Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

कुलपति नहीं, अब ‘कुलगुरु’: JNU प्रशासन पर भड़का छात्र संघ, कहा-ये दिखावटी बदलाव नहीं चाहिए

JNU Vice Chancellor Title Change Controversy:जेएनयू प्रशासन ने कुलपति की जगह 'कुलगुरु' शब्द अपनाया है, जिस पर छात्र संघ ने दिखावटी बदलाव कहकर विरोध जताया है।

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें
भारत

Jun 04, 2025

JNU Vice Chancellor Title Change Controversy
जेएनयू कुलपति पद परिवर्तन विवाद गहराता जा रहा है। ( फोटो: jnu.ac.in)

JNU Vice Chancellor Title Change Controversy: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी प्रशासन ( JNU administration) ने अब सभी डिग्री, मार्कशीट और विश्वविद्यालय के दस्तावेज़ों में कुलपति की जगह "कुलगुरु" शब्द का उपयोग (JNU Vice Chancellor Title Change Controversy) शुरू कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, यह शब्द लैंगिक तटस्थता और सांस्कृतिक पहचान के आधुनिक मानकों के अनुरूप है। छात्र संघ जेएनयूएसयू (JNU Student union) ने इस नाम परिवर्तन को “सुधार नहीं, प्रतीकात्मक दिखावा” करार दिया है। उन्होंने बुधवार को जारी एक प्रेस बयान में कहा कि "सिर्फ नाम बदलने से लैंगिक न्याय नहीं आता, संस्थागत बदलाव जरूरी है।"

प्रतीकों की राजनीति या असली बदलाव ?

छात्र संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन “मोदी सरकार के पैटर्न” पर चल रहा है — “जहां नाम बदलना असली बदलाव का विकल्प बन गया है।” जेएनयूएसयू ने इसे "राजनीतिक और वैचारिक एजेंडे" से प्रेरित कदम बताया है।

संवादहीनता पर भी सवाल उठे

बयान में प्रशासन की बातचीत में अनिच्छा की भी आलोचना की गई। छात्रों का दावा है कि जेएनयू प्रवेश परीक्षा और सुधारों पर बैठक की मांगें प्रशासन ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दीं ।

बदलाव की प्रक्रिया: कहां से शुरू हुआ ‘कुलगुरु’?

अप्रैल 2024 में जेएनयू की कार्यकारी परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव पारित हुआ। इसके बाद परीक्षा नियंत्रक ने इसे आधिकारिक दस्तावेजों में लागू करना शुरू कर दिया।

‘कुलगुरु’ शब्द का तर्क: सांस्कृतिक और लिंग-तटस्थ पहचान

प्रशासन का कहना है कि "कुलगुरु" शब्द न केवल लिंग-तटस्थ है बल्कि भारत की सांस्कृतिक परंपरा के अधिक अनुकूल भी है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में यह प्रयोग पहले से लागू है।

छात्र संघ की 4 बड़ी मांगें: सिर्फ नाम नहीं, असली सुधार चाहिए

जेएनयूएसयू ने इन चार प्रमुख सुधारों की मांग की:

GS-CASH की बहाली, जिसे मौजूदा ICC से ज्यादा लोकतांत्रिक बताया गया।

पीएचडी प्रवेश में वंचना अंक की बहाली, जिससे हाशिये के समुदायों को लाभ होता है।

लिंग-तटस्थ शौचालय और हॉस्टल का निर्माण।

सुप्रीम कोर्ट के NALSA फैसले के अनुसार ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए आरक्षण।

रिएक्शन:– छात्र बोले, "नाम नहीं, नीयत बदलो!"

जेएनयू के छात्रों और फैकल्टी में इस फैसले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ प्रतिक्रियाएं देखें :

“'कुलगुरु' शब्द अच्छा हो सकता है, लेकिन इससे हमारे कैम्पस में यौन शोषण या भेदभाव खत्म नहीं होता।” — पूर्व छात्र प्रतिनिधि।

“अगर प्रशासन संवाद से भागेगा और नाम बदल कर खुद को प्रगतिशील दिखाएगा, तो यह बेमानी है।” — छात्रा, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज़।

फॉलोअप: क्या 'GS-CASH' की बहाली होगी अगला मोर्चा ?

अब जब छात्र संघ ने अपने चार बड़े सुधारों की सूची जारी की है, तो आने वाले हफ्तों में GS-CASH बनाम ICC का मुद्दा दोबारा चर्चा में आ सकता है। यह बात अब साफ है कि JNUSU अब प्रतीकात्मकता को छोड़कर संस्थागत जवाबदेही की दिशा में आंदोलन तेज करेगा। संभावना है कि आने वाले छात्र परिषद सत्र में 'कुलगुरु' मुद्दा केवल शुरुआत होगा।

क्या यह फैसला NEP (नई शिक्षा नीति) की पॉलिसी थ्रस्ट का हिस्सा है ?

जेएनयू का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत किए जा रहे “भारतीयता और समावेशिता” के भाषायी पुनर्गठन का हिस्सा माना जा सकता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 'कुलगुरु' शब्द पहले से इस्तेमाल हो रहा है। कई विशेषज्ञ इसे भाषायी 'इंडिजिनाइजेशन' (भारतीयकरण) की मुहिम का भाग मानते हैं, जो आरएसएस RSS की शिक्षा शाखाओं से प्रेरित मानी जाती है।

शिक्षा, संस्कृति और राजनीति के चौराहे पर खड़ा एक मुद्दा

बहरहाल जेएनयू में ‘कुलगुरु’ शब्द का प्रवेश केवल एक नाम नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और राजनीति के चौराहे पर खड़ा एक मुद्दा है। छात्र संघ इसे सतही दिखावे के बजाय संस्थागत परिवर्तन की मांग के रूप में देख रहा है।

ये भी पढ़ें: बेंगलुरु भगदड़ में 11 RCB फैंस की मौत, डिप्टी सीएम ने कहा- We Are Sorry...

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar