AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Madras high court: जब कोई मां अपने बच्चों को अनुशासन और देखभाल के साथ पालने की जिम्मेदारी छोड़ देती है, तो यह परिवार और समाज की नींव को ही कमजोर कर देता है। मद्रास हाईकोर्ट ने टिप्पणी के साथ निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराई गई मां और उसके पुरुष साथी की उम्रकैद की सजा को कायम रखा है। यह मामला कोयम्बत्तूर की एक विवाहित महिला से जुड़ा है, जो पति से अलग होकर 14 वर्षीय बेटी के साथ रह रही थी।
आरोप है कि महिला का उसी इलाके के सुब्बुराज से संबंध था। सुब्बुराज ने उसकी बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया। जब पीड़िता ने अपनी मां को इस बारे में बताया, तो उसे धमकी दी गई कि अगर उसने किसी को बताया तो उसे मार दिया जाएगा। जिससे किशोरी को अपनी मां का घर छोड़कर पिता के पास जाना पड़ा और फिर उसने शिकायत दर्ज कराई।
ऑल-वुमेन पुलिस स्टेशन में मां और सुब्बुराज के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। साल 2020 में जिला पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने दोनों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की सुनवाई के दौरान जस्टिस पी वेलमुरुगन और एम. ज्योतिरामन की पीठ ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी। पीठ ने टिप्पणी की कि भारतीय संस्कृति में मां को परंपरागत रूप से पिता, शिक्षक और यहां तक कि भगवान से भी ऊंचा स्थान प्राप्त है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
29 Dec 2025 05:44 am
Published on:
29 Dec 2025 03:58 am


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