AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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ग्वालियर . जिले में बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। अक्टूबर में दो बार हुई बारिश से खराब हुई फसलों का सर्वे अब अंतिम चरण में है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल में सामने आया है। तेज हवा और बारिश के कारण धान खेतों में लेट गई है और पानी भरने से उसमें गलाव भी हो गया है। अनुमान है कि जिले में 40 फीसदी तक फसल को नुकसान पहुंचा है।
किसानों पर इस बारिश की दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ तो फसल बर्बाद हुई है, वहीं दूसरी ओर खेतों में पानी भरा होने के कारण हार्वेस्टर खेतों में नहीं जा पा रहे हैं। इससे धान की कटाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कटाई में देरी होने के कारण अब रबी की बोवनी भी प्रभावित होगी।
महंगी कटाई का बोझ
धान की कटाई के लिए किसान अब चेन वाली हार्वेस्टर मंगा रहे हैं, जो गीले खेतों में चल जाती है, लेकिन इसकी कटाई किसानों को महंगी पड़ रही है। यह हार्वेस्टर प्रति घंटे 3200 रुपये तक चार्ज कर रही है । इसके अलावा, बारिश के कारण सूखी धान में भी नमी बढ़ गई है, जिसकी वजह से किसानों को तत्काल बेचने पर मंडियों में उचित भाव नहीं मिल रहे। धान के साथ-साथ सरसों की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। कई किसान दीपावली के बाद सरसों की बोवनी कर चुके थे, लेकिन अंकुरण से पहले ही बारिश हो गई, जिससे सरसों उगी नहीं। किसान का बीज और खाद बर्बाद चला गया।
मुआवजे का इंतजार
जिले में बेमौसम बारिश से खराब हुई फसलों का सर्वे अंतिम चरण में है। सर्वे की रिपोर्ट जल्द ही राज्य शासन को भेजी जाएगी, जिसके बाद किसानों को मुआवजा मिलने की उम्मीद है। किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द मुआवजे की प्रक्रिया पूरी करे, ताकि वे रबी की बोवनी के लिए तैयार हो सकें।
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Published on:
07 Nov 2025 02:01 am


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