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मूंग से नहीं छूटा मोह तो पानी पाताल में जाएगा, कीटनाशक से बीमारियों का खतरा

मूंग की फसल में किसान दवाइयों का छिडक़ाव हर 10 दिन के अंतराल में करते हैं। लगातार ङ्क्षसचाई होने से दवाईयों का जहर मिट्टी में घुल-मिल जाता है। जब फसल पक जाती है तो उसे सुखाने के लिए खतरनाक नींदानाशक डाला जाता है। जिससे उपज बाद में और अधिक जहरीली हो जाती है। इस कारण कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है।

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नरसिंहपुर. आय बढ़ाने के लिए जिले के किसान गर्मी के मौसम में बोई जाने वाली मूंग का रकबा लगातार बढ़ाते रहे हैं। इससे आने वाले समय में जल और सेहत पर संकट मंडरा रहा है। मूंग से न केवल आने वाले समय में भूजल स्तर में गिरावट आ सकती है, बल्कि फसल में जिस तरह से कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग हो रहा है उससे कैंसर जैसी कई अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। कृषि विशेषज्ञों ने भी शासन को मूंग उत्पादन में बढ़ते रासायनिक खादों, कीटनाशकों के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर एक रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अंधाधुंध कीटनाशक जमीन और शरीर में जहर घोल रहे हैं।
ङ्क्षचता की यह हैं खास वजह
मूंग की फसल में किसान दवाइयों का छिडक़ाव हर 10 दिन के अंतराल में करते हैं। लगातार ङ्क्षसचाई होने से दवाईयों का जहर मिट्टी में घुल-मिल जाता है। जब फसल पक जाती है तो उसे सुखाने के लिए खतरनाक नींदानाशक डाला जाता है। जिससे उपज बाद में और अधिक जहरीली हो जाती है। इस कारण कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है।

पशु भी प्रभावित
मूंग की फसल में 5 से 8 बार विभिन्न प्रकार की जहरीली दवाओं का उपयोग होने से विशेषज्ञ इसे पशुओं, मानव तथा वातावरण के लिए भी नुकसानदायक मानने लगे हैं। ङ्क्षचता जाहिर कर रहे हैं कि मूंग की फसल का रकबा जिले में इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय में भूजल स्तर भी तेजी से प्रभावित होगा, खेतों में नमी नहीं रहेगी और दूसरी फसलों पर इसका असर हो सकता है। मिटी में जहर मिलने से घास और खरपतरवार भी जहरीली हो रही है। इससे पशु भी प्रभावित हो रहे हैं।


जिले में हर वर्ष बढ़ रहा रकबा
जिले में बीते वर्ष गर्मी के मौसम में मूंग का रकबा करीब सवा लाख हेक्टेयर में था। इस बार भी रकबा 1 लाख 20 हजार हैक्टेयर के करीब होने का अनुमान है, क्योंकि मूंग की बोवनी शुरू हो गई है और 7475 हैक्टेयर में अब तक बोवनी हो चुकी है। मूंग में कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग से जिस तरह उच्च स्तर से शासन ङ्क्षचता जाहिर कर रहा है और विशेषज्ञों की राय ली जा रही है उसका असर इस बार मूंग की खरीद पर भी नजर आ सकता है।


&गर्मी की मूंग में रासायनिक खादों, कीटनाशकों का अधिक उपयोग ङ्क्षचताजनक है। यह सही है कि विशेषज्ञों से शासन स्तर पर रिपोर्ट ली जा रही है। मुख्यत: ङ्क्षचताजनक कारण इससे होने वाले नुकसान हैं। आगामी समय में पानी का संकट बनेगा, खेती प्रभावित हो सकती है।
डॉ. एसआर शर्मा, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र नरसिंहपुर


&जो किसान मूंग लगा रहे हैं उन्हें निरंतर सलाह दे रहे हैं कि वह अधिक कीटनाशकों का उपयोग न करें, क्योंकि यह सभी के हित में है। विभाग ने मूंग के संबंध में शासन को जानकारी तो भेजी है।
उमेश कटहरे,
उपसंचालक कृषि नरसिंहपुर

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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