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भारत के पास खेल महाशक्ति के रूप में चमकने का अवसर

नाइजीरिया की अबुजा को पीछे छोड़ते हुए अहमदाबाद की मेजबानी भारत के उभरते खेल सामथ्र्य की वैश्विक स्वीकृति है।

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पीयूष जैन, राष्ट्रीय सचिव,फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया

ग्ला स्गो में आयोजित कॉमनवेल्थ स्पोट्र्स जनरल असेंबली में 74 सदस्य देशों द्वारा अहमदाबाद को 2030 राष्ट्रमंडल खेलों के शताब्दी संस्करण की मेजबानी सौंपना, भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा, उत्कृष्ट खेल अवसंरचना, और युवा ऊर्जा में दुनिया के भरोसे का अभूतपूर्व प्रमाण है। 2010 के बाद दोबारा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बहु-खेल आयोजन भारत की धरती पर लौट रहा है। 1930 में शुरू हुए राष्ट्रमंडल खेल न केवल प्रतिस्पर्धा के मंच हैं, बल्कि साझा मूल्यों- एकजुटता, निष्पक्षता और प्रगति का प्रतीक भी हैं। भारत इस यात्रा का दशकों से महत्वपूर्ण सहभागी रहा है। हमारे खिलाडिय़ों ने इस मंच पर बार-बार यह सिद्ध किया है कि भारतीय प्रतिभा विश्व खेल व्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।


नाइजीरिया की अबुजा को पीछे छोड़ते हुए अहमदाबाद की मेजबानी भारत के उभरते खेल सामथ्र्य की वैश्विक स्वीकृति है। यह आयोजन केवल एक शहर का गौरव नहीं- यह 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षा, क्षमता और प्रतिबद्धता का उत्सव है। अहमदाबाद पहले ही 2036 ओलंपिक बोली के मजबूत दावेदार के रूप में दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और 2030 राष्ट्रमंडल खेल इस दिशा में आवश्यक परीक्षण, तैयारी और विश्वास अर्जित करने का अवसर प्रदान करेंगे। भारत में 2030 राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन देश के संपूर्ण खेल उद्योग के लिए एक परिवर्तनकारी युग की शुरुआत साबित हो सकता है। इस आयोजन के माध्यम से विश्वस्तरीय स्टेडियमों, अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्रों और उन्नत स्पोट्र्स साइंस प्रयोगशालाओं के निर्माण को अभूतपूर्व गति मिलेगी, जो भारतीय खिलाडिय़ों की दीर्घकालिक तैयारी और वैज्ञानिक प्रशिक्षण को नई दिशा प्रदान करेंगे।
साथ ही, खेल प्रबंधन, डेटा एनालिटिक्स, स्पोट्र्स मेडिसिन, पोषण विज्ञान, फिटनेस, स्पोट्र्स टेक्नोलॉजी और इवेंट मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में व्यापक अवसर खुलेंगे, जिनसे युवा पीढ़ी के लिए रोजगार और उद्यमिता के असंख्य रास्ते तैयार होंगे। इस बहुआयामी विकास के परिणामस्वरूप 2030 से 2036 के बीच भारत का खेल उद्योग राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का सशक्त और नया स्तंभ बनकर उभर सकता है।

हालांकि 2030 की सफलता का मार्ग हमें 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों की कड़वी यादों और उनसे मिले सबकों को ध्यान में रखते हुए ही प्रशस्त करना होगा। उस समय फिजूलखर्ची, कुप्रबंधन और गंभीर अनियमितताओं ने न केवल आयोजन की गरिमा को आघात पहुंचाया, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी धूमिल किया था। इसलिए यह अनिवार्य है कि हम 2030 में उन त्रुटियों की पुनरावृत्ति को बिल्कुल भी स्वीकार न करें। पहली बार खेलों को राष्ट्रीय प्राथमिकता के केंद्र में लाकर उन्हें राष्ट्र-निर्माण के प्रमुख साधन के रूप में स्थापित किया गया है।


'खेलो इंडिया' जैसे व्यापक जन-आंदोलन, ओलंपिक और एलीट एथलीटों के लिए टॉप्स योजना, अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधाएं, खेल बजट में निरंतर वृद्धि और खिलाडिय़ों से सीधे संवाद की परंपरा- इन सभी ने भारतीय खेल प्रणाली को नई ऊर्जा, पारदर्शिता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का दृष्टिकोण प्रदान किया है। यदि हम सही दिशा में कार्य करें, तो 2036 ओलंपिक में भारत का शीर्ष 10 में पहुंचना पूर्णत: संभव और व्यावहारिक लक्ष्य है। इसके लिए हमें 'इवेंट-आधारित तैयारी' से आगे बढ़कर 'सिस्टम-आधारित प्रतिभा निर्माण' पर ध्यान देना होगा। संरचित प्रतिभा पहचान कार्यक्रम, हर राज्य में खेल-विशेष अकादमियां, स्कूल स्तर पर अनिवार्य और परिणाम-उन्मुख फिजिकल एजुकेशन तथा 12-18 वर्ष आयु वर्ग में व्यापक प्रतिभा पूल का निर्माण- ये ही वे स्तंभ हैं, जिन पर भारत की दीर्घकालिक सफलता आधारित होगी। स्कूल ही भविष्य के ओलंपिक पदकों की वास्तविक प्रयोगशालाएं हैं, हमें बच्चों को संसाधन, सही दिशा देने की जरूरत है। भारत के लिए वर्ष 2030 सिर्फ अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन का वर्ष नहीं है- यह विकसित भारत की ओर खेलों के माध्यम से उठाई जाने वाली ऐतिहासिक छलांग का प्रतीक है। राष्ट्रमंडल खेल न सिर्फ हमारे खिलाडिय़ों की क्षमता का परिचय देंगे, बल्कि यह तय करेंगे कि भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक खेल मानचित्र में किस ऊंचाई पर खड़ा होगा।


यह आयोजन उस नए भारत का प्रतिबिंब है, जो आत्मविश्वास, आधुनिकता और सांस्कृतिक चेतना के साथ विश्व पटल पर उभर रहा है। यदि हम आने वाले वर्षों में ईमानदारी को अपना आधार, पेशेवर दक्षता को अपनी प्राथमिकता और दूरदर्शिता को अपनी दिशा बनाए रखें, तो 2030 राष्ट्रमंडल खेल और 2036 ओलंपिक दोनों ही भारत की खेल आकांक्षाओं को वास्तविकता में बदल सकते हैं। यही वह क्षण है, जब भारत दुनिया की सोच में जिम्मेदार व भविष्य-केंद्रित खेल महाशक्ति के रूप में जगह बना सकता है। 2030 का यह सफर वास्तव में एक आयोजन से कहीं अधिक—एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण का अवसर है।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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