AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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Aravalli Range: खनन के संबंध में अरावली पर्वतमाला की परिभाषा से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट फिर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत की तीन जजों की अवकाशकालीन पीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सोमवार को सुनवाई तय की है।
सीजेआई सूर्यकांत, न्यायाधीश जेके माहेश्वरी और न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने राजस्थान सहित देशभर में पर्यावरण को लेकर चिंता जताते हुए किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए दखल किया। पर्यावरणविद्, जन संगठनों की चिंता है कि अरावली पर्वतमाला की सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय परिभाषा से संरक्षित क्षेत्र में भी खनन और निर्माण गतिविधियां बढ़ जाएंगी, जिसका जलवायु, मरूस्थलीकरण और भूजल स्तर पर विपरीत प्रभाव होगा।
सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा का सीधा असर दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा व गुजरात राज्यों के उन क्षेत्रों पर होगा, जहां से अरावली रेंज गुजरती है। तत्कालीन सीजेआई बीआर गवई, न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायाधीश एन वी अंजारिया की पीठ ने 20 नवंबर को अरावली को लेकर फैसला दिया था, जिसमें 100 मीटर से ऊंची पहाडियों व दो पहाडियों के बीच 500 मीटर का फासला होने पर उस बीच के क्षेत्र को अरावली के दायरे में माना गया था। अन्य क्षेत्रों को खनन के लिए खोल दिया था।
कोर्ट ने केन्द्रीय वन-पर्यावरण मंत्रालय की कमेटी की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद यह फैसला दिया था। फैसले में कहा था कि इस क्ष्रेत्र में खनन को रोका गया तो अवैध खनन बढ़ जाएगा।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
28 Dec 2025 12:46 am


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