AI-generated Summary, Reviewed by Patrika
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नवनीत मिश्र
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार और बंगाल में कमल खिलाने के लिए अपने दो सबसे कुशल माने जाने वाले रणनीतिकारों धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव पर दांव खेला है। बतौर चुनाव प्रभारी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जिता चुके भूपेंद्र यादव के पास बंगाल जीतकर हैट्रिक लगाने का अवसर है तो ठीक यही मामला धर्मेंद्र प्रधान के साथ भी है। यूपी, हरियाणा के बाद अगर बिहार भी जिता ले गए तो वे भी जीत की हैट्रिक मारेंगे। दोनों राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन दोनों नेताओं के कद को तय करेगा।
भाजपा ने राज्यों के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए चुनाव प्रभारियों और सहप्रभारियों की नियुक्ति के जरिए खास राजनीतिक संदेश भी दिया है। बिहार के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दोनों ओबीसी चेहरे हैं। माना जा रहा है कि राज्य में ओबीसी के निर्णायक वर्ग होने के कारण पार्टी ने सोची समझी रणनीति के तहत इन तीनों चेहरों को जिम्मा सौंपा है। प्रधान के नीतीश कुमार से अच्छे रिश्ते हैं और 2010 और 2015 का बिहार चुनाव का संचालन कर चुके हैं। इस वजह से भी उन्हें प्रभारी बनाया गया है। इसके अलावा गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष रहते बंपर जीत दिला चुके सीआर पाटिल को उनके बूथ मैनेजमेंट कौशल के कारण पार्टी ने बिहार का सहप्रभारी बनाया है।
पिछली बार पूरा जोर लगा देने के बाद भी बंगाल नहीं जीत पाई भाजपा के लिए इस बार प्रतिष्ठा का सवाल है। ऐसे में पार्टी ने एमपी और महाराष्ट्र में धमाकेदार जीत दिला चुके केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को अब बंगाल के मोर्चे पर लगाया है और उनके साथ बंगाल से सटे त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लव देब को सह प्रभारी बनाया है। बिप्लब देब इससे पहले हरियाणा की जीत में भी सहप्रभारी भूमिका निभा चुके हैं। तमिलनाडु में भाषा को देखते हुए अंग्रेजी बोलने वाले बैजयंत पांडा को पार्टी ने चुनाव प्रभारी बनाया है, जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल सहप्रभारी होंगे।
राजद के कई बड़े नेता और तेजश्री यादव की पत्नी ने कहा था कि बिहार में खेल होना अभी बाकि है। ऐसा होने के डर से ही नीतीश कुमार ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा के नजदीक चाणक्य होटल में रात को रुकवाया।

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Published on:
27 Sept 2025 04:25 pm


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