AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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नागौर. प्रदेश में बढ़ती नर गोवंश की समस्या और डेयरी क्षेत्र को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य सरकार के पशुपालन विभाग ने एक अहम पहल की है। विभाग की ओर से प्रदेशभर में सेक्स सॉर्टेड सीमन लिंग-आधारित वीर्य एक उन्नत तकनीकी डोज का वितरण किया जा रहा है। यह उन्नत तकनीक कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग होती है, जिससे 90 प्रतिशत मादा बछिया पैदा होती है। इससे न केवल नर बछड़ों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि दुग्ध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।
गौरतलब है कि प्रदेश में लावारिस नर गोवंश की समस्या लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। सडक़ों, खेतों और सार्वजनिक स्थलों पर घूमते लावारिस व बेसहारा नर गोवंश दुर्घटनाओं और फसलों के नुकसान का कारण बनते हैं। ऐसे में सरकार की यह योजना पशुपालकों और आमजन दोनों के लिए राहतकारी साबित हो सकती है। सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक के माध्यम से मादा पशुओं का अनुपात बढ़ेगा, जिससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी और डेयरी किसानों की आय में सुधार होगा।
पशुपालकों का कहना है कि यह योजना डेयरी उद्योग के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है, बशर्ते प्रजनन नीति-2014-15 की पालना तय हो। पशुपालन विभाग ने जिस उद्देश्य से प्रजनन नीति को लागू किया, धरातल पर अकुशल कृत्रिम गर्भाधन कर्ता उसकी बैंड बजा रहे हैं। इसलिए कृत्रिम गर्भाधान करने वाले निजी लोगों पर विभाग का नियंत्रण और मॉनिटरिंग होनी चाहिए। अन्यथा गोवंश की नस्ल बिगड़ जाएगी। साथ ही गायों में प्रजनन संबंधी बीमारियां भी हो जाएगी।
सूत्रों के अनुसार जिले में करीब 150 पशु धन सहायक (एलएसए) और करीब 50 पशु चिकित्सक हैं, जो कृत्रिम गर्भाधान का काम कर रहे हैं, जिनको सरकारी स्तर सीमन उपलब्ध करवाया जाता है और यह प्रजनन नीति के तहत हो रहा है। लेकिन दूसरी तरफ निजी स्तर पर करीब 400 से अधिक व्यक्ति कृत्रिम गर्भाधान का कार्य कर रहे हैं, जिनके पास सीमन कहां से आ रहा है, इसका न तो सरकार या विभाग के पास कोई रिकार्ड है और न ही कोई मानिटरिंग, ऐसे में वो मनमर्जी से कृत्रिम गर्भाधान कर रहे हैं।
पशुपालकों को मिलेगी निजात
पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सेक्स सॉर्टेड सीमन एक अत्याधुनिक जैव-प्रौद्योगिकी है, जिसमें नर और मादा गुणसूत्रों को अलग किया जाता है। इसके बाद केवल मादा गुणसूत्र युक्त सीमन का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया से लगभग 90 प्रतिशत तक मादा बछिया के जन्म की संभावना रहती है। इससे किसानों को अनचाहे नर बछड़ों के पालन-पोषण की समस्या से निजात मिलेगी।
बस्सी में यूनिट स्थापित करने की तैयारी
सरकार ने इस योजना को और प्रभावी बनाने के लिए जयपुर जिले के बस्सी में सेक्स सॉर्टेड सीमन की यूनिट स्थापित करने के लिए बजट स्वीकृत किया है। इस यूनिट के शुरू होने से प्रदेश को बाहर से सीमन मंगाने पर निर्भरता कम होगी और लागत में भी कमी आएगी। साथ ही समय पर पर्याप्त मात्रा में सीमन उपलब्ध हो सकेगा, जिससे कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी।
प्रदेश में 12 लाख डोज देने का लक्ष्य
विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में पूरे राजस्थान में 12 लाख सेक्स सॉर्टेड सीमन डोज वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इनमें से अब तक लगभग 2 लाख डोज की सप्लाई विभिन्न जिलों में की जा चुकी है। नागौर जिले सहित प्रदेश के कई हिस्सों में पशुपालक इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। जिले में प्रति वर्ष कृत्रिम गर्भाधान का आंकड़ा 60 से 70 हजार तक रहता है। आने वाले महीनों में वितरण की गति और तेज की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक किसान इस तकनीक से जुड़ सकें।
- डॉ. महेश मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, नागौर
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लव सोनकर
लव सोनकर - 9 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले 7 सालों से डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं और कई संस्थानों में अपना योगदान दि है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता ए...और पढ़ें...
Published on:
30 Dec 2025 11:32 am


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