Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

उद्धव-राज का गठबंधन तय, लेकिन सीट बंटवारे पर फंसा पेंच, इन जगहों के लिए अड़े दोनों ठाकरे

Uddhav Thackeray Raj Thackeray : मुंबई के बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और मनसे के बीच गठबंधन का ऐलान भले हो चुका हो, लेकिन कुछ सीटों पर सहमति अब भी नहीं बन पाई है। दोनों दलों के प्रभाव वाले इलाकों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है।

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें
Raj Thackeray and Uddhav Thackeray unite
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे (Photo: IANS)

बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की मनसे (MNS) के बीच ऐतिहासिक गठबंधन का ऐलान तो हो गया, लेकिन कुछ सीटों को लेकर खींचतान अभी भी जारी है। खासतौर पर भांडुप और विक्रोली जैसे मराठी-बहुल क्षेत्रों में दोनों दलों के बीच सीटों का गणित उलझता दिख रहा है।

जानकारी के मुताबिक, उद्धव गुट और मनसे के सीट बंटवारें में सबसे बड़ा गतिरोध भांडुप के वार्ड नंबर 114 को लेकर है। इस वार्ड को लेकर दोनों ही पार्टियां झुकने को तैयार नहीं हैं। उद्धव ठाकरे की ओर से शिवसेना (UBT) सांसद संजय दीना पाटिल की बेटी राजोल पाटिल इस सीट से चुनाव लड़ने की प्रबल दावेदार हैं। संजय राउत ने भी उनका बचाव करते हुए कहा कि राजोल शिवसेना (उद्धव गुट) की छात्र शाखा ‘युवा सेना’ की कोर कमेटी की सदस्य हैं।

उद्धव ठाकरे की पार्टी से ही एक पूर्व विधायक की पत्नी भी वार्ड 114 से चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। दरअसल इस वार्ड में मराठी भाषी मतदाताओं की संख्या अधिक है, जिससे दोनों दल इसे अपने लिए सुरक्षित सीट मान रहे हैं।

उधर, मनसे ने इस सीट पर अपने एक स्थानीय नेता के लिए दावा पेश किया है। मनसे पदाधिकारियों का तर्क है कि किसी सांसद की बेटी या पूर्व विधायक के रिश्तेदार को टिकट देना जनता के बीच गलत संदेश भेजेगा।

क्यों नहीं हो पा रहा फैसला?

मुंबई के पूर्वी उपनगरों में स्थित भांडुप और विक्रोली ऐसे इलाके हैं जहां मराठी भाषी मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है। 20 वर्षों की प्रतिद्वंद्विता के बाद दोनों ठाकरे भाई साथ तो आए हैं, लेकिन इन मराठी बहुल क्षेत्रों में दोनों ही दलों का जमीनी प्रभाव मजबूत है। मनसे नेता का मानना है कि इन सीटों पर उनकी जीत सुनिश्चित है, इसलिए वे इन सीटों की मांग कर रहे हैं।

इस बीच, शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने दावा किया कि सीट बंटवारे की बातचीत पूरी हो चुकी है। उन्होंने साफ किया कि पार्टी के पुराने नेताओं और उनके परिजन जो जनता के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें मौका देना गलत नहीं है।

हालांकि बीएमसी चुनाव के नामांकन की अंतिम तिथि 30 दिसंबर पास आ रही है, ऐसे में एक-दो दिनों के भीतर इन विवादित सीटों पर फैसला होने की उम्मीद है।

2017 में भाजपा नंबर-2 पर

बता दें कि पिछले 2017 के बीएमसी चुनाव में अविभाजित शिवसेना ने शहर के 227 वार्ड में से 84 पर जीत हासिल की थी, जबकि 82 जगहों पर जीतकर भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी। वहीँ, राज ठाकरे की मनसे ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी।

इस बार 15 जनवरी 2026 को होने वाले मतदान के लिए उद्धव और राज की जोड़ी 'मराठी मानुस' के वोट बैंक को एकजुट करना चाहती हैं, ताकि मुंबई में भाजपा और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के गठबंधन को पटखनी दी जा सके।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar