AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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IPS Dinesh MN: राजस्थान पुलिस में कुछ नाम ऐसे हैं, जिनका जिक्र होते ही अपराधियों के माथे पर पसीना आ जाता है। इन्हीं नामों में एक है IPS दिनेश एमएन। सख्त कार्रवाई, बेखौफ अंदाज और मैदान में खुद उतरकर काम करने वाले इस अफसर को लोग रियल सिंघम भी कहते हैं। इन दिनों दिनेश एमएन एक बार फिर चर्चा में हैं। वजह है उनकी संभावित दिल्ली पोस्टिंग। माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार में डेपुटेशन को मंजूरी मिलती है, तो वे जल्द ही दिल्ली में नई जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।
चर्चित आईपीएस दिनेश एमएन का पूरा नाम मुंगनहल्ली नारायणस्वामी दिनेश है। वे मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और पहली ही कोशिश में आईपीएस बन गए। उन्हें राजस्थान कैडर मिला। शुरू से ही उनकी पहचान एक ऐसे अफसर की बनी, जो दफ्तरों में बैठने के बजाय फील्ड में रहकर काम करना पसंद करता है। अपराधियों पर लगाम लगाने में राजस्थान के इस अफसर का नाम हर किसी की जुबान पर है। खुंखार अपराधियों का एनकाउंटर हो या बड़े-बड़े गैंगस्टर सबको गिरफ्तार करवाने दिनेश एमएन का अहम योगदान रहा है।
राजस्थान के करौली, सवाई माधोपुर, झुंझुनूं और उदयपुर जैसे जिलों में एसपी रहते हुए दिनेश एमएन ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। वे सिर्फ आदेश देने वाले अफसर नहीं थे, बल्कि खुद ऑपरेशन की कमान संभालते थे। सवाई माधोपुर में रहते हुए उनकी टीम ने कुख्यात डकैत राम सिंह का एनकाउंटर किया। इसके बाद पूरे राजस्थान में उनकी पहचान एक तेज-तर्रार और निडर पुलिस अफसर के तौर पर बन गई।
दिनेश एमएन के करियर का सबसे मुश्किल दौर सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस रहा। साल 2005 में गुजरात पुलिस के साथ हुए इस एनकाउंटर को फर्जी बताया गया। उस समय उदयपुर एसपी रहे दिनेश एमएन का नाम भी मामले में सामने आया। सीबीआई जांच के बाद उन्हें गिरफ्तार कर अहमदाबाद की साबरमती जेल भेज दिया गया। करीब सात साल तक वे जेल में रहे। यह वक्त उनके जीवन का सबसे कठिन समय माना जाता है। साल 2014 में उन्हें जमानत मिली और 2017 में अदालत ने सबूतों के अभाव में दिनेश एमएन समेत सभी आरोपित पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया।
जेल से बाहर आने के बाद भी दिनेश एमएन के तेवर नहीं बदले। उन्होंने इसे अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत माना। इसके बाद उन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में तैनाती मिली। यहां उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला। कई बड़े रिश्वतखोर अफसर रंगे हाथों पकड़े गए। इस दौरान आईपीएस और आईएएस स्तर तक के अधिकारियों पर कार्रवाई हुई, जिससे उनकी सख्त और ईमानदार छवि और मजबूत हुई।
साल 2016 में दिनेश एमएन को स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) का एडीजी बनाया गया। उस वक्त कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह राजस्थान पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ था। दिनेश एमएन ने आनंदपाल को पकड़ने के लिए खास रणनीति बनाई। उसके करीबी एक-एक कर गिरफ्तार होने लगे। आखिरकार जून 2017 में चूरू के पास आनंदपाल को घेर लिया गया। पुलिस के मुताबिक आत्मसमर्पण के बजाय उसने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। हालांकि उसके परिवार ने एनकाउंटर पर सवाल उठाए जिसके बाद मामला कोर्ट में है।
दिनेश एमएन की कार्रवाई सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं रही। अमेरिका, दुबई, इटली और कैलिफोर्निया में छिपे कई गैंगस्टरों को राजस्थान पुलिस की सूचना पर वहां की एजेंसियों ने पकड़ा। कुछ अपराधियों को भारत लाया जा चुका है, जबकि कई के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है।
फिलहाल दिनेश एमएन एडीजी स्तर पर क्राइम ब्रांच, एटीएस और एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स जैसी अहम यूनिट्स की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। हाल की ट्रांसफर लिस्ट में भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां मिली हैं। इसी बीच केंद्र सरकार में डेपुटेशन को लेकर चर्चाएं तेज हैं। अगर मंजूरी मिलती है, तो राजस्थान का यह फायरब्रांड आईपीएस जल्द ही दिल्ली में नई भूमिका निभाता नजर आ सकता है।
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Updated on:
20 Dec 2025 03:50 pm
Published on:
20 Dec 2025 03:49 pm


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