Patrika Logo
Switch to English
होम

होम

वीडियो

वीडियो

प्लस

प्लस

ई-पेपर

ई-पेपर

प्रोफाइल

प्रोफाइल

बामौरकलां के 141 हाथकरघा बुनकर को मिलेगी बिचौलियों से मुक्ति

जिले के बामौरकलां में भी चंदेरी की तरह साड़ी बनाने वाले हाथकरघा बुनकर परिवार निवास करते हैं, जो अपना माल अभी तक बिचौलियों के माध्यम से बाजार भेज रहे थे। अब वे सीधे बाजार में अपने हाथ की कारीगरी को बेच सकेंगे, इसके लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास शुरू हो गए।

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

🌟 AI से सारांश

AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

पूरी खबर सुनें
  • 170 से अधिक देशों पर नई टैरिफ दरें लागू
  • चीन पर सर्वाधिक 34% टैरिफ
  • भारत पर 27% पार्सलट्रिक टैरिफ
पूरी खबर सुनें
जिले के बामौरकलां में भी चंदेरी की तरह साड़ी बनाने वाले हाथकरघा बुनकर परिवार निवास करते हैं, जो अपना माल अभी तक बिचौलियों के माध्यम से बाजार भेज रहे थे। अब वे सीधे बाजार में अपने हाथ की कारीगरी को बेच सकेंगे, इसके लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास शुरू हो गए।
जिले के बामौरकलां में भी चंदेरी की तरह साड़ी बनाने वाले हाथकरघा बुनकर परिवार निवास करते हैं, जो अपना माल अभी तक बिचौलियों के माध्यम से बाजार भेज रहे थे। अब वे सीधे बाजार में अपने हाथ की कारीगरी को बेच सकेंगे, इसके लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास शुरू हो गए।

शिवपुरी। जिले के बामौरकलां में भी चंदेरी की तरह साड़ी बनाने वाले हाथकरघा बुनकर परिवार निवास करते हैं, जो अपना माल अभी तक बिचौलियों के माध्यम से बाजार भेज रहे थे। अब वे सीधे बाजार में अपने हाथ की कारीगरी को बेच सकेंगे, इसके लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास शुरू हो गए। यहां रहने वाले 141 परिवारों में से 20-20 का ग्रुप बनाकर समर्थ योजना के तहत 45 दिवसीय प्रशिक्षण भी शनिवार 27 जुलाई से शुरू हो गया। इससे उनके काम में और भी निखार आएगा तथा बाजार में उनकी साडिय़ों की कीमत भी अच्छी मिलेगी। 3 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक में हाथकरघा बुनकर के हाथों से बनी साडिय़ां बिकती हैं। इन साडिय़ों में यदि चांदी के तारों पर सोने के पानी की पॉलिश हो जाती है तो फिर उसकी कीमत डेढ़ से 2 लाख रुपए तक हो जाती है। इस तरह की साडिय़ां केवल हाथकरघा बुनकर ही बनाते हैं, जो ऑर्डर पर तैयार की जाती हैं। जिस साड़ी में जितना बारीक व भारी काम होता है, उसे बनाने में एक परिवार को उतना ही अधिक समय लगता है। हाथकरघा बुनकरों को आगे बढ़ाने तथा उनकी मेहनत का सही प्रतिफल दिलाए जाने के लिए अब सरकार उन्हें बाजार से सीधा जोडऩे का प्रयास कर रही है।

बदलेंगी डिजाइन, बढ़ेगी मांग, नियुक्त किया डिजाइनर

अभी तक बामौरकलां के हाथकरघा बुनकर अधिकांशत: एक ही तरह की साड़ी बना रहे थे, जबकि बाजार में अलग-अलग डिजाइन की साडिय़ों की मांग है। बुनकरों को बाजार के अनुरूप साडिय़ां बनाए जाने के लिए इंदौर की एक महिला डिजाइनर को बामौरकलां के बुनकर सेवा केंद्र वालों ने नियुक्त किया है। यह डिजाइनर अब यहां के बुनकरों को नई-नई डिजाइन की साडिय़ां बनाना सिखाएगी।

स्किल डवलपमेंट के लिए शुरू की समर्थ योजना

हाथकरघा बुनकर अभी तक एक ही ढर्रे पर काम कर रहे थे, लेकिन अब उनके लिए 45 दिवसीय समर्थ योजना के तहत प्रशिक्षण की शुरुआत 27 जुलाई से बामौरकलां में की गई है। जिसमें भारत सरकार के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इसमें बुनकरों को साड़ी बनाने से लेकर बाजार तक की जानकारी से अपडेट किया जाएगा। ट्रेङ्क्षनग में शामिल बुनकर को हर दिन 300 रुपए (रोजनदारी का नुकसान न हो), देंगे, हर दिन बायोमेट्रिक से उपस्थिति दर्ज करानी होगी।

2 से लेकर 15 दिन में तैयार होती एक साड़ी

साड़ी बनाने के लिए लूम सरकार द्वारा बुनकर परिवारों को दिया जाता है। एक साड़ी 2 दिन से लेकर 15 दिन में तैयार होती है। जिसमें जितना बारीक व भारी काम होता है, उसमें उतना ही समय लगता है। साड़ी की कीमत बाजार में 3 से लेकर 18 हजार रुपए तक में बिकती है। बाजार में हाथकरघा बुनकर साडिय़ों की मांग अधिक है, तथा बामौरकलां के कारीगरों की अलग-अलग डिजाइन की जब साडिय़ां बनेंगी तो उन परिवारों की आर्थिक स्थिति सु²ढ़ होगी।

केंद्रीय मंत्री ने देखी लाइव ट्रेङ्क्षनग

देश में 100 हाथकरघा बुनकरों का एक कलस्टर बनाया गया, जिसमें शिवपुरी के बामौरकलां को भी शामिल किया है। हाथकरघा के सहायक संचालक सुरेश सांख्यवार ने बताया कि शनिवार को जब समर्थ योजना के तहत बामौरकलां में बुनकरों की ट्रेङ्क्षनग चल रही थी तो दिल्ली से केंद्रीय मंत्री गिर्राज ङ्क्षसह सहित देश भर के हैंडलूम के वरिष्ठ अधिकारियों ने लाइव ट्रेङ्क्षनग देखी। बामौरकलां की साडिय़ों को कबीर बुनकर योजना के तहत दूसरा पुरुस्कार भी जीता था।

मांग बढ़ी तो बढ़ी लूम की संख्या

चंदेरी में वर्ष 2003 में हाथकरघा बुनकरों को 3600 लूम मिलती हैं, जिसकी वो साडिय़ां बनाते थे, जो वर्ष 2024 में बढक़र 5 हजार लूम हो गई है। यानि बाजार में मांग बढऩे पर साड़ी बनाने के लिए लगने वाले कच्चे माल यानि लूम की संख्या भी बढ़ गई। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया ने चंदेरी में हेंडलूम पार्क बनवाया है, उसी तर्ज पर बामौरकलां के बुनकरों के लिए भी ऐसा ही पार्क बनाकर उन्हें सीधा बाजार से जोड़ा जा सकता है।

बिचौलियों की जगह बुनकरों को मिलेगा लाभ: कलेक्टर

शिवपुरी के बामौरकलां में भी हाथकरघा बुनकर परिवार रहते हैं, जिन्हें अब सीधे बाजार से जोडऩे के लिए केंद्र सरकार की योजना में शामिल किया गया है। उनके काम को अपडेट करने के लिए ट्रेङ्क्षनग भी शुरू हो गई है। उनके हाथ की मेहनत के दाम बिचौलिए ले रहे थे, जिसे खत्म करना है। चंदेरी की तरह यहां के कारीगरों को भी लाभ मिले, यह प्रयास है। रङ्क्षवद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर शिवपुरी

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

अभी चर्चा में
(35 कमेंट्स)

अभी चर्चा में (35 कमेंट्स)

User Avatar

आपकी राय

आपकी राय

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?


ट्रेंडिंग वीडियो

टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

User Avatar