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High Court Chief Justice: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने देश के अलग-अलग उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को हुई बैठक में कॉलेजियम ने पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों ( High Court Chief Justice ) के नामों पर मुहर लगाई है। ये सिफारिशें उन हाईकोर्ट में की गई हैं, जहां मौजूदा मुख्य न्यायाधीशों के सेवानिवृत्त होने या स्थानांतरण के कारण पद रिक्त होने वाले हैं।
कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता को उत्तराखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की सिफारिश की है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के 9 जनवरी 2026 को सेवानिवृत्त होने के बाद यह पद खाली हो जाएगा। लॉ ट्रेंड के अनुसार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रेवती पी. मोहिते डेरे को मेघालय हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की अनुशंसा की है। यह फैसला वहां के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश के स्थानांतरण के चलते लिया गया है। इसके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट के ही न्यायमूर्ति एम. एस. सोनक को झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई है। झारखंड हाईकोर्ट में मौजूदा मुख्य न्यायाधीश 8 जनवरी 2026 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
कॉलेजियम ने केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ए. मुहम्मद मुस्ताक को सिक्किम हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है। वहीं, ओडिशा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संगम कुमार साहू को पटना हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश भी की गई है। कॉलेजियम के इन सभी प्रस्तावों को अब केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद संबंधित हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीशों की औपचारिक नियुक्ति अधिसूचनाओं के जरिए की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम न्यायपालिका की वह आंतरिक व्यवस्था है, जिसके जरिए सुप्रीम कोर्ट और देश के सभी उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण से जुड़े फैसले लिए जाते हैं। इस कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और चार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल होते हैं। यह प्रणाली संविधान में सीधे तौर पर दर्ज नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों के जरिए विकसित हुई है। कॉलेजियम का उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और न्यायिक नियुक्तियों में कार्यपालिका के हस्तक्षेप को सीमित रखना है।
बता दें कि इस प्रणाली को संविधान में सीधे तौर पर नहीं लिखी गई है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग फैसलों के हिसाब से इस नियम को बनाया गया है। कॉलेजियम के द्वारा हाईकोर्ट के चीफ जजों का चुनाव होता है फिर उसके बाद से केंद्र सरकार को भेजे जाते हैं, मंजूर करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है। लेकिन कॉलेजियम दोबारा उसी नाम की सिफारिश कर दे तो सरकार को उसे स्वीकार करना होता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने इसके पहले इसी साल कॉलेजियम ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जजों के नाम केंद्र को भेजे थे, जिसमें कई प्रमुख नियुक्तियां शामिल थीं। बता दें कि मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तीन जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिश की थी। वहीं, बीते 2025 में कॉलेजियम ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए कुल 129 नामों की सिफारिश की है।
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Updated on:
19 Dec 2025 05:47 pm
Published on:
19 Dec 2025 05:27 pm


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