AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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बगीचे का खेल
एक दिन एक छोटी सी लड़की अपने घर के बगीचे में खेल रही थी। वह बहुत खुश थी क्योंकि वह आज पहली बार पेड़ पर चढऩे जा रही थी। उसका नाम नव्या था। नव्या को पेड़ पर चढऩा बहुत अच्छा लगता था। उसके दोस्तों ने कहा था, नव्या, तुम पेड़ पर चढ़ नहीं सकती, लेकिन नव्या ने हार नहीं मानी। वह धीरे-धीरे पेड़ की मोटी और हरी-भरी शाखाओं पर चढऩे लगी। पहले तो वह थोड़ी डर रही थी, लेकिन फिर उसने सोचा मैं तो बहुत बहादुर हूं। नव्या ने पेड़ के ऊपर जाकर दोनों हाथ खोल दिए, जैसे वह आसमान को छूने वाली हो। उसकी आंखों में चमक थी और उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। उसी वक्त एक प्यारा सा लाल रंग का पक्षी उसके पास आया और फडफ़ड़ाते हुए उडऩे लगा। नव्या ने हंसते हुए कहा, देखो, एक पक्षी। वह पक्षी जैसे उसे खुश देखकर उड़ा। नव्या ने दोनों हाथों से आकाश में उड़ते पक्षी को देखा और दिल से खुश हो गई। नव्या का मन अब और भी खुश हो गया था। वह सोचने लगी, कितनी मजेदार है यह दुनिया! पेड़ पर चढऩे से डरने की कोई बात नहीं है। हमें बस अपने सपनों को पकडऩे के लिए कोशिश करनी चाहिए।
नव्या गुर्जर,उम्र-8वर्ष
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जीव जंतुओं की मदद करनी चाहिए
रविवार का दिन था। रोनक एक बहुत अच्छा इंसान था। उसे प्रकृति से बहुत प्यार था। वो रोज पेड़ पौधों में पानी डालता, जहां पेड़ पौधे होते वहां आसपास की जगह को साफ रखा करता था। रोनक को जीव जंतुओं से भी बड़ा प्यार था। वो रोज सुबह-सुबह बाहर गार्डन में पेड़ो को पानी दिया करता था और चिडिय़ों को दाना पानी दिया करता था। एक दिन वो सुबह बाहर टेलने गया तो उसने देखा एक चिडिय़ा के पंख पेड़ पर बने एक घोंसले में अटक गए और वो बहुत ज्यादा तड़प रही थी। उसने तुरंत पेड़ पर चढ़ा ओर उस चिडिय़ा के पैर को छुड़ाया और उसे अपने हाथ में लेकर प्यार भरी बाते की। फिर उसे बहुत प्यार से अलविदा बोल कर आजाद कर दिया। इससे उसको बहुत खुशी मिली और बहुत सुकून भी मिला। आप को भी इसी तरह जीव जंतुओं की सहायता करनी चाहिए।
भवानी सिंह,उम्र-12वर्ष
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खुशी के पल
एक छोटा सा लड़का था रोहन। उसे प्रकृ ति में घूमने और पेड़ों के नीचे खेलने का बहुत शौक था। एक दिन वह अपने गांव के पास एक पहाड़ी पर गया, जहां पेड़ों की हरियाली और पक्षियों की चहक सुनाई दे रही थी। रोहन ने अपने हाथ ऊपर उठाए और खुशी से चिल्लाया, मैं कितना खुश हूं। उसके ऊपर एक छोटा सा पक्षी उड़ रहा था, जो उसकी खुशी में शामिल हो गया। रोहन ने सोचा, यह प्रकृति कितनी सुंदर है और मैं इसका एक हिस्सा हूं। और फिर वह वहां और देर तक खेलता रहा, अपनी खुशी को प्रकृति के साथ बांटता रहा।
कृष्णा नागर,उम्र-12वर्ष
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वातावरण को बदलने के लिए प्रयास करना जरूरी है
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था। जिसका नाम रोहन था। रोहन को पेड़-पौधे लगाने का बहुत शौक था। उसने अपने गांव के आसपास कई पेड़ लगाए और उनकी देखभाल की। शुरुआत में लोगों ने उसका मजाक उड़ाया, लेकिन रोहन ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे, पेड़ बड़े हो गए और गांव का वातावरण सुंदर और स्वच्छ हो गया। पेड़ों ने वायु प्रदूषण को कम किया और गांव के लोगों को ताजी हवा मिलने लगी। गांव के लोगों ने रोहन की मेहनत की सराहना की और उसे हरित योद्धा का नाम दिया। रोहन की कहानी हमें सिखाती है कि छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। अगर हम सब मिलकर पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करें, तो हम एक स्वच्छ और सुंदर भविष्य बना सकते हैं। रोहन का यह प्रयास न केवल गांव के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया। उसकी कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमें अपने आसपास के वातावरण को सुधारने के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए।
रेणु चौधरी,उम्र-6वर्ष
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आजादी का एहसास
रवि को हमेशा से पेड़ों पर चढऩा बहुत पसंद था। हर सुबह वह अपने घर के पास वाले बाग में जाता और सबसे बड़े पेड़ पर चढऩे की कोशिश करता। एक दिन उसने ठान लिया कि आज वह सबसे ऊंची शाखा तक पहुंचेगा। धीरे-धीरे ध्यान से वह ऊपर चढ़ता गया। नीचे से मम्मी उसे आवाज दे रही थीं, लेकिन रवि अपने लक्ष्य में डटा रहा। आखिरकार जब वह सबसे ऊंची शाखा तक पहुंच गया, तो उसने अपने हाथ आसमान की ओर फैला दिए। ठंडी हवा उसके चेहरे को छू रही थी। उसे लगा जैसे वह सचमुच बादलों को छू सकता है। तभी एक लाल चिडिय़ा आई और पास वाली शाखा पर बैठ गई। चिडिय़ा ने मीठी सी चहचहाहट की जैसे कह रही हो- देखो, तुमने कर दिखाया! रवि मुस्कुराने लगा। उसे लगा जैसे वह भी चिडिय़ा की तरह आजाद है। ऊपर से उसने पूरे बाग को देखा। हरी-हरी पत्तियां, खेलते बच्चे और नीला आसमान- सब कुछ कितना सुंदर लग रहा था। उसने मन ही मन सोचा- अगर मैं रोज यहां चढूंगा तो मैं पेड़ों के बारे में पक्षियों के बारे में और प्रकृ ति के बारे में और जान पाऊंगा। नीचे उतरते समय उसने ठान लिया कि वह अब हर दिन पेड़-पौधों का ख्याल रखेगा। उसने अपने दोस्तों को भी समझाया कि पेड़ हमारे सच्चे दोस्त हैं- ये हमें छाया देते हैं, हवा साफ करते हैं और हमें खुश रखते हैं। उस दिन से रवि के लिए पेड़ सिर्फ खेलने की जगह नहीं रहे, बल्कि उसके सबसे अच्छे दोस्त बन गए।
धीरेश गुप्ता,उम्र-10वर्ष
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मूल्यवान पेड़ों को बचाएं
एक बार की बात है। मोहन नाम का लड़का एक गांव में रहता था। उसे पेड़ पौधों से बहुत लगाव था। वह रोज कई पेड़ों को काटने से बचाता और कई पौधे लगाता। एक बार गांव में एक कंपनी से रेलवे कोच बनाने वाले कुछ लोगों का समूह आया। वह जंगलों को काटने आए थे। मोहन बहुत दुखी था। वह चाहता था कि वह पेड़ों को ना काटे और उसने गांव के सभी लोगों को जंगल को बचाने के लिए प्रोत्साहित किया। जैसे ही पेड़ों को काटने के लिए कंपनी द्वारा कुछ लोगों का समूह आया। उसी समय गांव के लोगों ने कहा आओ अपने मूल्यवान पेड़ों को बचाएं और वे सभी चिपको-चिपको चिल्लाते हुए आगे की ओर बड़े पेड़ों को गले लगा लिया। इसी प्रकार कंपनी के लोग डर गए और चले गए। इससे मोहन बहुत खुश था।
साक्षी अनुरागी,उम्र-13वर्ष
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पेड़ पर रीना की खुशियां
एक समय की बात है। एक छोटे गांव में रीना नाम की एक चंचल बच्ची रहती थी। उसे पेड़ों से बहुत प्यार था। हर सुबह वह जल्दी उठकर बगीचे में जाती और पेड़ों पर चढऩा उसका सबसे पसंदीदा खेल था। एक दिन सुबह-सुबह रीना पास के बड़े पेड़ पर चढ़ गई। पेड़ की शाखाओं पर बैठकर उसने चारों ओर देखा। हवा ठंडी थी और आसमान में हल्के बादल तैर रहे थे। तभी उसने पास से एक लाल चिडिय़ा को उड़ते देखा। चिडिय़ा की चहचहाहट सुनकर रीना खुशी से मुस्कु रा उठी। रीना ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाए और बादलों को छूने की कोशिश की। उसे ऐसा लगा जैसे वह आसमान का हिस्सा बन गई हो। नीचे से उसकी मां ने आवाज दी, रीना, ध्यान से उतरना। रीना बोली, मां, यहां से सब बहुत सुंदर लग रहा है। कुछ देर बाद रीना धीरे-धीरे नीचे उतरी। उसने मां से कहा, पेड़ पर बैठने से मुझे लगता है, जैसे मैं पक्षियों की तरह उड़ रही हूं। मां ने मुस्कुराकर कहा, प्रकृ ति के पास रहना अच्छा है, लेकिन हमेशा सावधान रहना चाहिए। उस दिन के बाद से रीना हर दिन पेड़ों की देखभाल करने लगी। वह चिडिय़ों को दाने डालती और नए पौधे भी लगाती। रीना को समझ आ गया कि प्रकृ ति हमारी सच्ची दोस्त है, जिसे हमें प्यार और सुरक्षा देना चाहिए।
अनय नामा,उम्र-13वर्ष
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प्रकृति मेरी मित्र
मैं बादलों को छू सकता हूं। चिडिय़ां के साथ बातें कर सकता हूं। मैं पेड़ की शक्तियां लेकर उस जितना बड़ा हो सकता हूं और ठंडी हवा का आनंद ले सकता हूं। आज युनय का मन प्रफुल्लित है। परीक्षा खत्म हो गई है। मन वृक्ष सा बड़ा हो रहा है। प्रकृति के पास आकर उसे खुला और आजाद महसूस होने लगा। पर शाम होने लगी और अब उसे घर जाना पड़ेगा। उसने तय किया की जब भी वह उदास महसूस करे या किसी कठिनाई में पड़ जाए, तो इसी वृक्ष के पास आकर अपनी कठिनाइयां और परेशानियां दूर कर लेगा। आज से यह पेड़, चिडिय़ां, हवा और बादल सब उसके दोस्त हैं। उसने खुद से कहा- आज से सारी प्रकृति ही मेरी दोस्त है, मेरी मित्र है।
युनय दत्त,उम्र-10वर्ष
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मधुर मित्रता रोहन और पेड़
रोहन एक खुशमिजाज लड़का था। जो प्रकृति को बहुत प्यार करता था। एक दिन उसने अपने गांव के किनारे पर खड़े एक बड़े हरे पेड़ को देखा। पेड़ की शाखाएं आसमान की ओर उठी हुई थीं और उसकी पत्तियां धूप में झिलमिला रही थीं। रोहन ने सोचा कि वह पेड़ के साथ मित्रता करेगा। वह पेड़ के तने को सहलाने लगा और उससे बातें करने लगा। पेड़ की शाखाओं पर बैठा एक छोटा सा नारंगी पक्षी रोहन को देखकर खुशी से चहचहाने लगा। धीरे-धीरे रोहन पेड़ पर चढऩे लगा और उसकी ऊंची शाखाओं पर बैठकर झूलने लगा। पेड़ की पत्तियां उसके चारों ओर नाचने लगीं और हवा में एक मधुर संगीत सा बजने लगा। नारंगी पक्षी रोहन के साथ खेलने लगा जैसे वह भी इस मित्रता का हिस्सा हो। एक दिन रोहन ने पेड़ से कहा, तुम मेरे सबसे प्यारे मित्र हो। तुम मुझे शांति और खुशी देते हो। पेड़ की पत्तियां और भी हरी हो गईं और नारंगी पक्षी ने और भी मीठा गीत गाया।
हृदयांश पंचोली,उम्र-11वर्ष
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पेड़ों से खुशी मिलती है
पेड़ पर चढ़े हुए छोटे बच्चे मनीष की खुशी का ठिकाना नहीं था। उसने जैसे ही अपनी दोनों बाहें फैलाकर आसमान की ओर देखा, तो एक प्यारी चिडिय़ा फुर्र से उड़कर उसके सामने आ गई। मनीष जोर से हंस पड़ा और बोला- अरे वाह! मैं तो समझ रहा था कि मैं अकेला ही आसमान छू रहा हूं, लेकिन तू तो सचमुच उड़ सकती है। चिडिय़ा चहकते हुए बोली- हां, लेकिन पेड़ों की वजह से ही मुझे ठंडी छाया और मीठा फल मिलता है। अगर पेड़ न हों, तो मेरा घर कहां होगा? मनीष ने पेड़ की शाखा पकड़ते हुए कहा- सही कह रही हो! पेड़ तो हम सबके सच्चे दोस्त हैं। ये हमें हवा, फल, छाया और ताजगी देते हैं। इतना कहकर मनीष ने कसम खाई कि वह हर साल एक नया पेड़ लगाएगा। चिडिय़ा ने अपनी मधुर आवाज में गाना गाया और बादल भी मुस्कुराकर ऊपर से झांकने लगे। उस दिन से मनीष सबको कहने लगा- अगर खुश रहना है, तो पेड़ लगाना जरूरी है!
शिवांश सोनी,उम्र-7वर्ष
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छोटी चिडिय़ा और नील
पेड़ की डालियों पर चढ़कर छोटा नील बिल्कु ल बादलों को छू लेने जैसा महसूस कर रहा था। हवा उसके बालों से खेल रही थी और उसका दिल तेज-तेज धड़क रहा था। अचानक उसने देखा एक छोटी सी लाल चिडिय़ा उसके पास आकर बैठ गई। चिडिय़ा की आंखें चमक रही थीं, मानो कोई राज बताना चाहती हो। नील ने मुस्कुराकर हाथ बढ़ाया और कहा, क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी? चिडिय़ा ने पंख फडफ़ड़ाए और आकाश की ओर उड़ चली। नील भी उसका पीछा करने के लिए पेड़ की सबसे ऊंची टहनी तक पहुंच गया। वहां खड़े होकर उसे लगा जैसे वह भी उड़ सकता है। नीचे जंगल था, ऊपर नीला आसमान और चारों ओर पक्षियों की मधुर आवाज। उस पल नील को समझ आया कि असली रोमांच डर से ऊपर उठकर नई दुनिया को अपनाने में है। उस दिन से नील और वह चिडिय़ा हर सुबह साथ-साथ सूरज का स्वागत करने लगे।
आरोही कर्मा,उम्र-11वर्ष
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सच्ची खुशी
हरे-भरे जंगल के बीच एक छोटा सा लड़का था आरव। वह बहुत जिज्ञासु और निडर था। एक दिन उसने तय किया कि वह पेड़ों की ऊंचाई नापेगा। वह चढ़ता गया, शाखा दर शाखा पकड़कर ऊपर चढ़ा और आखिरकार पेड़ की सबसे ऊंची डाल पर पहुंच गया। वहां से उसे पूरा जंगल दिख रहा था। हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी और मन में एक अनोखी आजादी का अहसास हो रहा था। अचानक पास से एक लाल चिडिय़ा फडफ़ड़ाती हुई आई। वह आरव के चारों ओर चक्कर काटने लगी, जैसे उसे दोस्त बनाना चाहती हो। आरव ने हाथ फैलाए और हंसते हुए उसका स्वागत किया। चिडिय़ा ने भी मधुर स्वर में चहककर उत्तर दिया। दोनों के बीच जैसे एक अनोखी दोस्ती शुरू हो गई। नीचे से पेड़ हरा-भरा और मजबूत लग रहा था। ऊपर नीला आसमान और बादल उसे घेर रहे थे। उस क्षण आरव को लगा कि सच्ची खुशी न तो खिलौनों में है और न ही किसी दौलत में, बल्कि प्रकृति की गोद में छिपी है। उस दिन से वह रोज पेड़ पर चढ़कर अपने नए पंखों वाले मित्र से मिलने आने लगा।
आरव विश्वकर्मा,उम्र-8वर्ष
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असली खुशी सरलता में है
एक बार की बात है, एक प्यारा सा बच्चा आरव पेड़ पर चढ़कर खेल रहा था। आसमान में बादल थे और मौसम बहुत सुहावना था। तभी एक नन्ही चिड़िया पेड़ के पास आकर चहकने लगी। आरव ने खुशी से हाथ फैलाए और जोर से हंस पड़ा। चिड़िया मानो उसकी दोस्त बन गई। वह पेड़ की डाल पर बैठकर आरव से बातें करने लगी। आरव ने चिड़िया से कहा, तुम्हें उडऩे की आजादी है और मुझे खेलने की। दोनों की दोस्ती का यह सुंदर पल प्रकृति की गोद में हमेशा यादगार बन गया। आरव ने सीखा कि असली खुशी सरल चीजों में छिपी होती है।
आरवी प्रजापति,उम्र-7वर्ष
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जादुई पेड़ और रोहन
एक गांव में रोहन नाम का एक उत्साही और खुशमिजाज लड़का रहता था। जिसे प्रकृति से बेहद लगाव था। उसके घर के आंगन में एक बहुत घना और पुराना बरगद का पेड़ था। जिसे वह अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता था। रोहन अपना ज्यादातर समय उसी पेड़ की मजबूत शाखाओं पर चढऩे, खेलने और पक्षियों से बातें करने में बिताता था। एक दिन जब वह हमेशा की तरह पेड़ पर चढ़ रहा था, तो उसे एक अनोखा एहसास हुआ। जैसे ही वह पेड़ की सबसे ऊपरी चोटी पर पहुंचा, पेड़ अचानक और तेजी से ऊपर की ओर बढऩे लगा। रोहन पहले तो थोड़ा घबराया, पर फिर उसे इस अद्भुत सफर में बहुत मजा आने लगा। पेड़ उसे इतना ऊपर ले गया कि वह बादलों के बीच पहुंच गया। दुनिया ऊपर से बहुत शांत और सुंदर दिख रही थी। खुशी से भरकर रोहन ने अपनी बांहें आसमान की ओर फैला दीं, जैसे वह पूरी दुनिया को गले लगाना चाहता हो। तभी एक प्यारी सी चिड़िया चहचहाती हुई उसके पास आई हो। ऐसा मानो उसकी खुशी में शामिल हो रही हो। रोहन ने हिम्मत करके अपना हाथ आगे बढ़ाया और एक छोटे से बादल को छू लिया, जो रुई की तरह मुलायम और ठंडा था। यह उसके जीवन का सबसे यादगार और जादुई पल था। उसे लगा जैसे वह आजाद होकर हवा में उड़ रहा है। कु छ देर बाद पेड़ धीरे-धीरे उसे सुरक्षित नीचे ले आया। रोहन ने नीचे उतरकर पेड़ को कसकर गले लगा लिया और उसे इस अनोखे तोहफे के लिए धन्यवाद दिया। उस दिन से उसका प्रकृति के प्रति विश्वास और भी गहरा हो गया। वह समझ गया था कि अगर हम प्रकृति से प्यार करते हैं, तो वह भी हमें अपने जादुई रहस्यों से मिलाती है।
दक्षित सोनी,उम्र-13वर्ष
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राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Updated on:
24 Sept 2025 01:03 pm
Published on:
24 Sept 2025 01:02 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।