AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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TATA Trust: टाटा ट्रस्ट में चल रहे आंतरिक विवाद ने सोमवार को एक नया रूप ले लिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिवंगत रतन टाटा के सबसे करीबी सहयोगियों में रहे मेहली मिस्त्री को दोनों प्रमुख ट्रस्ट सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT)से बाहर किया जा सकता है। चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने मिस्त्री के तीन साल के कार्यकाल को बढ़ाने के प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला है।
ये दोनों ट्रस्ट मिलकर टाटा संस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं, जबकि पूरे टाटा ट्रस्ट ग्रुप की कुल होल्डिंग 66 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। ऐसे में ट्रस्टी की भूमिका न केवल परोपकारी कार्यों के लिए, बल्कि टाटा ग्रुप की रणनीतिक दिशा तय करने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मिस्त्री का कार्यकाल आज ही समाप्त हो रहा है, और नियमों के तहत वे अपने पक्ष में वोट नहीं कर सकते, जिससे बहुमत उनके खिलाफ हो गया है।
साल 2016 के अक्टूबर में ही मिस्त्री के चचेरे भाई सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था, जिसके बाद शापूरजी पालोनजी ग्रुप (जिसके पास टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सा है) और टाटा ग्रुप के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चली। मेहली मिस्त्री, जो सायरस के चचेरे भाई हैं, 2022 में रतन टाटा द्वारा ट्रस्ट्स में शामिल किए गए थे। अब फिर अक्टूबर में ही उनकी विदाई हो रही है।
यह विवाद सितंबर 2025 में तब भड़का जब मिस्त्री समर्थक चार ट्रस्टी डेरियस खंबाटा, मेहली मिस्त्री, प्रमीत झावेरी और जहांगीर जहांगीर ने विजय सिंह को टाटा संस बोर्ड से हटाने के लिए वोट किया। यह कदम पुरानी प्रथा के खिलाफ था, जिसके बाद सिंह ने इस्तीफा दे दिया। 1932 के सर दोराबजी ट्रस्ट डीड के अनुसार, बैठक के लिए कम से कम तीन ट्रस्टी जरूरी हैं, और बहुमत का फैसला अंतिम होता है।
मेहली मिस्त्री (Mehli Mistry) एक प्रमुख भारतीय उद्योगपति हैं, जो टाटा समूह से गहराई से जुड़े हुए हैं। वे रतन टाटा के लंबे समय से विश्वासपात्र सहयोगी रहे हैं और टाटा ट्रस्ट्स के स्थायी ट्रस्टी (Permanent Trustee) हैं। 2000 से वे रतन टाटा के करीबी रहे हैं और टाटा ट्रस्ट्स के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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Updated on:
28 Oct 2025 08:40 pm
Published on:
28 Oct 2025 01:42 pm


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