AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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CG News: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित बरतियां भाठा नामक एक गांव की कहानी प्रसिद्ध लोककथाओं में से एक है। यह कहानी एक तपस्वी के श्राप और एक अद्भुत घटना से जुड़ी हुई है, जो आज भी छत्तीसगढ़ के लोगों के बीच सुनाई जाती है। इस कहानी को स्थानीय रूप से सुनने वाले लोग इसे एक कविता या लोककथा के रूप में मानते हैं, जो जीवन के महत्वपूर्ण संदेश देती है। इस गांव की आबादी लगभग 850-900 लोगों की है। इस गांव में दूर-दूर तक जमीन पर आड़े-तिरछे आदमकद पत्थर दिखाई देते हैं।
इस कहानी में कितनी सच्चाई है, ये तो पता नहीं, लेकिन ये पत्थर जो भी देखता है, वो हैरान हो जाता है। इस गांव के बारे में एक जनश्रुति प्रचलित है कि सैकड़ों साल पहले एक बारात में आए सारे बाराती पत्थर में तब्दील हो गए थे। क्या है इसके पीछे की कहानी और क्या कहते हैं गांव के लोग आइए जानते हैं।
बरतियां भाठा के बुजुर्ग बताते हैं कि एक बार राजा की बारात गांव से होकर गुजरी थी। बारात में बड़ी संख्या में बाराती थे, और उनके साथ हाथी-घोड़े, अन्य जानवर, ढोल-नगाड़े, बरछी-भाले आदि भी थे। गाजे-बाजे के साथ नाचते-गाते हुए बारात आगे बढ़ी और एक जगह रुककर रात बिताई। अगले दिन, स्नान के बाद बारातियों ने अपनी देवी मां की पूजा की और एक जानवर की बलि चढ़ाई। यही घटना उनके लिए भारी पड़ गई।
जनश्रुति और पुरातात्विक तथ्यों के दिलचस्प मिश्रण वाली इस कथा के अनुसार, एक तपस्वी ने अपनी कुटिया के पास बकरे की बलि देख क्रोधित होकर पूरी बारात को श्राप दे दिया था। इससे बारात के सभी सदस्य, जानवर, वाद्य यंत्र, और अन्य सामान पत्थर में बदल गए। इस घटना के बाद यह जगह 'बरतिया भाटा' कहलाने लगी।
पुरातत्व विभाग इस बारे में कुछ और कहता है। उनकी जांच के अनुसार, यह स्थान महाश्म हैं, जो दो से तीन हजार साल पुराने हो सकते हैं। इन पत्थरों को संभवतः ला कर गाड़ा गया है और इन्हें आदिवासियों का कब्रिस्तान भी माना गया है। इस जगह के आसपास से बरछी, भाले, तीर जैसे हथियार भी मिले हैं, जो आदिवासी जीवनशैली के प्रमाण हो सकते हैं।
ग्रामीणों के मन में बारात के पत्थर बनने की धारणा इसलिए भी पुष्ट होती है क्योंकि इन हथियारों के मिलने से उनकी कथा के साथ एक प्रत्यक्ष संबंध जुड़ता है। पुरातत्वविद इस स्थान को कब्रिस्तान मानते हैं, लेकिन स्थानीय जनश्रुति और पुरातात्विक निष्कर्षों के संगम से यह स्थान एक रहस्यमय और ऐतिहासिक स्थल बन जाता है।
जैसा कि अक्सर लोककथाओं में होता है, शादी के उत्सव में कुछ ऐसा हुआ जिससे तपस्वी को अपमानित किया गया। कुछ लोग या बाराती उनकी उपेक्षा कर रहे थे, या उन्हें उनका उचित आदर नहीं मिला। गुस्से में आकर, तपस्वी ने उन सभी बारातियों को श्राप दे दिया और कहा, "तुम सभी पत्थर बन जाओ!"
तपस्वी का श्राप सुनकर एक अजीब घटना घटी। तुरंत ही, वह 150 बाराती पत्थर में बदल गए। उनके शरीर ने पत्थर का रूप ले लिया और वे स्थिर हो गए, जैसे कि कोई मूर्ति हो। इस घटना ने गांव में हलचल मचा दी। लोग यह देखकर हैरान रह गए कि किस तरह एक तपस्वी के श्राप से बाराती अचानक पत्थर में बदल गए।
यह घटना पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई। कुछ लोगों ने इसे एक चमत्कारी घटना माना, तो कुछ ने इसे तपस्वी की शक्ति का परिणाम बताया। इस घटना के बाद, गांव के लोग विशेष रूप से तपस्वियों और साधुओं का सम्मान करने लगे।
बरतियांभाठा की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी साधू, तपस्वी या धार्मिक व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। उनका अपमान करने से बुरे परिणाम हो सकते हैं। इसके अलावा, यह भी दिखाता है कि श्राप और आशीर्वाद में अपार शक्ति होती है, जो किसी भी साधक से निकल सकती है।
इस कहानी के माध्यम से लोककथाओं में यह संदेश दिया जाता है कि आदर और सम्मान जीवन के महत्वपूर्ण तत्व हैं और हमें इनका पालन करना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी असमंजस और अनादर के परिणाम बहुत भारी हो सकते हैं।
बरतियांभाठा गांव के पत्थर बने हुए बाराती आज भी वहां के एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में मौजूद हैं, और लोग वहां जाकर इस घटना के बारे में बात करते हैं। यह गांव और उसके आसपास के लोग इस घटना को लोककथा के रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाते हैं। कुल मिलाकर, यह कहानी छत्तीसगढ़ की लोककथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जो आदर, सम्मान और तपस्वियों की शक्ति पर आधारित है।
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Updated on:
20 Dec 2025 06:43 pm
Published on:
20 Dec 2025 06:41 pm


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