AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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- गिरीश्वर मिश्र पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि, वर्धा
ऊर्जा के विविध रूप हमारे जीवन के संचालन के लिए अनिवार्य हैं। जीवन, व्यापार और जगत की सारी गतिविधियां ऊर्जा पर ही टिकी हुई हैं। इसलिए ऊर्जा को सार्वभौमिक मुद्रा (करेंसी) भी कहा जाता है। वस्तुत: हमारे जीवन के सारे काम ऊर्जा पर ही निर्भर करते हैं। रूप बदल-बदल कर ऊर्जा हर जगह उपस्थित रहती है। ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए हर वर्ष 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है।
इस दुनिया के आरंभ में ऊर्जा ही थी। अस्थिर रूप में वही अखिल ब्रह्माण्ड में सर्वत्र व्याप्त थी। उसी की क्रिया-प्रतिक्रिया से महा विस्फोट या 'बिग बैंग' हुआ। उस क्षण के बाद सारे पदार्थ (मैटर) पैदा हुए जो हम देख रहे हैं। आज ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण की ऊर्जा सब कुछ नियमित कर रही है। उसी के फलस्वरूप हमारी पृथ्वी अपनी धुरी पर टिककर सूर्य की निरंतर परिक्रमा कर रही है। इस प्रक्रिया में धरती पर निर्मित हुए वायुमंडल में जीवनदायी शक्ति है। इस धरती पर ऊर्जा के उपयोग ने मनुष्य जीवन को सार्थक व समर्थ बनाया है। खासतौर पर जीवाश्म ईंधन की खोज व उसके उपयोग के चलते सारे परिवर्तन हुए।
कृषि, उद्योग, यातायात, संचार, नगरीकरण, जीवन की गुणवत्ता सब कुछ इस ऊर्जा का ही खेल है। ऊर्जा कई रूप धारण करती है। वह कोयला, प्राकृतिक गैस, पानी, सौर प्रकाश, वायु, आणविक आदि रूपों में उपलब्ध है। इनमें से कुछ समाप्त होने वाले स्रोत हैं तो कुछ नवीकरणीय हैं। ऊर्जा की जरूरत सबको होती है इसलिए ऊर्जा की मांग जनसंख्या पर निर्भर करती है। भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ उसकी ऊर्जा की जरूरतें भी बढ़ रही हैं। साथ ही आर्थिक कार्य, उद्योग धंधे आदि क्षेत्रों में ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऊर्जा की चोरी भी हो रही है और उसका दुरुपयोग भी हो रहा है। बच्चों और बड़ों की गैर जिम्मेदार आदतें भी ऊर्जा की समस्या को बढ़ा रही हैं। लोग बिना जरूरत बल्ब जलाते हैं और दिखावे के लिए भारी ऊर्जा का अपव्यय आम बात होती जा रही है। ऊर्जा की बचत के लिए लोक शिक्षा की अत्यधिक आवश्यकता है।
ऊर्जा में किफायत लाने के लिए ऐसे उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए, जो ऊर्जा की कम खपत करते हों। भारत स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों-सूर्य, जल और वायु की बहुलता वाला देश है। जरूरत है उचित प्रौद्योगिकी विकसित करने की, जो इन स्रोतों का समुचित दोहन कर उपलब्ध करा सकें। भारत में इस दिशा में पहल शुरू भी हुई है। फिर भी आज जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) के उपयोग का ही बोलबाला है। दिल्ली जैसे शहर स्मोग की गिरफ्त में आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों को देखते हुए इस दिशा में शीघ्रता से कदम उठाने होंगे। सच कहें तो ऊर्जा स्रोत में बदलाव मानव अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा बन गया है।
भारत पर प्रकृति बड़ी कृपालु है और वैकल्पिक स्रोत के रूप में सूर्य का प्रकाश, वायु, जल और हाइड्रोजन प्रचुर मात्रा में बिना किसी खर्च के उपलब्ध हैं। जरूरत है तकनीकी के संवर्धन और उपयोग की। नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का लाभ लेना ही हितकर है। मनुष्य का भविष्य ऊर्जा के भविष्य से जुड़ा हुआ है। निश्चय ही जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहना उपयुक्त नहीं होगा। विकल्प के रूप में आणविक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जैव ईंधन और पवन ऊर्जा उपलब्ध हैं। ऊर्जा के नए स्रोत की ओर कदम बढ़ाने में ही कल्याण है। इसके लिए हमें अपनी सोच बदलनी होगी और जिम्मेदारी का अनुभव करना होगा।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
13 Dec 2025 02:30 pm


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