AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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केंद्र और राज्य के बीच कीळड़ी खुदाई के निष्कर्ष पर छिड़ी हैं जंग: पुरातत्वविद अमरनाथ रामकृष्ण की रिपोर्ट कीळड़ी सभ्यता को सिंधु सभ्यता से भी प्राचीन बताती है
चेन्नई. केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच गतिरोध के विभिन्न पहलुओं में अब नागरिक सभ्यता के उद्गम की जंग का विवाद केंद्रबिंदु बना हुआ है रूप। तमिल भाषा, संस्कृति, अस्मिता और सभ्यता को अत्यंत प्राचीन और समृद्ध साबित करने के इस संघर्ष में वस्तुत: पूरा तमिलनाडु एक समूह में नजर आ रहा है।
बता दें कि कीळडी, शिवगंगा जिले का एक गांव है जो वैगै नदी के किनारे है। यहां अब तक हुई पुरातात्विक खुदाई और प्राप्त अवशेषों की कार्बन डेटिंग के आधार पर दावा किया गया है कि यह नदी घाटी सभ्यता, सिंधु और सरस्वती सभ्यता से भी प्राचीन है। हालांकि, केंद्र सरकार इसके वैज्ञानिक प्रमाण को अपर्याप्त मानता है। यही मतभिन्नता विवाद की प्रमुख वजह है।
ईंट की दीवारें, उन्नत जल निकासी, जवाहरात मिले
खुदाई में एक सुनियोजित शहरी बस्ती के प्रमाण मिले हैं, जिसमें ईंटों से बनी दीवारें, जल निकासी प्रणाली और अच्छी तरह से बनाए गए मकान शामिल हैं। मिट्टी के बर्तन (जिन पर तमिल ब्राह्मी लिपि में नाम भी खुदे हुए हैं), लौह उपकरण, मनके, सोने के आभूषण, हड्डियों के औजार और हाथी दांत की वस्तुएं मिली हैं। कुछ मिट्टी के बर्तनों पर तमिल-ब्राह्मी लिपि के निशान मिले हैं, जो यह बताते हैं कि इस क्षेत्र में साक्षरता का स्तर काफी ऊंचा था।
982 पन्नों की रिपोर्ट
वरिष्ठ पुरातत्वविद के. अमरनाथ रामकृष्ण ने कीळडी खुदाई के पहले दो चरणों (2014-15 और 2015-16) पर 982 पन्नों की निष्कर्ष रिपोर्ट तैयार की थी। उन्होंने जनवरी 2023 में यह रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को सौंपी थी। बाद के चरण तमिलनाडु पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए। प्राचीन तमिल सभ्यता के अवशेषों के दर्शन के लिए कीळडी में एक संग्रहालय भी विकसित किया गया है।
केंद्र मांग रहा वैज्ञानिक डेटा और स्पष्टीकरण
केंद्र सरकार कीळडी की खोजों की प्राचीनता पर सवाल उठा रही है और अधिक वैज्ञानिक डेटा व स्पष्टीकरण की मांग कर रही है, जबकि तमिलनाडु सरकार इसे तमिल विरासत को दबाने का प्रयास मान रही है। यह विवाद भारतीय इतिहास और संस्कृति की व्याख्या के व्यापक संघर्ष को दर्शाता है।
सुनियोजित शहरी बस्ती के प्रमाण
कीळडी में पुरातात्विक खुदाई में संगम काल की एक प्राचीन तमिल सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जो लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी तक के हैं। इन खुदाइयों ने तमिल संस्कृति और इतिहास के बारे में हमारी समझ को बहुत गहरा किया है।
सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्ष
तमिलनाडु सरकार और द्रविड़ पार्टियों का मानना है कि कीळडी की खोजें तमिल संस्कृति और भाषा की प्राचीनता को प्रमाणित करती हैं, और यह दक्षिण भारतीय सभ्यता के स्वतंत्र विकास को दर्शाती हैं। वहीं, कुछ लोगों का आरोप है कि केंद्र सरकार इन निष्कर्षों को दबाने या उनकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि यह उनके कुछ ऐतिहासिक या सांस्कृतिक आख्यानों के अनुरूप नहीं है। इसे तमिल विरासत और पहचान पर ’’हमला’’ के रूप में भी देखा गया है।
कीळडी की खुदाई से मिले अवशेषों का काल-निर्धारण पहले छठी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी तक का किया गया था। हालांकि उक्त रिपोर्ट में इन अवशेषों को 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक पुराना बताया गया। यह निष्कर्ष इस सभ्यता को संगम काल से भी पूर्व का बताता है और दक्षिण भारत में नगरीकरण की एक बहुत पुरानी, स्वतंत्र उत्पत्ति का संकेत देता है, जो पारंपरिक ऐतिहासिक आख्यानों को चुनौती देता है।

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Published on:
23 Jul 2025 10:06 am


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