AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

Tiger conservation:देश में बाघ (टाइगर) संरक्षण को लेकर वर्षों से हो रही कोशिशें अब एक नए संकट की ओर इशारा कर रही हैं। बाघों की संख्या बढ़ना जहां एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, वहीं इसके रहने की जगह कम पड़ने लगी है। ऐसे में आपसी और ग्रामीणों से टकराव के साथ मौतों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जंगल कम नहीं हुए हैं, लेकिन टाइगर की संख्या में इजाफे के कारण रिजर्व अब छोटे पड़ने लगे हैं। यही वजह है कि पांच साल में 721 टाइगर की मौत हुई है। वहीं अकेले 2025 में अब तक 162 टाइगर मौत की नींद सो चुके हैं। यह संख्या 2023 के बाद सबसे अधिक है। सबसे अधिक 55 मौत मध्यप्रदेश में हुई। महाराष्ट्र में 36, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में दो-दो टाइगर की मौत हुई है।
मौतों के कारणों में आपसी संघर्ष, क्षेत्र को लेकर हिंसा, मानव-वन्यजीव टकराव, बीमारी और कुछ मामलों में अवैध गतिविधियां, शिकार भी शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती संख्या के अनुपात में आवास विस्तार और वैज्ञानिक प्रबंधन नहीं हो पाने से यह स्थिति बनी है।
देश में वर्तमान में 58 टाइगर रिजर्व है। इनका कुल क्षेत्रफल 84 हजार 487 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 10 टाइगर रिजर्व में एक भी टाइगर नहीं है। जबकि देश में 2022 की गणना के हिसाब से 3682 टाइगर मौजूद है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 57 टाइगर बताए जाते हैं। वहीं इस रिजर्व की क्षमता 30 से 35 टाइगर की है।
इसके समीप नए बने धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व में फिलहाल एक भी टाइगर नहीं है। इसी तरह मुकुंदरा टाइगर हिल्स में एक ही टाइगर है। इसी तरह के हालात अन्य टाइगर रिजर्व की है। इसका असर टाइगर के व्यवहार पर पड़ रहा है। युवा टाइगर क्षेत्र तलाशने के लिए रिजर्व से बाहर निकल रहे हैं, जिससे गांवों और आबादी वाले इलाकों में संघर्ष बढ़ रहा है। इसके साथ ही शिकारियों को मौका भी मिल रहा है।
विशेषज्ञ लंबे समय से अतिरिक्त टाइगर को नए और उपयुक्त आवासों में स्थानांतरित (टाइगर शिफ्टिंग प्रोजेक्ट) करने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर इस दिशा में ठोस पहल नजर नहीं आती।
टाइगर रिजर्व के आसपास तेजी से बढ़ता होटल और रिसॉर्ट उद्योग भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पर्यटन से होने वाली आय ने नीति निर्धारण को प्रभावित किया है। रिजर्व के बाहर सुरक्षित कॉरिडोर विकसित करने और नए आवास क्षेत्रों को अधिसूचित करने की योजनाएं फाइलों में ही सिमटी हुई हैं।
संरक्षण मॉडल की सफलता को केवल संख्या से आंकना अब खतरे की घंटी बनता जा रहा है। बिना समानांतर रूप से आवास विस्तार, कॉरिडोर संरक्षण और वैज्ञानिक शिफ्टिंग के बढ़ती संख्या खुद टाइगर के लिए जानलेवा साबित हो रही है।
एनटीसीए के रेकॉर्ड से पता चलता है कि 2012 से 2024 के बीच टाइगर की कुल मौतों के मामलों में से करीब 29 फीसदी मामलों की जांच लंबित है। खास बात यह है कि इनमें 407 मामले अकेले पिछले पांच साल के हैं।
| वर्ष | मौत का आंकड़ा | लंबित मामले |
|---|---|---|
| 2025 | 162 | -- |
| 2024 | 126 | 86 |
| 2023 | 182 | 96 |
| 2022 | 122 | 72 |
| 2021 | 129 | 73 |
| वर्ष | संख्या (टाइगर की मौत) |
|---|---|
| 2022 | 12 |
| 2023 | 21 |
| 2024 | 3 |
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Published on:
25 Dec 2025 04:32 am


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।