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सरकार तय करेगी ​किराया, खोलना पड़ेगा ऑफिस, पालना नहीं तो लाइसेंस रद्द

राजस्थान में राजस्थान मोटर व्हीकल एग्रीगेटर रूल्स 2025 का ड्राफ्ट जारी, अब राइड कैंसिल करने पर लगेगा अ​धिकतम 10 फीसदी तक का शुल्क।

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राजस्थान में राजस्थान मोटर व्हीकल एग्रीगेटर रूल्स 2025 का ड्राफ्ट जारी (Photo - Patrika File)

कैब कंपनियों पर नकेल कसने के लिए राजस्थान में एग्रीगेटर पॉलिसी जारी करने की तैयारी की जा रही है। परिवहन विभाग ने इसके लिए राजस्थान मोटर व्हीकल एग्रीगेटर रूल्स 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। इसके तहत यात्रियों और चालकों के हितों को लेकर नियम-कायदे तय किए गए हैं। पॉलिसी में लाइसेंस, फीस, जुर्माना, बीमा सहित कई कड़े प्रावधान तय किए गए हैं। इसके तहत राजस्थान में कंपनियों को वाहनों का संचालन करने के लिए लाइसेंस लेना होगा। इतना ही नहीं कंपनी का कार्यालय खोलना होगा, जहां एक अधिकृत एप्लायंस अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।

कंपनी की ओर से अगर नियमों की पालना नहीं की जाती है तो लाइसेंस तीन माह तक निलंबित किया जा सकेगा। एक वित्तीय वर्ष में तीन बार निलंबन या किसी गंभीर अपराध की पुष्टि होने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। ऐसे मामलों में कंपनी को तत्काल अपना संचालन बंद करना होगा। इतना ही नहीं ड्राइवर की ओर से यात्रा स्वीकार करने के बाद यात्रा को रद्द किया जाता है, तो उस पर 10 फीसदी शुल्क अधिकतम 100 तक जुर्माना लगाया जाएगा।

यदि यात्री की ओर से यात्रा बुक करने के बाद यात्रा को रद्द किया जाता है तो बिना किसी वैध कारण के रद्दीकरण पर 10 फीसदी शुल्क लिया जाएगा। इस शुल्क की राशि को ड्राइवर और एग्रीगेटर के बीच अनुसार समान अनुपात में विभाजित किया जाएगा। परिवहन विभाग ने ड्राफ्ट जारी करके लोगों से सात दिन में सुझाव मांगे हैं।गौरतलब है कि राजस्थान में करीब तीन लाख गिग वर्कर हैं। जयपुर में 40 हजार से अ​धिक कैब सेवा में वाहन संचालित किए जा रहे हैं। लेकिन इनके लिए किसी प्रकार की पॉलिसी नहीं है।

लाइसेंस पांच वर्ष के लिए मान्य, अधिकतम 5 लाख रुपए तक लाइसेंस शुल्क

ड्राफ्ट के अनुसार लाइसेंस पांच वर्ष के लिए मान्य होगा। इसके लिए 10,000 रुपए आवेदन शुल्क और अधिकतम 5 लाख रुपए तक लाइसेंस शुल्क निर्धारित किया गया है। कंपनियों को अपनी वाहन संख्या के आधार पर 10 लाख से लेकर 50 लाख तक सुरक्षा जमा राशि भी देनी होगी। राज्य में संचालन करने वाली प्रत्येक कंपनी के लिए राजस्थान में कार्यालय खोलना और एक अधिकृत एप्लायंस अधिकारी नियुक्त करना अनिवार्य किया गया है। राज्य सरकार की ओर से संबंधित श्रेणी या वर्ग के मोटर वाहनों के लिए किराया तय किया जाएगा।

यह भी खास-खास

  • बुनियादी भाड़ा कम से कम तीन किलोमीटर के लिए लिया जाएगा
  • एग्रीगेटर को बुनियादी भाड़े से 50 फीसदी कम या अधिकतम दो गुना डाइनामिक प्राइसिंग तक शुल्क लेने की अनुमति होगी
  • एग्रीगेटर के साथ ऑन-बोर्ड किए गए ड्राइवर को लागू भाड़े का कम से कम 80 फीसदी प्राप्त होगा, जिसमें सभी ड्राइवर के भाड़े से संबंधित लागत शामिल होगी
  • वाहन में पैनिक बंटन और वीटीएस लगाना जरूरी होगा
  • ऐप के माध्यम से यात्री अपनी लाइव लोकेशन साझा कर सकेंगे और आपात स्थिति में पैनिक अलर्ट सीधे पुलिस और कंट्रोल रूम तक पहुंचेगा। महिला यात्रियों को यात्रा के दौरान महिला ड्राइवर चुनने का विकल्प भी दिया जाएगा
  • शिकायतों के निपटान के लिए हर कंपनी को एक ग्रिवेंस ऑफिसर नियुक्त करना होगा।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों ई-वाहनों की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करेगी। वहीं, एनसीआर क्षेत्र में 1 जनवरी 2026 से नए पेट्रोल-डीजल ऑटो, दोपहिया और लाइट कमर्शियल वाहनों को ऑनबोर्ड नहीं किया जा सकेगा।
  • राज्य सरकार एक पोर्टल विकसित करेगी, ताकि एग्रीगेटर के रूप में लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एकल खिड़की के माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया सरल हो सके।
  • चालकों के लिए इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम कराया जाएगा। अवधि कम से कम चालीस घंटे होगी, जिसमें ड्राइवरों के लिए व्यक्तिगत और वर्चुअल ट्रेनिंग सत्रों का संयोजन होगा।
  • एग्रीगेटर को एक कंट्रोल रूम स्थापित करना होगा, जो 24x7 सक्रिय रहेगा
  • अगर ड्राइवर के खिलाफ कानूनी उल्लंघन का मामला है, तो उसे 2 दिन के लिए एग्रीगेटर से हटा दिया जाएगा, जब तक उसकी जांच नहीं हो जाती।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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