AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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हाल ही में एक बॉलीवुड मूवी धुरंधर रिलीज हुई है, जो भारत के एक जासूस की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में उस बहादुर सिपाही का रोल बॉलीवुड के फेमस एक्टर रणवीर सिंह कर रहे हैं। फिल्म में वह पाकिस्तान में जाकर जासूसी करते हैं, भारत के लिए जानकारी इकट्ठा करते हैं और दुश्मनों का सफाया करते हैं। ऐसी ही कुछ मिलती-जुलती कहानी एक और भारतीय वीर सपूत की रही है, जिनका नाम है मेजर मोहित शर्मा। इनकी बहादुरी और हिम्मत की कहानी बहुत कम लोगों को पता है। उन्होंने अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी।
मेजर मोहित शर्मा का जन्म हरियाणा के रोहतक में हुआ था, लेकिन उनका बचपन गाजियाबाद में बीता। गाजियाबाद के डीपीएस से 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने शेगांव के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन इससे पहले एक एनडीए की परीक्षा ने उनके जीवन की पूरी दिशा बदल दी। साल 1995 की बात है, जब भोपाल में एसएसबी इंटरव्यू क्लियर करने के बाद वह एनडीए पहुंचे और 1998 में IMA देहरादून में सेना की ट्रेनिंग ली। इसके बाद साल 1999 में मेजर बने और 5वीं मद्रास रेजिमेंट में सेवाएं शुरू कीं। उसके बाद उन्होंने सेना के एक जिम्मेदार अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनानी शुरू की।
मेजर मोहित एक शानदार सैनिक होने के साथ-साथ खेलों में भी बड़े माहिर थे। वह हॉर्स राइडिंग चैंपियन, बॉक्सिंग के फेदरवेट विनर और स्विमिंग में एक्सपर्ट थे। उनकी पहली पोस्टिंग हैदराबाद में हुई और साल 2002 में उन्हें जम्मू-कश्मीर की 38 राष्ट्रीय राइफल्स में भेजा गया। यहां उन्हें उनकी बहादुरी के लिए सीओएएस कमेंडेशन कार्ड मिला। साल 2003 में वह 1 पैरा स्पेशल फोर्सेस में भी शामिल हुए और यहां वे असली 'धुरंधर' बन गए। उन्होंने दो साल तक बेलगाम में कमांडो ट्रेनिंग दी, जहां उनकी चतुराई और स्ट्रैटजी ने सबको हैरान कर दिया।
साल 2004 के एक ऑपरेशन में मोहित शर्मा ने ऐसा रिस्क उठाया, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। उस समय हिज्बुल मुजाहिदीन के दो खतरनाक आतंकी, अबू तोरारा और अबू सब्जार लाइन ऑफ कंट्रोल को पार करने वाले थे। उन्हें पकड़ने के लिए मोहित ने अपनी पहचान बदल ली और खुद को कश्मीरी युवक ‘इख्तार भट’ बताकर उनसे मुलाकात की। उन्होंने एक कहानी बनाई कि उनके भाई को साल 2001 में आर्मी चेकपॉइंट पर मार दिया गया था और अब वह बदला लेना चाहते हैं। इसी बहाने वे आतंकियों के बीच घुस गए। लगभग दो महीने तक उन्होंने उन्हीं के साथ रहकर उनका भरोसा जीता। उसके बाद आतंकियों ने उन्हें अपना साथी समझ लिया और उन्हें हथियार तक सौंप दिए। लेकिन जैसे ही सही मौका मिला, मोहित ने पूरी बहादुरी के साथ दोनों आतंकियों को ढेर कर दिया। यह ऑपरेशन आज भी सेना की फाइलों में एक बेहतरीन खुफिया और रणनीतिक मिशन के रूप में दर्ज है।
21 मार्च 2009 को मोहित ने अपने देश के लिए आखिरी लड़ाई लड़ी थी। उस सुबह इंटेलिजेंस से जानकारी मिली थी कि कुपवाड़ा के हाफरूदा जंगल में आतंकी छिपे हुए हैं और घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। यह खबर जैसे ही मिली, मोहित अपनी टीम के साथ ऑपरेशन के लिए निकल पड़े। जंगल में दुश्मन पहले से ही ऊंची जगहों पर छिपे बैठे थे और तीन दिशाओं से गोलीबारी कर रहे थे। ऑपरेशन की शुरुआत में ही चार कमांडो घायल हो गए। मोहित बिना समय बर्बाद किए रेंगते हुए आगे बढ़े और एक-एक कर अपने घायल साथियों को सेफ जगह तक पहुंचाया।
एक सैनिक को उन्होंने अपनी पीठ पर उठाया। वहीं दूसरे को सहारा देकर पीछे भेजा। गोलियां लगातार चल रही थीं, लेकिन मोहित रुकने वाले नहीं थे। उन्होंने इतनी गंभीर परिस्थिति में भी खुद को आगे रखा और बाकी टीम को रेडियो पर पीछे हटने के आदेश दे दिए। उन्होंने अकेले ही चार आतंकियों को मार डाला। उसके बाद उन्होंने दो और आतंकियों को मारा, लेकिन इसी दौरान उन्हें भी कई गोलियां लग गईं। सिर्फ 31 साल की उम्र में मोहित ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। उस ऑपरेशन में कई आतंकियों को ढेर किया गया, लेकिन मोहित के साथ पांच बहादुर सैनिक शहीद हो गए।
शहीद होने के बाद मेजर मोहित शर्मा को देश के सबसे बड़े शौर्य पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। साथ ही उनकी याद में 2019 में गाजियाबाद के राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर मेजर मोहित शर्मा मेट्रो स्टेशन रखा गया। यह जगह आज भी लोगों को उनकी बहादुरी की याद दिलाती है।
उनकी पत्नी रिशिमा शर्मा का भी आर्मी बैकग्राउंड है। वह 2001 में सेना में भर्ती हुई थी। उन दोनों के दो बच्चे हैं। जिस समय मोहित की मृत्यु हुई थी, उस समय रिशिमा मेजर थी और अब वह भारतीय सेना में कर्नल पद पर हैं। रिशमा सरीन वो पहली महिला ऑफिसर थीं, जिन्होंने साल 2023 में अग्निवीर भर्ती में बतौर रिक्रूटर अपनी भूमिका निभाई। उनके भाई और पिता का भी आर्मी बैकग्राउंड है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
11 Dec 2025 04:25 pm
Published on:
11 Dec 2025 04:24 pm


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