AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे दिलचस्प एंट्री उस व्यक्ति की है, जिसने कभी दूसरों के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। इस बार वह अब खुद मैदान में उतरे हैं। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने साफ कर दिया है कि उनकी जन सुराज पार्टी राज्य की 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। इसके साथ ही उन्होंने 51 उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी कर दी है। लेकिन उनके चयन की रणनीति पारंपरिक राजनीति से बिल्कुल अलग दिख रही है। उन्होंने अपनी इस लिस्ट में साफ छवि, पेशेवर योग्यता और सामाजिक प्रतिनिधित्व को तवज्जो दी है।
जन सुराज पार्टी ने अपने पहले उम्मीदवारों की सूची 9 अक्टूबर को जारी की है। इसमें 25 से ज्यादा पूर्व अफसर, डॉक्टर, वकील और शिक्षाविद शामिल हैं। इन उम्मीदवारों में बड़ा हिस्सा पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों (EBC) से आता है, जिनकी बिहार की राजनीति में तूती बोलती है। किशोर की राजनीति का फोकस इस बार विकसित और भ्रष्टाचार-मुक्त बिहार है। उनका कहना है कि यह आंदोलन राजनीति से ज्यादा एक सामाजिक परिवर्तन की मुहिम है। पर हकीकत में बिहार की सियासत में जाति समीकरणों की अनदेखी कर कोई पार्टी चुनाव नहीं जीत सकती और किशोर इसे अच्छी तरह जानते हैं।
पार्टी ने कई सीटों से पेशेवर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।
1- केसी सिन्हा (कुम्हरार सीट) : सिन्हा मशहूर गणितज्ञ और कई विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति रह चुके हैं। उनकी किताबों से 3 दशक से ज्यादा समय से बिहार के विद्यार्थी पढ़ते आए हैं। सिन्हा की शैक्षणिक छवि पार्टी के विकास नैरेटिव को मजबूत करती है।
2- वाईबी गिरि (मांझी सीट) : पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील गिरि ने कई चर्चित मुकदमों में पैरवी की है, जिनमें बीपीएससी पेपर लीक केस भी शामिल है। पार्टी में आरसीपी सिंह को लाने में भी इनकी भूमिका रही है।
3- जेपी सिंह (छपरा सीट) : हिमाचल के पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हैं। 1 साल से क्षेत्र में सक्रिय हैं और अनुशासित प्रशासनिक छवि के साथ चुनाव में उतरेंगे।
4- डॉ. बीबी प्रसाद (ढाका सीट) : मोतिहारी के चर्चित डॉक्टर और अति पिछड़े समुदाय से आते हैं।
5- डॉ. एके दास (मुजफ्फरपुर सीट) : कायस्थ समाज से आते हैं, लंबे समय से चिकित्सा और सामाजिक कार्य में सक्रिय हैं।
6- आरके मिश्रा (दरभंगा सीट) : होमगार्ड के पूर्व डीजी थे, जिन्होंने कई रिटायर्ड अफसरों को पार्टी से जोड़ा।
पीके ने कहा था कि अगर पार्टी तय करती है, तो वे करगहर या राघोपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि करगहर सीट पर रीतेश पांडे को टिकट दिया गया है। इससे कयास लग रहे हैं कि राघोपुर ही पीके की बैटल फील्ड होगी। दिलचस्प है कि राघोपुर लालू यादव परिवार का गढ़ है, जहां से तेजस्वी यादव विधायक हैं। वहीं, कर्गहर सीट कांग्रेस के संतोष मिश्रा के पास है। अब राघोपुर सीट पर उतरना किशोर के लिए बड़ा जोखिम हो सकता है।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Updated on:
09 Oct 2025 03:45 pm
Published on:
09 Oct 2025 03:22 pm


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