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आपकी बात: वैश्विक स्तर पर बढ़ रही आर्थिक असमानता को लेकर आपकी क्या राय है?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत है पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

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सामाजिक असंतोष बढ़ता है
वैश्विक स्तर पर बढ़ती आर्थिक असमानता विकास की आत्मा को कमजोर करती है। सीमित वर्ग की समृद्धि और बहुसंख्यक वर्ग की वंचना समाज में असंतोष को बढ़ाती है। इसके साथ ही सामाजिक अस्थिरता और अन्याय को जन्म देती है। इसके सुधार के लिए अवसर, शिक्षा और संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए। इसके बिना सतत और न्यायपूर्ण वैश्विक विकास केवल एक कल्पना बना रहेगा। - झंवरलाल नायक, बीकानेर

मानव गरिमा के लिए चुनौती है
वैश्विक आर्थिक असमानता मानव सभ्यता के संतुलन पर सीधा प्रहार है। चंद हाथों में सिमटती धन संपत्ति और बहुसंख्यक की संघर्षपूर्ण जिंदगी सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और मानव गरिमा को चुनौती देती है। इसके समाधान के लिए अवसरों का न्यायपूर्ण वितरण करना होगा। इसके अभाव में विकास प्रगति नहीं, बल्कि सामाजिक विभाजन का पर्याय बन जाएगा। - मनीषा झंवर, बीकानेर

संपत्ति का संकेंद्रण खत्म हो
वैश्विक स्तर पर आर्थिक असमानता लगातार बढ़ रही है, जहां अमीर और गरीब के बीच की खाई और गहरी होती जा रही है। कुछ गिने-चुने लोगों के हाथों में संपत्ति का संकेंद्रण हो रहा है, जबकि बड़ी आबादी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रही है। तकनीकी विकास और वैश्वीकरण के लाभ सभी तक समान रूप से नहीं पहुंच पा रहे हैं। यह असमानता सामाजिक असंतोष, बेरोजगारी और अस्थिरता को बढ़ावा दे रही है। - कृष्णकुमार खीचड़, राजालानाडा

नौकरियां उपलब्ध करानी होंगी
वैश्विक स्तर पर बढ़ रही अर्थिक असमानता को रोकने के लिए अधिक से अधिक जॉब वैकेंसी निकलनी चाहिए। यह नौकरियां किसी भी सरकारी या निजी क्षेत्र में हो सकती है। इसके अलावा 'मेक इन इंडिया' और 'मेड इन इंडिया' का उपयोग कर भारत में आर्थिक असमानता को कम किया जाए। इसके साथ ही भारत में अधिक से अधिक एमएसएमई स्टार्टअप बिजनेस लोन दिए जाए, जिससे महिलाएं भी इनमें अपनी भागीदारी देकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करे। - मुकेश सोनी, जयपुर

समावेशी विकास जरूरी है
वैश्विक आर्थिक असमानता आज एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। विकास के नाम पर बनी नीतियां अक्सर कमजोर वर्गों को पीछे छोड़ देती हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में असमान पहुंच इस समस्या को और बढ़ाती है। यदि समय रहते संतुलित और समावेशी विकास पर ध्यान न दिया गया, तो सामाजिक विभाजन और गहरा हो सकता है। - प्रियंका भादू, जोधपुर

नीतिगत कमजोरियां दूर होनी चाहिए
पर्याप्त रोजगार के अवसर न होना और असंगठित क्षेत्र में कम वेतन व असुरक्षित काम आर्थिक असमानता मुख्य कारण है। साथ ही शहरी क्षेत्रों का तेज विकास, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों का पीछे रह जाना आर्थिक असमानता को और गति देता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों और पूंजीपतियों को अधिक लाभ जबकी स्थानीय छोटे उद्योगों को नुकसान होता है। अमीर वर्ग की आय और संपत्ति तेजी से बढ़ती है, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग की आय धीमी रहती है। अच्छी शिक्षा और आधुनिक कौशल तक सीमित लोगों की पहुंच होती है, जिससे वे बेहतर नौकरियां पाते हैं, बेहतर व्यापार करते हैं। - डाॅ. मुकेश भटनागर, भिलाई

समावेशी नीतियां बननी चाहिए
वैश्विक स्तर पर आर्थिक असमानता लगातार बढ़ रही है। विकास की गति तेज है, लेकिन उसके लाभ समाज के सभी वर्गों तक समान रूप से नहीं पहुंच पा रहे हैं। सीमित लोगों के पास संपत्ति का केंद्रीकरण और बड़ी आबादी का बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना गंभीर चिंता का विषय है। तकनीकी प्रगति और वैश्वीकरण ने अवसर बढ़ाए हैं, किंतु शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक असमान पहुंच ने अमीर–गरीब की खाई और गहरी कर दी है। इसका सीधा प्रभाव सामाजिक संतुलन और लोकतांत्रिक मूल्यों पर पड़ रहा है। विकास का उद्देश्य केवल आर्थिक आंकड़ों की वृद्धि नहीं, बल्कि हर नागरिक को सम्मानजनक जीवन देना होना चाहिए। समावेशी नीतियां ही इस असमानता को कम कर सकती हैं। - मनीषा सियाल, उदयपुर

समान संसाधन वितरण प्राणी लागू हो
वैश्विक स्तर पर समान संसाधन वितरण प्रणाली को लागू किया जाए। अमीरों पर वैश्विक स्तर पर न्यूनतम कर, टैक्स चोरी पर रोक लगाई जाए। श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा की जाए। महिला भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए। अगर धन का पुनर्वितरण हो सके तो आर्थिक असमानता को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर व्यापार नीतियां निष्पक्ष और समान रूप से लागू हो।विदेशी कंपनियों की बजाय लघु उद्योग, कुटीर उद्योगों को सशक्त बनाया जाए। प्रत्येक देश स्वदेशी को प्राथमिकता दें। सभी को समान अवसर मिले। भेदभाव न किया जाए ताकि मजबूत समाज का गठन हो सके। समाज से ही देश का निर्माण होता है और देश वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाता है। - लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़

असमानता सामाजिक दूरियां बढ़ाती है
वैश्विक स्तर पर बढ़ती आर्थिक असमानता से अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। असमानता सामाजिक असंतोष, बेरोजगारी और अस्थिरता को जन्म देती है। शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों तक समान पहुंच इसमें कमी ला सकती है। सरकारों को समावेशी विकास और न्यायपूर्ण नीतियां अपनानी चाहिए। - सुभाष मांझू, बीकानेर

पूंजी का विकेंद्रीकरण होना चाहिए
वैश्विक स्तर पर आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है, जिससे अमीर व गरीबों के मध्य खाई और गहरी होती जा रही है। इस असमानता का प्रमुख कारण कॉर्पोरेट घरानो का आय के संसाधनों व तकनीकी क्षेत्र पर कब्जा है। इसको कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर बेहतर श्रमिक कानूनों की आवश्यकता है, जिससे समान कार्य के लिए समान वेतन को प्रोत्साहन मिले। तकनीकी प्रगति भी आर्थिक असमानता मे वृद्धि के लिए उत्तरदायी है, इससे पूंजी का केंद्रीकरण अमीर लोगों के पास हो जाता है। वैश्विक आर्थिक असमानता के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए बेहतर कानूनों, आर्थिक विकेंद्रीकरण व लोगों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा देनी चाहिए। - नरेन्द्र योगी, सांभर लेक

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टिप्पणियाँ (43)

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

राहुल शर्मा
राहुल शर्माjust now

हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है

सोनिया वर्मा
सोनिया वर्माjust now

दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।

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