AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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सागर. मप्र बाल संरक्षण आयोग के निरीक्षण में परसोरिया में मिले अवैध मदरसे में एक के बाद एक चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। संस्था पर अवैध गतिविधियों के साथ मानव तस्करी की भी आशंका जताई जा रही है। क्योंकि आयोग सदस्य को यहां पर ऐसे 12 बच्चे मिले हैं जो अनाथ हैं, लेकिन वह कहां से आए हैं, किसने बच्चों को संस्था को सौंपा है वे कहां के मूल निवासी हैं यह सब रेकार्ड संस्था के पास मिले ही नहीं है। आयोग ने इन सभी 12 बच्चों की सूची तैयार की है और अब इसे मानव तस्करी के एंगल से जांच के दायरे में लिया है।
आयोग सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि मौलाना आजाद स्कूल के साथ संचालित मिले अवैध मदरसे और छात्रावास में रह रहे किसी बच्चे की सही जानकारी नहीं मिली है। इसमें 12 बच्चे अनाथ भी रह रहे हैं। सामान्य तौर पर तो बाल कल्याण समिति के माध्यम से अनाथ बच्चों को अनाथालय में छोड़ा जाता है। यदि परिजनों ने उन्हें परसोरिया मौलाना आजाद स्कूल संस्था को सौंपा है तो उनकी जानकारी जिला प्रशासन, जिला बाल कल्याण समिति या आयोग को देना अनिवार्य है, लेकिन संस्था ने यह जानकारी छिपाई है। इससे मानव तस्करी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
अनाथ बच्चों को लेकर प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री बाल आर्शीवाद योजना चल रही है। जिसमें माता-पिता के न होने की स्थिति में बच्चों को योजना से जोड़कर उनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए 4 हजार रुपए महीना सरकार देती है, लेकिन यह 12 बच्चे योजना से भी वंचित हैं।
कुछ समय पहले मप्र बाल संरक्षण आयोग के निरीक्षण के बाद दमोह में आधारशिला संस्था में कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं थीं। जांच में पता चला कि संस्था ने दो अनाथ बच्चों को गलत तरीके से अडॉप्ट किया था। जिसके बाद संस्था के संचालक डॉ. अजय लाल के खिलाफ हालही में 6 अगस्त को पुलिस ने मानव तस्करी और जुवेनाइल एक्ट के तहत आपराधिक मामला पंजीबद्ध किया है, लेकिन आरोपी अजय लाल नजरबंद होने के बाद भी गिरफ्तारी के पहले गायब हो गया।
मप्र बाल संरक्षण आयोग के निरीक्षण में परसोरिया में मिले अवैध मदरसे को लेकर नरयावली विधायक प्रदीप लारिया ने संभाग आयुक्त डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत और कलेक्टर संदीप जी आर को पत्र लिखकर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए बोला है। कलेक्टर-कमिश्नर को लिखे पत्र में विधायक लारिया ने कहा है कि मौलाना आजाद मिडिल स्कूल परसोरिया के नाम पर अवैध मदरसा चलाया जा रहा है। वहां अध्यनरत बच्चों ने रोते हुए बताया है कि अल सुबह 4.30 बजे जबरन उठाकर मदरसे में पढ़ाया जाता है, जबकि मदरसे की उनके पास मान्यता भी नहीं है। इस स्कूल की मान्यता केवल कक्षा आठवीं तक की थी, लेकिन वहां कक्षा 9वीं व 10वीं में भी एडमिशन दिया गया है। स्कूल का ड्रेस कोड भी कुर्ता, पजामा और जालीदार टोपी रखा गया है जो आपत्तिजनक है। स्कूल के छात्रावास में वुजू और इबादतखाना मिला है। छात्रावास है, जबकि आवासीय स्कूल की मान्यता नहीं है।
अनाथ बच्चों की जानकारी संस्था के पास नहीं मिली है, उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। संस्था ऐसा एहसान क्यों कर रही है कि योजना का लाभ नहीं ले रही। यदि सब ठीक होता तो बच्चों की जानकारी मिल जाती।
ओंकार सिंह, सदस्य, मप्र बाल संरक्षण आयोग
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Published on:
13 Aug 2024 11:24 am


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