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Electoral Trust: भारत में कौन बना सकता है इलेक्टोरल ट्रस्ट? कैसे बढ़ी पॉलिटिकल फंडिंग में इनकी भूमिका?

इलेक्टोरल ट्रस्ट राजनीतिक दलों को चंदा देने का वैधानिक तरीका है, जिसे 2013 में शुरू किया गया। ये ट्रस्ट कंपनियों और व्यक्तियों से चंदा लेकर राजनीतिक दलों को देते हैं।

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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फोटो- ANI)

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना रद्द होने के बाद राजनीतिक दलों की फंडिंग का एक पुराना लेकिन अपेक्षाकृत पारदर्शी रास्ता फिर चर्चा में है।

इलेक्टोरल ट्रस्ट 2024-25 में कॉरपोरेट दान का बड़ा हिस्सा इन्हीं ट्रस्टों के जरिए आया, जिससे इनके कामकाज और प्रभाव को समझना जरूरी हो गया है।

इलेक्टोरल ट्रस्ट क्या होते हैं?

इलेक्टोरल ट्रस्ट राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वैधानिक माध्यम हैं। इन्हें यूपीए सरकार ने 2013 में शुरू किया था। इनका उद्देश्य कंपनियों और व्यक्तियों से चंदा लेकर उसे मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों तक पहुंचाना है। इलेक्टोरल बॉन्ड के विपरीत, ट्रस्टों को हर साल दानदाताओं और लाभार्थी दलों की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है।

ये ट्रस्ट कौन बना सकता है?

कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कोई भी भारतीय कंपनी इलेक्टोरल ट्रस्ट बना सकती है। आयकर अधिनियम की धारा 17सीए के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक, भारत में पंजीकृत कंपनी, फर्म, एचयूएफ या व्यक्तियों का संघ ट्रस्ट को दान दे सकता है।

कैसे संचालित किए जाते हैं ये ट्रस्ट?

ट्रस्टों को हर तीन साल में पंजीकरण नवीनीकरण कराना होता है। इन्हें प्राप्त कुल चंदे का कम से कम 95% उसी वित्त वर्ष में राजनीतिक दलों को देना अनिवार्य है। केवल 5% राशि प्रशासनिक खर्च में उपयोग की जा सकती है। सभी लेन-देन बैंकिंग माध्यमों से होते हैं और दानदाता का पैन अनिवार्य है।

भारत में कितने इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं?

2013 से 2021-22 के बीच पंजीकृत ट्रस्टों की संख्या 3 से बढ़कर 17 तक पहुंची, लेकिन हर साल सक्रिय ट्रस्ट कम रहते हैं। 2023-24 में सिर्फ 5 ट्रस्ट सक्रिय थे, जबकि 2024-25 में यह संख्या 9 रही। इन 9 ट्रस्टों में से तीन ट्रस्टों - प्रूडेंट, प्रोग्रेसिव और न्यू डेमोक्रेटिक - का 98% चंदे पर कब्जा रहा।

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट: सबसे बड़ा और प्रभावशाली

इस ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 2013 में हुई थी, जब देश में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना अस्तित्व में भी नहीं थी। शुरुआत में इसे सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट के नाम से भारती एंटरप्राइजेज ने स्थापित किया था, जिसे बाद में प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट नाम दिया गया।

यह कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत एक सेक्शन-8 गैर-लाभकारी संस्था है और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा अधिसूचित इलेक्टोरल ट्रस्ट योजना के अंतर्गत संचालित होती है।

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना रद्द होने के बाद प्रूडेंट ट्रस्ट राजनीतिक फंडिंग का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरा है। 2024-25 में इसे 2,668.46 करोड़ रुपए का चंदा प्राप्त हुआ, जो देश के सभी इलेक्टोरल ट्रस्टों में सर्वाधिक है। इस तरह यह सबसे ज्यादा राजनीतिक दान पाने वाला ट्रस्ट बन गया है।

आधिकारिक तौर पर ट्रस्ट का संचालन स्वतंत्र पेशेवरों द्वारा किया जाता है। इसके प्रमुख ट्रस्टी और निदेशकों में मुकुल आनंद गोयल और गणेश वी. वेंकटचलम शामिल हैं, जो 2014 से इससे जुड़े हुए हैं। माना जाता है कि संरचना में बदलाव के बावजूद भारती समूह का प्रभाव ट्रस्ट पर बना हुआ है।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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