजपा नीत महायुति गठबंधन का ही मेयर बनेगा।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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