AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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महाराष्ट्र में नगरपालिका परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव के दूसरे चरण का मतदान शनिवार को कराया गया। सभी सीटों के नतीजे रविवार को घोषित हो जाएंगे। इन चुनावों को अगले महीने होने वाले बड़े नगर निगम चुनावों से पहले राजनीतिक हालात का अहम संकेत माना जा रहा है।
दूसरे चरण में 24 नगरपालिका परिषदों और नगर पंचायतों के साथ 76 अन्य स्थानीय निकायों के 154 वार्डों में मतदान हो रहा है। ये चुनाव पहले 2 दिसंबर को प्रस्तावित थे, लेकिन रिटर्निंग अधिकारियों के फैसलों के खिलाफ जिला अदालतों में याचिकाएं दायर होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान टाल दिया था। शनिवार को पड़े वोटों की गिनती पहले चरण में डाले गए मतों के साथ की जाएगी। इसके बाद कुल 246 नगरपालिका परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव परिणाम एक साथ घोषित किए जाएंगे। चुनाव प्रचार के दौरान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में, और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पूरी ताकत झोंक दी। कई जगहों पर दोनों दलों के बीच सीधा मुकाबला भी देखने को मिला।
इन स्थानीय निकाय चुनावों में कई जगह पुराने गठबंधन बिखरते नजर आ रहे हैं, तो कहीं नए राजनीतिक समीकरण उभर कर सामने आए हैं। महायुति में शामिल भाजपा और शिवसेना ने सिंधुदुर्ग, सातारा, धाराशिव, पालघर और ठाणे समेत कई जिलों में एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी उतारे हैं। दूसरी ओर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो धड़ों उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट और पार्टी संस्थापक शरद पवार का गुट ने कोल्हापुर में साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस के भीतर के गुट भी भाजपा के साथ तालमेल करते दिखाई दिए हैं। विदर्भ के ज्यादातर हिस्सों में, जिसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है, भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। यहां चुनावी रणनीति और प्रचार की कमान मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ नेताओं की टीम को सौंपी है, जिसमें राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले भी शामिल हैं।
भाजपा ने इस क्षेत्र के सभी 27 शहरों में उम्मीदवार उतारे , जबकि कांग्रेस 22 शहरों में चुनाव लड़ रही और 18 शहरों में उसका भाजपा के साथ सीधा मुकाबला हुआ। शिवसेना 13 शहरों में मैदान में थे, वहीं शिवसेना (यूबीटी) आठ शहरों में चुनाव लड़ी। एनसीपी (एसपी) ने छह शहरों में उम्मीदवार खड़े किए, जबकि प्रतिद्वंद्वी एनसीपी सात शहरों में चुनाव लड़ी, जिससे कई जगह त्रिकोणीय मुकाबले बन गए । चुनाव से पहले के दौर में भाजपा और शिवसेना के नेताओं के बीच बयानबाजी भी देखने को मिली, जिसके बाद एकनाथ शिंदे ने अपने सहयोगियों को “गठबंधन धर्म निभाने” की सलाह दी। वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भरोसा जताया कि महायुति 70 से 75 प्रतिशत सीटों पर जीत दर्ज करेगी।
इन चुनाव नतीजों को सभी राजनीतिक दलों और अवसर देखकर पाला बदलने वाले नेताओं की राजनीतिक ताकत का पैमाना माना जाएगा। साथ ही, नतीजे जीतने वाले दल को आने वाले बड़े नगर निगम चुनावों और बाद में होने वाले जिला परिषद चुनावों से पहले मजबूती प्रदान करेंगे। जहां महायुति के नेता देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने रोजाना पांच-छह सभाओं को संबोधित करते हुए जोरदार प्रचार किया, वहीं विपक्ष की ओर से व्यापक स्तर पर प्रचार करते हुए केवल कांग्रेस ही सक्रिय नजर आई।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
20 Dec 2025 09:57 pm
Published on:
20 Dec 2025 09:56 pm


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