AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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पीलीभीत के सपा कार्यालय पर नगरपालिका प्रशासन ने ताला लगा दिया है। दीवारों पर लिखे नाम को पेंट से मिटवा दिया। कार्यालय पर लगे झंड़े को भी नीचे उतार दिया। कारण सपा कार्यालय सरकारी जमीन पर बना हुआ है, जिसको खाली करने के लिए प्रशासन ने 16 जून तक का समय दिया था। इसके बावजूद सपा नेताओं ने कार्यालय को खाली नहीं किया था।
प्रशासन सुबह 7 थानों (200 के लगभग पुलिसकर्मियों) को लेकर सपा कार्यालय पर पहुंचा। इस दौरान कार्यालय पर सपा नेता और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। इस दौरान सपा नेताों की पुलिस से नोकझोंक भी हुई। इस दौरान पुलिस ने सपा जिलाध्यक्ष को धक्का भी दिया। पुलिस ने 35 सपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया।
दरअसल, यह भवन सालों से नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी (EO) के आवासीय परिसर के रूप में दर्ज था, लेकिन 2005 से सपा कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल हो रहा था।
प्रशासन ने सपा कार्यालय को खाली कराने के लिए कई बार चेतावनी दी थी। 8 दिन पहले भी 50 पुलिस अधिकारी, पांच थानों के 200 पुलिसकर्मी और एक कंपनी पीएसी बल के साथ परिसर पहुंचे थे। उस समय, सपा कार्यकर्ताओं ने 6 महीने का समय मांगा था, जिसके बाद उन्हें 16 जून तक का अंतिम अवसर दिया गया था। समय सीमा समाप्त होने के बाद, प्रशासन ने आज बलपूर्वक कार्रवाई की।
सिटी मजिस्ट्रेट विजयवर्धन तोमर ने बताया कि सपा कार्यालय लंबे समय से अवैध रूप से संचालित हो रहा था, क्योंकि यह भवन वास्तव में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी आवास के रूप में दर्ज है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसका आवंटन पहले ही रद्द किया जा चुका था, और नोटिस का समय खत्म होने के बाद नगर पालिका ने नियमानुसार परिसर को अपने कब्जे में लिया है।
कार्रवाई के बाद, सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह 'जग्गा' ने प्रशासन और सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘आज इन्होंने सपा कार्यालय को खाली करवाया है। ये अत्याचारी सरकार है। हम लोगों का कार्यालय खाली करवाया है। इन लोगों के जिस तरह के कारनामे हैं, जिस तरह से इन लोगों ने जमीनें कब्जाई हैं, अपने बड़े-बड़े महल बनवाए हैं, उनकी रजिस्ट्रियों की जांच कराकर सपा भी इनके साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी।’
दरअसल, यह विवाद 2005 से चला आ रहा है, जब नगर पालिका ने अधिशासी अधिकारी (ईओ) आवास को सपा कार्यालय के लिए मात्र 150 रुपए मासिक किराए पर आवंटित किया था। हालांकि, 12 नवंबर 2020 को यह आवंटन रद्द कर दिया गया, जिसकी वजह आवंटन प्रक्रिया में अनियमितता बताई गई थी।
तत्कालीन सपा जिलाध्यक्ष आनंद सिंह यादव ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे उन्होंने 1 दिसंबर 2020 को खुद ही वापस ले लिया। इसके बाद सपा ने 2021 में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में एक और याचिका डाली, जो अभी भी विचाराधीन है।
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Published on:
18 Jun 2025 03:39 pm


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