AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

श्योपुर / विजयपुर. वन विभाग की जमीन पर वन माफिया द्वारा अनाधिकृत रूप से जंगल की कटाई कर उस पर धीरे-धीरे अतिक्रमण कर अब खेती करने लगे है। लेकिन इस तरफ वन विभाग का कोई ध्यान नहीं है। तभी तो हम बात कर रहे हैं विजयपुर क्षेत्र की पूर्व और पश्चिम रैंज के अंतर्गत आने वाली दस हजार बीघा से अधिक वनभूमि की जहां पर भू-माफियों द्वारा अनाधिकृत रूप से जंगल की कटाई कर अब उसमें खेती की जा रही है।
हालांकि समय-समय पर वन विभाग कार्रवाई तो कर रहा है लेकिन कार्रवाई सिर्फ नाम patrika.comके लिए होती है तभी तो दिन-प्रतिदिन जंगल की कटाई कर वन माफिया द्वारा यहां कब्जा किया जा रहा है। वन विभाग की कार्रवाई का भी वन माफिया पर कोई खास असर नजर नहीं आ रहा है, जिसके चलते ही जंगल की दस हजार बीघा से अधिक वन भूमि को खेती योग्य बनाकर उस पर आराम से खेती करने में लगे है।
यहां हम बता दें कि, वन विभाग की सबसे अधिक जमीन पर अतिक्रमण कर की जा रही है तो उसमें सबसे ज्यादा ववनवास गांव और पिपरवास गांव के नाम शामिल है, इसके साथ ही नेहरखेड़ा एवं खाड़ी में भी यही हाल है। उधर डौडरीकलां, नहाड, धामिनी, खलाई, मकनाकापुरा, चिलवानी, देवरी, नेहरखेड़ा, धोविनी, सहसराम, बुढेरा, खुरजान आदि दर्जनों गांव ऐसे हैं जिन गांवों के लोग जंगल की अवैध तरीके से कटाई कर उस पर खेती कर रहे है।
दरसअल यहां हम बता दें कि, वन विभाग ने जब-जब वन माफियाओं को जंगल से खदेडऩे की कोशिश की है, तब वन विभाग के कर्मचारियों से मारपीट के मामले सामने आए है, जिसमें वन माफियाओं के खिलाफ पुलिस थाने में दर्जनों केस भी दर्ज है। लेकिन माफिया पर इस कार्रवाई का कोई असर नहीं हुआ। नेहरखेड़ पंचायत की वन विभाग की जमीन पर पिछले तीन साल पहले वन विभाग के स्टाफ के साथ वन माफिया ने आमने-सामने की भिड़ंत हो गई थी, जिसमें वन विभाग के कर्मचारियों को चोट आई थी। इस मामले में गसवानी थाने में मामला दर्ज भी हुआ था। इसी तरह बुढेरा, सहसराम, ववनवास और पिपरवास गांव के लोगों के साथ भी हाथापाई हो चुकी है। लेकिन इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण ही आज वन माफिया के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में न तो वे वन विभाग की बात मानने को तैयार है और न ही वन विभाग की चेतावनी का उन पर कोई असर हो रहा है।
अगर वन विभाग को वन माफियाओं के चंगुल से जंगल की अनाधिकृत रूप से की जा रही कटाई से बचाना है, तो इसके लिए तीन विभागों को मिलकर ठोस प्लान तैयार करना होगा। इस कार्य में राजस्व विभाग, वन विभाग के अलावा पुलिस को भी साथ मिलकर इस दिशा में कार्रवाई करनी होगी तब जाकर जंगल की हो रही अवैध कटाई पर अंकुश लगाया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि, वन विभाग वन माफियाओं से जंगल को बचाने के लिए प्रयासरत न हो। जंगल को बचाने के लिए वन विभाग द्वारा लगातार जंगल में सर्चिंग की जाती है। तीन दर्जन से ज्यादा वन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते इन पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती, जिससे जंगल की जमीन पर कब्जा हो रहा है।
ऐसा नहीं है हम लगातार जंगल सर्चिंग कर रहे हैं और जहां-जहां हमें अतिक्रमणकारी का पता चला है उन्हें चिन्हित कर मामला दर्ज कर कब्जाधारियों की तलाश में लगे हुए हैं। ऐसे करीब चालीस से ज्यादा अतिक्रमणकारी चिह्नित किए गए है, कुछ पर जेल की कार्रवाई भी हुई है।
पवन जगनेरी, पूर्व वन परिक्षेत्र अधिकारी विजयपुर
यह बात सही है कि, वनभूमि पर जहां भी यदि कोई अतिक्रमण कर रहा है, तो वे आदिवासी भाईयों को आगे कर देते हैं। अगर विवाद होता है तो उन्हीं लोगों को आगे कर वातावरण को गलत तरीके से पेश करते हैं। हालांकि वन विभाग को पुलिस को साथ लेकर कार्रवाई करनी चाहिए जिससे विवाद न बढ़े।
शिवराम कंसाना, थाना प्रभारी गसवानी
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Updated on:
25 Jul 2024 02:27 pm
Published on:
23 Jul 2024 05:29 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।