AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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धार/बाग.
धार में 23 दिसंबर को मेडिकल कॉलेज के भूमिपूजन कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के स्वागत में नकली बाग प्रिंट (गुमछा) भेंट करने का मामला सामने आया है। इसे लेकर शासकीय आयोजन सवालों के घेरे में है। साथ ही नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। बाग के शिल्पकारों ने इसे हस्तशिल्प कला के उल्लंघन का आरोप लगा है। पीएमओ कार्यालय में भी ई-मेल के जरिए शिकायत करते हुए विरोध दर्ज कराया है। दरअसल, शिल्पकारों का आरोप है कि कि बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और अन्य गणमान्य अतिथियों को मंच पर मशीन से बने नकली बाग प्रिंट स्टोल (गमछा) भेंट किए गए। इस घटना से बाग के पारंपरिक शिल्पकारों में भारी रौष है। नेशनल अवॉर्ड विजेता कारीगर बिलाल खत्री ने पीएमओ कार्यालय , सीएम डॉ. मोहन यादव, धार कलेक्टर को ईमेल के ज़रिए शिकायत की। जिसमें कहा गया कि स्टोल हैंड ब्लॉक प्रिंटेड बाग डिज़ाइन नहीं थे। जिसके लिए धार को जीआई टैग मिला है, बल्कि सस्ते स्क्रीन प्रिंटेड डुप्लीकेट थे।
शिकायत पर गंभीरता दिखाते हुए हैंडलूम और हैंडीक्रॉफ्ट कमिश्नर ने धार कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है। शिल्पकारों का कहना है कि 23 दिसंबर को हुई सभा के दौरान मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने जो गमछा भेंट किया था, वह हाथ की ठप्पा छपाई की बजाय मशीन या स्क्रीन प्रिंटिंग से तैयार किए गए थे। बाग प्रिंट कला को जीआई टैग मिलने के बावजूद इस तरह के नकली उत्पादों का सरकारी मंच पर प्रचार करना एक गंभीर अपराध माना जा रहा है। शिल्पकारों का मानना है कि यह उनकी आजीविका पर सीधा प्रहार है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बाग प्रिंट शिल्पकार मोहम्मद बिलाल खत्री ने बताया यदि नकली मशीन से बने बाग प्रिंट उत्पादों का यह चलन बढ़ता रहा, तो असली हाथ की ठप्पा छपाई कला और इससे जुड़े हजारों शिल्पी लुप्त हो जाएंगे। बाग प्रिंट शिल्पियों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने कहा सरकार पर एक तरफ जीआई टैग का गुणगान करने और दूसरी तरफ नकली उत्पादों को बढ़ावा देकर शिल्पियों का अपमान करने का आरोप लगाया।
बिलाल खत्री के साथ बाग प्रिंट शिल्पी मोहम्मद आरिफ, मुबारक और राधेश्याम सहित सभी रंगकर्मियों ने मांग की है कि नकली स्टॉल सप्लाई करने वाले अधिकारियों पर जीआई टैग उल्लंघन के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई हो, जिसमें जुर्माना और जेल की सजा शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मशीन या स्क्रीन प्रिंट कभी भी बाग प्रिंट नहीं हो सकता, क्योंकि यह कला प्राकृतिक रंगों, हाथ के ठप्पों और महीनों की मेहनत से बनती है, जो बाग की पहचान है।
बाग के स्थानीय आदिवासियों को प्रशिक्षण देकर बाग प्रिंट के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससेे कतिपय लोगों को एकाधिकार समाप्त हो रहा हैं और उनके व्यावसायिक हित प्रभावित हो रहे है। इसललिए सारा भ्रम फैलाया जा रहा है। आदिवासी कलाकारों को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
26 Dec 2025 11:25 am


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