AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
AI-generated Summary, Reviewed by Patrika

Health insurance policy: 'हेल्थ इंश्योरेंस' यह एक ऐसा टूल बन चुका है जिसे हर कोई लेना चाहता है। भारतीयों में इसे पूरी तरीके से अपना लिया गया है। कोरोना के दौर में जिन लोगों ने स्वास्थ्य बीमा ले रखा था उन्हें इसका महत्व पता चला और उन्हें अच्छा खासा फायदा हुआ। साथ ही इसकी उपयोगिता के बारे में पता चला।
इस कठिन समय में जिन लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं था उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। आज के दौर में लगभग हर दूसरा व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस ले रहा है। हालांकि अब इसकी कई नकारात्मक बातें भी सामने आ रही हैं।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में लोग स्वास्थ्य बीमा कंपनियों पर भरोसा कर अच्छी पॉलिसियां तो ले रहे हैं, पर जब इलाज के लिए क्लेम की बारी आती है, तो ये कंपनियां टालमटोल करने लगती हैं। इससे परेशान होकर लोग उपभोक्ता फोरम की शरण में जा रहे हैं। इस लड़ाई में उनका काफी पैसा खर्च हो जाता है, और कई बार तो इलाज के लिए लोन तक लेना पड़ता है। ऐसी शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं, और अब बीमा कंपनियां लगभग 38% क्लेम रिजेक्ट कर रही हैं।

दिव्यांश प्रधान ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया।
शिकायतः 24 अप्रेल 2025 को पेट दर्द, उल्टी व बुखार के कारण खेड़ापति कॉलोनी स्थित डॉ. विनोद जैन के हॉस्पिटल में भर्ती हुए। 6 दिन के इलाज का बिल 59,730 बना।
कंपनी का रवैयाः बीमा कंपनी को बार-बार मेल और कॉल के बावजूद भुगतान नहीं मिला।
फोरम के बाद न्यायः उपभोक्ता फोरम की शरण लेने के बाद ही क्लेम मिल सका। दिव्यांश ने कहा, इतनी लड़ाई के बाद तो पैसों की उम्मीद ही छोड़ दी थी।
शैलेंद्र कुमार गुप्ता के पास एचडीएफसी की मेडी क्लेम पॉलिसी थी।
शिकायतः 1 जुलाई 2023 को अंबाह रोड, मुरैना निवासी शैलेंद्र के बच्चे का इलाज गोले का मंदिर स्थित बिरला हॉस्पिटल में हुआ। लगभग 69,130 का खर्च आया।
कंपनी का रवैयाः बीमा कंपनी पैसे देने के बहाने अस्पताल के चक्कर लगवाती रही। अस्पताल प्रबंधन से भी विवाद हुआ।
फोरम के बाद न्यायः डेढ़ साल की लंबी लड़ाई और फोरम जाने के बाद केवल आधा पैसा मिला
संजय कुमार शर्मा के पास स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी थी।
शिकायतः 13 जून 2022 को सिटी सेंटर निवासी संजय की पत्नी चित्रलेखा का इलाज हुजरात पुल स्थित मॉडर्न नर्सिंग होम में हुआ। बिल 1,00,29,56 का बना।
कंपनी का रवैयाः अस्पताल में कुछ गलत एंट्री के कारण बीमा कंपनी ने कई चक्कर लगाने के बाद भी भुगतान नहीं किया।
फोरम के बाद न्यायः एक साल तक पैसा न मिलने पर फोरम का दरवाजा खटखटाना पड़ा, जिसके बाद क्लेम मिल सका।

स्वास्थ्य के नाम पर बीमा कराने वाले अब कंपनियों के वादों पर भरोसा नहीं कर रहे, जब जरूरत पड़ती है तब कंपनियां टालमटोल करती हैं। लोगों को लोन लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बीमा कंपनियों के इस रवैये से शहरवासियों का भरोसा धीरे-धीरे उठ रहा है। लोग अब पॉलिसी लेने से पहले पूरी जानकारी ले रहे हैं और अपनी रणनीति तय कर रहे हैं।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

क्या आपको लगता है कि यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा?
Updated on:
23 Dec 2025 03:15 pm
Published on:
23 Dec 2025 02:59 pm


यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है... यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
हाँ, ये सोचने वाली चीज़ है
दिलचस्प विचार! आइए इस पर और चर्चा करें।